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मिंजर मेले में दिखी चंबा की संस्कृति की झलक, पुराने गानों और कलाकारों को दी जा रही तरजीह - चंबा की संस्कृति

मिंजर मेले में पुराने कलाकारों सहित नए कलाकारों को भी प्रशासन ने मौका दिया है ताकि चंबा के युवा गायन के क्षेत्र में आगे बढ़ सके.

मिंजर मेला
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Published : Jul 30, 2019, 11:04 PM IST

चंबा: जिला चंबा में पिछले चार सौ साल से विशेष परम्परा के तहत मिंजर मेले का आयोजन किया जाता रहा है लेकिन इस बार प्रशासन ने अलग पहल की है. जिस थीम दिया गया है 'नया चंबा'.

'नया चंबा' के तहत पुरानी संस्कृति को जिंदा रखने के लिए इस बार चंबा में मिंजर का संचालन करने वाले एंकर को भी चम्ब्याली वेशभूषा पहनकर मंच का संचालन करना पड़ रहा है. इससे साफ जाहिर है की प्रशासन की पहल कहीं न कहीं रंग ला रही है.

मिंजर मेला

इसके आलावा चंबा के अधिकतर पुरानी ऐतिहासिक गानों से पुराने गायकों को मंच दिया जा रहा है और ये कहा जाए की इस बार चंबा जिला के ही 80 प्रतिशत कलकारों को मौका दिया गया है तो इससे गुरेज नहीं होगा. पुराने कलाकारों सहित नए कलाकारों को भी प्रशासन ने मौका दिया है ताकि चंबा के युवा गायन के क्षेत्र में आगे बढ़ सके.

चंबा: जिला चंबा में पिछले चार सौ साल से विशेष परम्परा के तहत मिंजर मेले का आयोजन किया जाता रहा है लेकिन इस बार प्रशासन ने अलग पहल की है. जिस थीम दिया गया है 'नया चंबा'.

'नया चंबा' के तहत पुरानी संस्कृति को जिंदा रखने के लिए इस बार चंबा में मिंजर का संचालन करने वाले एंकर को भी चम्ब्याली वेशभूषा पहनकर मंच का संचालन करना पड़ रहा है. इससे साफ जाहिर है की प्रशासन की पहल कहीं न कहीं रंग ला रही है.

मिंजर मेला

इसके आलावा चंबा के अधिकतर पुरानी ऐतिहासिक गानों से पुराने गायकों को मंच दिया जा रहा है और ये कहा जाए की इस बार चंबा जिला के ही 80 प्रतिशत कलकारों को मौका दिया गया है तो इससे गुरेज नहीं होगा. पुराने कलाकारों सहित नए कलाकारों को भी प्रशासन ने मौका दिया है ताकि चंबा के युवा गायन के क्षेत्र में आगे बढ़ सके.

Intro:कई सालों बाद दिखी चंबा की संस्कृति की झलक ,नया चंबा दिया गया थीम ,चंबा की बेशभूषा में एंकर संभाल रहे मंच ,साथ ही चंबा के पुराने गानों और कलाकरों को दी रही तरजीह

चंबा में मिंजर मेला पिछले 400 साल से विशेष परम्परा के तहत मनाया जाता हैं ,लेकिन इस बार प्रशासन ने अलग पहल शुरू की हैं , जिसे थीम दिया गया हैं , "नया चंबा " नया चंबा के तहत चंबा की पुरानी संस्कृति को ज़िदा रखने के लिए इस बार चंबा में मिंजर का सञ्चालन करने वाले एंकर को भी चम्ब्याली वेशभूषा पहनकर मंच का सञ्चालन करना पड़ रहा है ,जिससे साफ़ जाहिर है की प्रशासन की पहल कहीं ना कहीं रंग ला रही हैं ,Body:इसके आलावा चंबा के अधिकतर पुरानी एतिहासिक गानों से पुराने गायकों को मंच दिया जा रहा हैं और ये कहा जाए की इस बार चंबा जिला के ही 80 प्रतिशत कलकारों को मौका दिया गया हैं तो इससे गुरेज नहीं होगा ,इस बार मंच शुरू होते ही चंबा जिला के मुसदा गायन को लेकर एक जोड़ी मंच समभाल लेती है जो करीब आधा घंटा चंबा की पुरानी संस्कृति को सहेजे हुए है दीखते हैं Conclusion:आज भी चंबा में हिमाचली तड़का देखने को मिला और चम्बयाली पुराने कलाकारों सहित नया युवाओं को भी प्रशासन ने मौका दिया हिं ताकि चंबा के युवाओं को गायन के क्षेत्र में आगे लाया जाए
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