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पालमपुर के बगौड़ा में एसडीआरफ खुलने का रास्ता हुआ साफ, 105 कनाल भूमि हुई SDRF के नाम

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Published : Feb 1, 2022, 7:55 PM IST

कांगड़ा जिले के पालमपुर में (SDRF in Bagora of Palampur) राज्य की पहली आपदा रिलीफ फोर्स एसडीआरएफ बटालियन के खुलने का रास्ता साफ हो गया है. इसके लिए 105 कनाल भूमि हुई एसडीआरएफ के नाम कर दी गई है. अब जल्द ही इस पर काम भी शुरू कर दिया जाएगा.

SDRF in Bagoda of Palampur
पालमपुर के बगौड़ा में एसडीआरफ

कांगड़ा: भौगोलिक दृष्टि से राज्य का सबसे बड़ा जिला कांगड़ा आपदाओं (Natural disasters in Himachal) से निपटने के लिए आधारभूत संरचना को सुदृढ़ करने में निरंतर आगे बढ़ रहा है. राज्य में एनडीआरफ पहली बटालियन कांगड़ा जिला के नूरपुर में स्थापित हुई है और अब राज्य की पहली राज्य आपदा रिलीफ फोर्स एसडीआरएफ बटालियन का भी कांगड़ा जिला के पालमपुर के बगौड़ा में खुलने का रास्ता भी साफ हो गया है.

बगौड़ा में 105 कनाल के करीब भूमि एसडीआरफ (SDRF in Bagora of Palampur) के लिए स्थानांतरित हो गई है. जबकि, एनडीआरएफ नूरपुर बटालियन में निर्माण कार्यों के लिए 4 करोड़ 80 लाख की राशि भी स्वीकृत की गई है. यहां पर फैब्रिकेटेड स्ट्रक्चर निर्माण के लिए रो-वे सिस्टम डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन द्वारा खाका तैयार किया जा रहा है. इस के लिए रोप-वे डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन को फंड उपलब्ध करवा दिए गए हैं. इसका जल्द ही निर्माण कार्य आरंभ हो जाएगा.

उपायुक्त डॉ. निपुण जिंदल (DC Kangra Nipun Jindal) ने कहा कि कांगड़ा जिला भूकंप की दृष्टि से संवदेनशील जोन में आता है. जिसके दृष्टिगत जिला में आपदा प्रबंधन को लेकर आधारभूत सुविधाएं जुटाने के लिए दूरगामी प्लान तैयार किया गया है. ताकि आपदा से होने वाले नुक्सान को कम किया जा सके. उन्होंने बताया कि प्रारंभिक चरण में स्वचालित मौसम स्टेशन कांगड़ा जिला के आवेरी, बीड़, खास, दरूग, नपोहता, कोहर खास, करनाथू तथा डंडेल में स्वचालित मौसम स्टेशन स्थापित किए गए हैं.

इनके माध्यम से मौसम के पूर्व जानकारी उपलब्ध करवाई जाएगी. उन्होंने कहा कि अगले चरण में जिला के अन्य मौसम की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में भी स्वचालित मौसम स्टेशन स्थापित किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन में यह मौसम स्टेशन काफी कारगर साबित होंगे. इससे किसी भी तरह की भारी बारिश, आंधी, तूफान इत्यादि के बारे में मौसम स्टेशन के उपकरणों के माध्यम से अलर्ट की सूचना जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ-साथ संबंधित पंचायत प्रतिनिधियों तक भी पहुंचेगी, ताकि मौसम के पूर्वानुमान के आधार पर आपदा प्रबंधन की तैयारियां की जा सकें.

उपायुक्त ने बताया कि कांगड़ा जिला प्रशासन तथा आईआईटी मंडी के बीच भूकंप, भूस्खलन जैसी प्राकृतिक खतरों से बचाव तथा मॉनिटरिंग के लिए कांगड़ा जिला के दस विभिन्न स्थानों के लिए पूर्व चेतावनी प्रणाली तथा सिंथेटिक एपर्चर रडार आधारित कांगड़ा जिला का प्रोफाइल विकसित करने के लिए एमओयू हस्ताक्षरित किया गया है. उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन की दृष्टि से आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने में कांगड़ा जिला पूरे प्रदेश का अग्रणी जिला बनकर उभरा है.

ये भी पढ़ें: बजट में वाइब्रेंट विलेज योजना का ऐलान, हिमाचल में चीन से लगती सीमा के गांवों तक पहुंचेगा विकास

कांगड़ा: भौगोलिक दृष्टि से राज्य का सबसे बड़ा जिला कांगड़ा आपदाओं (Natural disasters in Himachal) से निपटने के लिए आधारभूत संरचना को सुदृढ़ करने में निरंतर आगे बढ़ रहा है. राज्य में एनडीआरफ पहली बटालियन कांगड़ा जिला के नूरपुर में स्थापित हुई है और अब राज्य की पहली राज्य आपदा रिलीफ फोर्स एसडीआरएफ बटालियन का भी कांगड़ा जिला के पालमपुर के बगौड़ा में खुलने का रास्ता भी साफ हो गया है.

बगौड़ा में 105 कनाल के करीब भूमि एसडीआरफ (SDRF in Bagora of Palampur) के लिए स्थानांतरित हो गई है. जबकि, एनडीआरएफ नूरपुर बटालियन में निर्माण कार्यों के लिए 4 करोड़ 80 लाख की राशि भी स्वीकृत की गई है. यहां पर फैब्रिकेटेड स्ट्रक्चर निर्माण के लिए रो-वे सिस्टम डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन द्वारा खाका तैयार किया जा रहा है. इस के लिए रोप-वे डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन को फंड उपलब्ध करवा दिए गए हैं. इसका जल्द ही निर्माण कार्य आरंभ हो जाएगा.

उपायुक्त डॉ. निपुण जिंदल (DC Kangra Nipun Jindal) ने कहा कि कांगड़ा जिला भूकंप की दृष्टि से संवदेनशील जोन में आता है. जिसके दृष्टिगत जिला में आपदा प्रबंधन को लेकर आधारभूत सुविधाएं जुटाने के लिए दूरगामी प्लान तैयार किया गया है. ताकि आपदा से होने वाले नुक्सान को कम किया जा सके. उन्होंने बताया कि प्रारंभिक चरण में स्वचालित मौसम स्टेशन कांगड़ा जिला के आवेरी, बीड़, खास, दरूग, नपोहता, कोहर खास, करनाथू तथा डंडेल में स्वचालित मौसम स्टेशन स्थापित किए गए हैं.

इनके माध्यम से मौसम के पूर्व जानकारी उपलब्ध करवाई जाएगी. उन्होंने कहा कि अगले चरण में जिला के अन्य मौसम की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में भी स्वचालित मौसम स्टेशन स्थापित किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन में यह मौसम स्टेशन काफी कारगर साबित होंगे. इससे किसी भी तरह की भारी बारिश, आंधी, तूफान इत्यादि के बारे में मौसम स्टेशन के उपकरणों के माध्यम से अलर्ट की सूचना जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ-साथ संबंधित पंचायत प्रतिनिधियों तक भी पहुंचेगी, ताकि मौसम के पूर्वानुमान के आधार पर आपदा प्रबंधन की तैयारियां की जा सकें.

उपायुक्त ने बताया कि कांगड़ा जिला प्रशासन तथा आईआईटी मंडी के बीच भूकंप, भूस्खलन जैसी प्राकृतिक खतरों से बचाव तथा मॉनिटरिंग के लिए कांगड़ा जिला के दस विभिन्न स्थानों के लिए पूर्व चेतावनी प्रणाली तथा सिंथेटिक एपर्चर रडार आधारित कांगड़ा जिला का प्रोफाइल विकसित करने के लिए एमओयू हस्ताक्षरित किया गया है. उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन की दृष्टि से आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने में कांगड़ा जिला पूरे प्रदेश का अग्रणी जिला बनकर उभरा है.

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