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स्कैब रोग ने बढ़ाई बागवानों की परेशानी, सेबों पर दाग पड़ने से बाजार में नहीं मिलेगा उचित दाम

सर्दियों के मौसम में बगीचों के टूटने से हुए नुकसान के बाद अब बागवानों को स्कैब रोग का डर सता रहा है. चंबा जिले में सेब के पेड़ों में लगी इस बीमारी ने बागवानों को मायूस कर दिया है.

signs of scab disease showing on apple in chamba
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Published : Jul 2, 2019, 6:07 AM IST

चंबा: हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी जिला चम्बा के बागवान इन दिनों काफी परेशानी दिखाई दे रहे हैं. सेब के पेड़ों स्कैब नाम की बीमारी लगने से सेब पर दाग पड़ने लगे हैं. ऐसे में इस बीमारी ने बागवानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है.

बागवानों ने सर्दियों में भारी बर्फबारी होने से इस बार सेब की पैदावार काफी ज्यादा होने की संभावना थी, और उसके ही अनुरूप सेब की फसल तैयार हो रही थी. लेकिन अचानक इस बीमारी ने बागवानों को मायूस कर दिया है.

ये भी पढ़ें: किन्नौर में सेब पर मंडराने लगा स्कैब खतरा, बागवानी विभाग में अधिकारियों की छुट्टियां रद्द

चम्बा जिला के सभी पहाड़ी इलाकों में हालात एक जैसे ही हैं. इस बार बागवान मुनाफे की सोच रहे थे लेकिन मुनाफे की जगह बागवानों को नुकसान झेलना पड़ सकता है. हालांकि सर्दियों के मौसम में बागवानों को काफी नुकसान बगीचों के टूटने से हुआ था. वहीं, दूसरी तरफ बागवानों का कहना है कि भारी बर्फबारी के बाद फसल अच्छी जा रही थी लेकिन अचानक सेबों पर दाग निकलने से मश्किलें बढ़ गई हैं. जहां हम मुनाफे की सोच रहे थे अब हमें घाटा सहना पड़ सकता है.

क्या है स्कैब के लक्षण

  • सेब के पेड़ की पत्तियों में काले धब्बे पड़ना
  • सेब के फल का निचला हिस्सा काला पड़ जाना
  • फल में काले धब्बे पड़ना
  • सेब की पत्तियों का भूरा पड़ जाना

कैसे करें बचाव

  • नियमित रूप से विभाग द्वारा दिये शेड्यूल पर करें स्प्रे
  • 200 लीटर पानी 150 ml का करें प्रयोग
  • बिना विभागीय परामर्श के न करें कोई अतिरिक्त स्प्रे

चंबा: हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी जिला चम्बा के बागवान इन दिनों काफी परेशानी दिखाई दे रहे हैं. सेब के पेड़ों स्कैब नाम की बीमारी लगने से सेब पर दाग पड़ने लगे हैं. ऐसे में इस बीमारी ने बागवानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है.

बागवानों ने सर्दियों में भारी बर्फबारी होने से इस बार सेब की पैदावार काफी ज्यादा होने की संभावना थी, और उसके ही अनुरूप सेब की फसल तैयार हो रही थी. लेकिन अचानक इस बीमारी ने बागवानों को मायूस कर दिया है.

ये भी पढ़ें: किन्नौर में सेब पर मंडराने लगा स्कैब खतरा, बागवानी विभाग में अधिकारियों की छुट्टियां रद्द

चम्बा जिला के सभी पहाड़ी इलाकों में हालात एक जैसे ही हैं. इस बार बागवान मुनाफे की सोच रहे थे लेकिन मुनाफे की जगह बागवानों को नुकसान झेलना पड़ सकता है. हालांकि सर्दियों के मौसम में बागवानों को काफी नुकसान बगीचों के टूटने से हुआ था. वहीं, दूसरी तरफ बागवानों का कहना है कि भारी बर्फबारी के बाद फसल अच्छी जा रही थी लेकिन अचानक सेबों पर दाग निकलने से मश्किलें बढ़ गई हैं. जहां हम मुनाफे की सोच रहे थे अब हमें घाटा सहना पड़ सकता है.

क्या है स्कैब के लक्षण

  • सेब के पेड़ की पत्तियों में काले धब्बे पड़ना
  • सेब के फल का निचला हिस्सा काला पड़ जाना
  • फल में काले धब्बे पड़ना
  • सेब की पत्तियों का भूरा पड़ जाना

कैसे करें बचाव

  • नियमित रूप से विभाग द्वारा दिये शेड्यूल पर करें स्प्रे
  • 200 लीटर पानी 150 ml का करें प्रयोग
  • बिना विभागीय परामर्श के न करें कोई अतिरिक्त स्प्रे
Intro:सकैब की बीमारी से बागवान परेशान ,सेबों पे दाग पड़ने से बाजार में नही मिलेगा उचित मूल्य । स्पेशल रिपोर्ट । हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी ज़िला चम्बा के बागवान इन दिनों काफी परेशानी दिखाई दे रहे है ।सेब के पेड़ों पे एक बीमारी निकली है जिससे अचानक सेब पे दाग पड़ने लगे है अभी तोपिक सीजन शुरू भी नही हुआ है ,ऐसे में इस बीमारी ने बागवानों के माथे पे लकीरे खींचने का काम शुरू कर दिया है ,सर्दियों में भारी बर्फबारी होने से इस बार सेब की पैदावार काफी ज्यादा होने की संभावना थी ,ओर उसके अनुरूप भी फसल तैयार हो रही थी लेकिन अचानक बीमारी ने बागवानों को मायूस करने का काम शुरू कर दिया है ।


Body:चम्बा ज़िला के तमाम पहाड़ो इलाकों में हालात एक जैसे ही है इस बार बागवान मुनाफे की सोच रहे थे लेकिन मुनाफे की जगह बागवानों को नुकसान झेलना पड़ सकता है हालांकि सर्दियों के मौसम में बागवानों को काफी नुकसान बगीचों के टूटने से हुआ था लेकिन वक्त के साथ जख्म भी भर गये थे ,फिलहाल सकैब जैसी बीमारी से बागवानों कोंकाफी नुकसान झेलना पड़ेगा ।।वहीं दूसरी तरफ बागवानों का कहना है कि भारी बर्फबारी के बाद फसल अच्छी जा रही थी लेकिन अचानक सेबों पे दाग निकलने से मश्किलें बढ़ गई है जहां हैम मुनाफे की सोच रहे थे अब हमें घाटे के साथ ही संतुष्ट होने पड़ेगा जिससे सभी बागवान परेशान है ।


Conclusion:उम्मीद यही की जा सकती है कि अगर समय रहते सरकार ने कुछ कदम नही उठाये तो हिमचल की आर्थिकी की कमर टूट जाएगी जिससे कई परिवारों पे इसका असर देखने को मिलेगा
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