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राजमा का मदरा है चंबयाली धाम की शान, जानिए कैसे बनता है ये लजीज व्यंजन

हिमाचल प्रदेश के चंबा जिला की चंबयाली धाम अपनी अलग पहचान रखती है. इस धाम की शान है राजमा से बनने वाला मदरा. जिला में जितने भी शादी और अन्य समारोह होते हैं इस लजीज व्यंजन को बनाया जाता है.

Rajma madra dish
Special story on Rajma madra dish
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Published : Dec 20, 2019, 5:09 AM IST

Updated : Dec 20, 2019, 9:34 AM IST

चंबा: हिमाचल के सभी जिलों की अपनी अलग पहचान है, खासकर पकवानों को लेकर. हर जिला के अपने पकवान दुनियाभर में मशहूर हैं. बात चाहे कांगड़ी धाम की हो या फिर मंडयाली सेपू बड़ियों की, हिमाचली खाने का हर कोई दिवाना है.

वैसे तो हर जिले की अपनी धाम है, लेकिन चंबा जिला में बनने वाली धाम की बात ही कुछ और है. इस धाम की शान है राजमा से बनने वाला मदरा. प्रदेश की सभी धामों में मदरा बनाया जाता है चने का मदरा, आलू का मदरा और बूंदी का मदरा, लेकिन चंबयाली धाम का मदरा अधिक मशहूर है.

वीडियो.

जिला चंबा में शादी और अन्य समारोह में लोगों को जो लजीज व्यंजन परोसे जाते हैं उसमें दो तरह के मदरे होते हैं. पहला आलू वाला जो कि मीठा होता है. वहीं, दूसरा मदरा होता है राजमा का जो कि नमकीन होता है, जिसे लोग काफी पसंद करते हैं. बॉलीवुड एक्टर्स यामी गौतम को भी राजमा का मदरा काफी पसंद है.

राजमा का मदरा पूरे चंबा जिला और कांगड़ा जिले के कुछ हिस्सों जहां विशेषकर गद्दी समुदाय के लोग रहते हैं बनाया जाता है. विशेष तरीके से बनाया जाने वाले पारंपरिक व्यंजन मदरा के लिए कड़ी मेहनत लगती है. बोटी (कारीगर जो समारोह में खाना बनाता है) को इसे बनाने में कम से कम दो से तीन घंटों का समय लगता है.

राजमा का मदरा बनाने के लिए उबले हुए राजमा, घी, दही, हल्दी, छोटी इलायची-बड़ी इलायची और दालचीनी का इस्तेमाल किया जाता है. मदरे के लिए जितना कम सामान लगता है उतना ही इसे पकने में समय.

राजमा मदरा बनाने की विधि
सबसे पहले एक बड़े बर्तन में घी और रिफाइंड तेल, दही, हल्दी और अन्य मसालों को एक साथ डाला जाता है और उसे आंच पर पकने के लिए रखा जाता है. जैसे-जैसे तेल गर्म होने लगता है वैसे-वैसे ये बनना शुरू. क्योंकि इसे बनाने के लिए घी और दही की मात्रा काफी अधिक होती है इसलिए इसे बनाते हुए काफी सतर्कता बरतनी पड़ती है.

मदरा बनाते हुए आपको लगातार दही को हिलाते रहना पड़ता है ताकि वो जले ना. जब दही पूरी तरह पक कर भूरे रंग की हो जाती है, तब उबले हुए राजमा को उसमें मिलाया जाता है. दो-तीन घंटों की इस प्रक्रिया में बनाने वाले बोटी की काफी महनत लगती है. उबले राजमा और पके हुए दही मसाले को उसमें मिलाने के बाद दस से पंद्रह मिनट के लिए उसे धीमी आंच पर रखा जाता है. इस तरह से आपका राजमा मदरा पक कर तैयार हो जाता है.

हालांकि हिमाचल में ऐसे कई व्यंजन बनाए जाते हैं जो पूरी दुनियाभर में अपने स्वाद के लिए ख्याति प्राप्त हैं. मंडियाली धाम सिर्फ स्वाद ही नहीं बल्कि सेहत का खजाना भी है. उसी तरह सिड्डू भी काफी पसंद किया जाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हिमाचली व्यंजनों के प्रति अपना प्रेम कई रैलियों में दिखा चुके हैं.

चंबा: हिमाचल के सभी जिलों की अपनी अलग पहचान है, खासकर पकवानों को लेकर. हर जिला के अपने पकवान दुनियाभर में मशहूर हैं. बात चाहे कांगड़ी धाम की हो या फिर मंडयाली सेपू बड़ियों की, हिमाचली खाने का हर कोई दिवाना है.

वैसे तो हर जिले की अपनी धाम है, लेकिन चंबा जिला में बनने वाली धाम की बात ही कुछ और है. इस धाम की शान है राजमा से बनने वाला मदरा. प्रदेश की सभी धामों में मदरा बनाया जाता है चने का मदरा, आलू का मदरा और बूंदी का मदरा, लेकिन चंबयाली धाम का मदरा अधिक मशहूर है.

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जिला चंबा में शादी और अन्य समारोह में लोगों को जो लजीज व्यंजन परोसे जाते हैं उसमें दो तरह के मदरे होते हैं. पहला आलू वाला जो कि मीठा होता है. वहीं, दूसरा मदरा होता है राजमा का जो कि नमकीन होता है, जिसे लोग काफी पसंद करते हैं. बॉलीवुड एक्टर्स यामी गौतम को भी राजमा का मदरा काफी पसंद है.

राजमा का मदरा पूरे चंबा जिला और कांगड़ा जिले के कुछ हिस्सों जहां विशेषकर गद्दी समुदाय के लोग रहते हैं बनाया जाता है. विशेष तरीके से बनाया जाने वाले पारंपरिक व्यंजन मदरा के लिए कड़ी मेहनत लगती है. बोटी (कारीगर जो समारोह में खाना बनाता है) को इसे बनाने में कम से कम दो से तीन घंटों का समय लगता है.

राजमा का मदरा बनाने के लिए उबले हुए राजमा, घी, दही, हल्दी, छोटी इलायची-बड़ी इलायची और दालचीनी का इस्तेमाल किया जाता है. मदरे के लिए जितना कम सामान लगता है उतना ही इसे पकने में समय.

राजमा मदरा बनाने की विधि
सबसे पहले एक बड़े बर्तन में घी और रिफाइंड तेल, दही, हल्दी और अन्य मसालों को एक साथ डाला जाता है और उसे आंच पर पकने के लिए रखा जाता है. जैसे-जैसे तेल गर्म होने लगता है वैसे-वैसे ये बनना शुरू. क्योंकि इसे बनाने के लिए घी और दही की मात्रा काफी अधिक होती है इसलिए इसे बनाते हुए काफी सतर्कता बरतनी पड़ती है.

मदरा बनाते हुए आपको लगातार दही को हिलाते रहना पड़ता है ताकि वो जले ना. जब दही पूरी तरह पक कर भूरे रंग की हो जाती है, तब उबले हुए राजमा को उसमें मिलाया जाता है. दो-तीन घंटों की इस प्रक्रिया में बनाने वाले बोटी की काफी महनत लगती है. उबले राजमा और पके हुए दही मसाले को उसमें मिलाने के बाद दस से पंद्रह मिनट के लिए उसे धीमी आंच पर रखा जाता है. इस तरह से आपका राजमा मदरा पक कर तैयार हो जाता है.

हालांकि हिमाचल में ऐसे कई व्यंजन बनाए जाते हैं जो पूरी दुनियाभर में अपने स्वाद के लिए ख्याति प्राप्त हैं. मंडियाली धाम सिर्फ स्वाद ही नहीं बल्कि सेहत का खजाना भी है. उसी तरह सिड्डू भी काफी पसंद किया जाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हिमाचली व्यंजनों के प्रति अपना प्रेम कई रैलियों में दिखा चुके हैं.

Intro:चंबा का मद्राह हिमाचल में रखता है अलग पहचान शादी और अन्य कार्यक्रमों में दिखती है इस ट्रेडिशनल फ़ूड की जहालक देश विदेश के पर्यटक भी करे है इसे खूब पसंद ,

स्पेशल रिपोर्ट
ये रिपोर्ट अंजली शर्मा जी देखें

कहते है हमारे पारम्परिक भोजन अलग पहचान रिखते है इसी के चलते चम्ब्याली धाम भी हिमाचल प्रदेश सहित देश में अलग पहचान रखती है ,इसमें विशेष तरीके से बनाया जाने वाला मद्राह, बड़ी मेहनत के साथ बनाया जाता है ,चम्ब्याली धाम में वो सभी भोज शामिल होते है जो किसी भी शादी मुंडन और अन्य कार्यक्रम की रोनक बढ़ाने का का करते है ,जब भी चंबा जिला के किसी हिस्से में शादी होती है तो चम्ब्याली धाम का मुखिया कहें जाने वाले मन्द्रहे की धूम के बिना शादी बेकार सी लगती है ,जब भी शादी होती है तो ये पकवान शादी में बड़ी मेहनत के साथ कारीगर इसे बनाते है ,चंबा माद्रह को देसी घी में बनाया जाता है इसके अलावा इसमें देसी दही डाली जाती है और इ साथ दोनों को पकाया जाता है जिसके बाद जब दही और घी का मिलन ह जाता है इसके बाद राज्माह जो पहले से उबाल कर अलग से रखे जाते है उसके बाद उसमे डाले जाते है और स्वाद इ अनुसार उसे मेहमानों को परोसा जाता है ,जब भी राजनेतिक से लेकर शादी और मुंडन होते है तो चम्ब्याली धाम के मुखिया को जरूर शामिल किया जाता है और लोग्ज बड़े चाव के साथ इस व्यजन का लुत्फ़ उठाते है ,Body:चंबा में जब भी देश के अलग अलग हिसों से पर्यटक पहुँचते है तो सबसे पहले किसी भी होटल में चम्ब्याली मंद्राह की दीमंद कर देते है और इस व्यजन की महक के हर कोई दीवाने हो जाते है ,देश के अलग हिस्सों से पर्यटक इस व्यंजन का लुत्फ़ उठाते है हालंकि हिमाचल प्रदेश में किसी भी कौने में शादी समारोह के लिए चंबा के करिगिरो को स्पेशल बुलाया जाता है इस धाम को बनाने के लिए Conclusion:क्या कहते है मद्राह बनाने वाले कारीगर
वहीँ दूसरी और मद्राह बनाने वाले कारीगर का कहना है की चंबा मद्राह अपनी अलग पहचान रखता है इसे देसी घी में बनाया जाता है जिसके बाद इसे शादी व्याह मुंडन आड़े में धाम के रूप में शामिल किया जाता है मद्राह अपनी अलग पहचान रखता है
Last Updated : Dec 20, 2019, 9:34 AM IST
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