ज्वालामुखी: वन राखों( जंगलों की रखवाली करने वाले) ने विधायक एवं राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष रमेश धवाला के माध्यम से वन मंत्री राकेश पठानिया को ज्ञापन सौंपा है. वन राखों ने अपनी सेवाएं पुनः बहाल कर उन को नियमित करने के लिए ज्ञापन सौंपा.
वन मंत्री राकेश पठानिया ने आश्वासन दिया कि शीघ्र ही बैठक कर वन राखों की समस्याओं पर विचार किया जाएगा. वह मुख्यमंत्री से इस बारे में चर्चा करेंगे और उनके लिए कोई नीति बनाने के बारे में विचार करेंगे. वन राखों ने राकेश पठानिया से आग्रह करते हुए कहा कि उनकी मांगों के बारे में सरकार विचार करे ताकि उनकी समस्या का निपटारा हो सके.
उन्होंने बताया कि वन राखे जिला कांगड़ा, हमीरपुर व ऊना के वनों में अपनी सेवाएं राजाओं, महाराजाओं व अंग्रेजों के शासन काल से देते आ रहे हैं. वह वन विभाग में कई वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं. राजस्व विभाग में पटवारियों, लंबरदारों को वन राखों के साथ ही तैनाती दी गई थी और पगार संबंधी नियम बनाए गए थे. समय के साथ पटवारियों को सरकारी कर्मचारी नियुक्त कर दिया गया, लेकिन उनकी तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया.
जंगलों का राष्ट्रीयकरण होने पर वन राखों को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी घोषित किया गया, लेकिन जिला हमीरपुर, कांगड़ा के वन राखों को पूर्व मुख्यमंत्री धूमल की सरकार ने विधेयक बिल 2011 में वन राखों को अपनी सेवाओं से मुक्त कर दिया गया जोकि बहुत अन्याय पूर्ण है.
फॉरेस्ट गार्ड ने राकेश पठानिया से कहा कि सरकार जिला ऊना के वन राखों व पटवारियों की तर्ज पर जिला कांगड़ा व हमीरपुर के वन राखों को वन विभाग या अन्य विभागों में सेवाएं देने के लिए स्वीकृति प्रदान करें. वहीं, जो वन राखे आज ओवर एज हो चुके हैं उनके किसी परिजन को प्राथमिकता के आधार पर रोजगार दिया जाए. इससे वनों की सुरक्षा भी बरकरार रहेगी.
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