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शासन प्रशासन के विकास के दावे हवा-हवाई, झोंपड़ी में रह रहा परिवार - गांव कैहरना

नूरपुर की पंचायत अगाहर के गांव कैहरना का जहां मोहन लाल टीन से बने झोंपड़ीनुमा जर्जर एक कमरे में अपने परिवार के साथ रहने को मजबूर है. परिवार ने जर्जर टीन से कमरे में आने वाले बारिश के पानी को रोकने के लिए तरपाल का सहारा तो लिया, लेकिन उससे भी ज्यादा दिन नहीं निकल पाए.

मोहन लाल का घर
Family of labourer
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Published : Jun 30, 2020, 2:20 PM IST

नूरपुर: वैसे तो सरकार विकास के दावे करती नहीं थकती, लेकिन जमीनीस्तर पर ये दावे हवा हवाई ही होते दिख रहे हैं. नूरपुर की पंचायत अगाहर के गांव कैहरना का जहां मोहन लाल टीन से बने झोंपड़ीनुमा जर्जर एक कमरे में अपने परिवार के साथ रहने को मजबूर है.

सिर ढकने के लिए छत पर डाली गई टीन भी बेहद जर्जर स्थिति में है जो जगह जगह से टपकती है. परिवार ने जर्जर टीन से कमरे में आने वाले बारिश के पानी को रोकने के लिए तरपाल का सहारा तो लिया, लेकिन उससे भी ज्यादा दिन नहीं निकल पाए. मोहन लाल ने बताया कि सरकार की ओर से लोगों को विभिन्न योजनाओं के तहत मकान के लिए मिलने वाली अनुदान सहायता राशि के लिए उन्होंने हर जगह गुहार लगाई, लेकिन उनकी समस्या का समाधान आज तक नहीं हुआ.

वीडियो

मोहन लाल एक दिहाड़ी मजदूर हैं और वह अपने परिवार का पालन पोषण बहुत मुश्किल से कर रहा था, लेकिन पिछले कुछ समय से बीमार होने के कारण वह मजदूरी पर नहीं जा पा रहा है. आलम यह है कि घर का खर्च चलाने के लिए पत्नी ममता देवी किसी के घर में काम करती है जिससे बहुत मुश्किल से घर का खर्च चलता है. मोहन लाल के साथ इस घर में उनकी पत्नी, बेटा और बेटी इस जर्जर घर में रह रहे हैं. मोहन लाल ने प्रदेश सरकार व नूरपुर प्रशासन से मांग की है कि उसकी हालत का शीघ्र आंकलन करवाया जाए और मकान के लिए अनुदान राशि की सहायता दी जाए.

वहीं, मोहन लाल की पत्नी ममता देवी ने बताया कि परिवार के आर्थिक हालत बेहद खराब होने के चलते बेटी को ग्याहरवीं कक्षा में पढ़ाई छोड़नी पड़ी. सरकार बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ के नारे देती है, लेकिन उनके परिवार की हालत किसी को भी नजर नहीं आए. बरसात सिर पर है और जर्जर झोंपड़ी कभी भी साथ छोड़ सकती है. उन्होंने कहा कि वह मकान के लिए पंचायत से लेकर विभिन्न कार्यालयों में चक्कर लगाकर हार चुके हैं.

वहीं, पंचायत प्रधान गुलजारा बीबी ने बताया कि मोहन लाल को बीपीएल श्रेणी में डाला गया है. पिछले साल प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जियो टैगिंग के जरिये किये गए आवेदनों के दौरान पंचायत ने इस परिवार को जरूरी दस्तावेज पंचायत कार्यालय में जमा करवाने के लिए बार-बार सूचित किया था, लेकिन इन्होंने दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवाये.

पंचायत ने अब रिजर्व कोटे के तहत भी मिलने वाली अनुदान राशि के लिए मोहन लाल का नाम डाला है. स्वीकृति मिलने के बाद ही इनके परिवार को अनुदान राशि मिलना संभव हो पाएगा. एसडीएम डॉ. सुरेंद्र ठाकुर ने बताया कि ये मामला उनके संज्ञान में आया है. इस विषय पर संबंधित पंचायत से जानकारी प्राप्त की जाएगी. यदि यह परिवार सभी औपचारिकताओं को पूर्ण करता है तो इन्हें मकान मिलना चाहिए था. इस संबंध में शीघ्र जांच पूरी कर परिवार की मदद की जाएगी.

ये भी पढ़ें: सोलन में जन धन खातों में जमा हुए 5718 लाख रुपये, आत्मनिर्भर पैकेज के लिए स्वीकृत हुए 37.05 करोड़

नूरपुर: वैसे तो सरकार विकास के दावे करती नहीं थकती, लेकिन जमीनीस्तर पर ये दावे हवा हवाई ही होते दिख रहे हैं. नूरपुर की पंचायत अगाहर के गांव कैहरना का जहां मोहन लाल टीन से बने झोंपड़ीनुमा जर्जर एक कमरे में अपने परिवार के साथ रहने को मजबूर है.

सिर ढकने के लिए छत पर डाली गई टीन भी बेहद जर्जर स्थिति में है जो जगह जगह से टपकती है. परिवार ने जर्जर टीन से कमरे में आने वाले बारिश के पानी को रोकने के लिए तरपाल का सहारा तो लिया, लेकिन उससे भी ज्यादा दिन नहीं निकल पाए. मोहन लाल ने बताया कि सरकार की ओर से लोगों को विभिन्न योजनाओं के तहत मकान के लिए मिलने वाली अनुदान सहायता राशि के लिए उन्होंने हर जगह गुहार लगाई, लेकिन उनकी समस्या का समाधान आज तक नहीं हुआ.

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मोहन लाल एक दिहाड़ी मजदूर हैं और वह अपने परिवार का पालन पोषण बहुत मुश्किल से कर रहा था, लेकिन पिछले कुछ समय से बीमार होने के कारण वह मजदूरी पर नहीं जा पा रहा है. आलम यह है कि घर का खर्च चलाने के लिए पत्नी ममता देवी किसी के घर में काम करती है जिससे बहुत मुश्किल से घर का खर्च चलता है. मोहन लाल के साथ इस घर में उनकी पत्नी, बेटा और बेटी इस जर्जर घर में रह रहे हैं. मोहन लाल ने प्रदेश सरकार व नूरपुर प्रशासन से मांग की है कि उसकी हालत का शीघ्र आंकलन करवाया जाए और मकान के लिए अनुदान राशि की सहायता दी जाए.

वहीं, मोहन लाल की पत्नी ममता देवी ने बताया कि परिवार के आर्थिक हालत बेहद खराब होने के चलते बेटी को ग्याहरवीं कक्षा में पढ़ाई छोड़नी पड़ी. सरकार बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ के नारे देती है, लेकिन उनके परिवार की हालत किसी को भी नजर नहीं आए. बरसात सिर पर है और जर्जर झोंपड़ी कभी भी साथ छोड़ सकती है. उन्होंने कहा कि वह मकान के लिए पंचायत से लेकर विभिन्न कार्यालयों में चक्कर लगाकर हार चुके हैं.

वहीं, पंचायत प्रधान गुलजारा बीबी ने बताया कि मोहन लाल को बीपीएल श्रेणी में डाला गया है. पिछले साल प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जियो टैगिंग के जरिये किये गए आवेदनों के दौरान पंचायत ने इस परिवार को जरूरी दस्तावेज पंचायत कार्यालय में जमा करवाने के लिए बार-बार सूचित किया था, लेकिन इन्होंने दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवाये.

पंचायत ने अब रिजर्व कोटे के तहत भी मिलने वाली अनुदान राशि के लिए मोहन लाल का नाम डाला है. स्वीकृति मिलने के बाद ही इनके परिवार को अनुदान राशि मिलना संभव हो पाएगा. एसडीएम डॉ. सुरेंद्र ठाकुर ने बताया कि ये मामला उनके संज्ञान में आया है. इस विषय पर संबंधित पंचायत से जानकारी प्राप्त की जाएगी. यदि यह परिवार सभी औपचारिकताओं को पूर्ण करता है तो इन्हें मकान मिलना चाहिए था. इस संबंध में शीघ्र जांच पूरी कर परिवार की मदद की जाएगी.

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