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जज्बा कुछ कर गुजरने का: चंबा के बागवान रमेश का खेतीबाड़ी से बागवानी तक का सफर... आज दूसरों को भी दे रहे रोजगार

जिला चंबा की लनोट पंचायत के (Lanot Panchayat of Chamba) रहने वाले रमेश कुमार ने बागवानी में अपनी किस्मत आजमाई, जिसमें उन्हें बड़ी सफलता हासिल हुई. सरकारी नौकरी की तलाश में भटकने के बाद जब कुछ हासिल नहीं हुआ तो उन्होंने खेतीबाड़ी को अपनी आय का जरिया बनाया. सब्जी और फूलों की खेती करने के बाद भी जब रमेश की कुछ बड़ा करने की ललक खत्म नहीं हुई तो उन्होंने सेब के पौधों की नर्सरी लगाकर बागवानी के क्षेत्र में अपना कदम (apple orchards in Chamba) रखा. वर्तमान में न केवल रमेश सालाना सात से आठ लाख रूपये कमा रहे हैं, बल्कि दूसरे लोगों को रोजगार देने और उन्हें बागवानी करने के लिए भी प्रेरित कर रहे हैं.

apple orchards in Chamba
चंबा के बागवान रमेश
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Published : Jan 4, 2022, 1:44 PM IST

Updated : Jan 4, 2022, 4:46 PM IST

चंबा: कहते हैं दिल में कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो मंजिल खुद ब खुद मिल जाया करती है. कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है चंबा जिले के सलूणी उपमंडल के तहत आने वाली लनोट पंचायत निवासी रमेश कुमार ने. बता दें कि रमेश ने बागवानी को अपनी आजिविका का जरिया बनाया और आज वह लाखों रुपए कमा रहे हैं. पहले तो रमेश कुमार नौकरी की तलाश में भटकते रहे, लेकिन नौकरी नहीं मिलने की सूरत में उन्होंने खेतीबाड़ी से अपना कारोबार शुरू किया. उसके बाद रामप्रसाद जो कि प्रशासनिक अधिकारी हैं, उन्होंने रमेश जैसे युवाओं को सब्जी उत्पादन की (Ramesh promoting gardening in Chamba) ओर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया.

रमेश कुमार का सपना कुछ बड़ा करने का था (Journey of Chamba gardener Ramesh) तो उन्होंने सब्जी के बाद फूलों की खेती शुरू की, फिर सोचा कुछ और बेहतर करने का प्रयास किया जाए तो उन्होंने बागवानी को चुना और सेब की नर्सरी लगाई. जिसके बाद अच्छी क्वालिटी के सेब के पौधे (apple orchards in Chamba) पैदा करने शुरू कर दिए. रमेश कुमार की मेहनत ने ऐसे मुकाम हासिल किया जैसे मानो वह किसी बड़ी कंपनी के सीईओ हों. रमेश कुमार सालाना आठ से दस लाख रुपए कमाते हैं. हालांकि रमेश कुमार ने अपने साथ-साथ 20 बागवानों को भी आत्मनिर्भर बनाया है. इसके साथ ही रमेश कुमार ने 3 युवाओं को अपने साथ रोजगार भी दिया है, जो पूरा साल उनके साथ काम करते हैं.

वीडियो.

रमेश कुमार युवा बागवानों को भी आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, ताकि युवाओं को अपने घर द्वार रोजगार के साधन उपलब्ध हो सकें. कोरोना महामारी के दौर में कई युवा बेहतरीन कंपनियों से अपनी नौकरी छोड़कर घर आ गए, लेकिन उनके पास कोई रोजगार का जरिया नहीं है. ऐसे में रमेश कुमार का कहना है कि अगर कड़ी मेहनत और लगन से अपने खेतों में बागवानी करें (Apple production in Chamba) तो हम किसी भी बड़ी कंपनी का बेहतर से बेहतर पैकेज अपने गांव में कमा सकते हैं और साथ ही बेरोजगार युवाओं को रोजगार भी दे सकते हैं.

युवा बागवान रमेश कुमार का कहना है की उन्होंने रोजगार पाने के लिए काफी मेहनत की. जिसकी शुरूआत खेतीबाड़ी से की. उसके बाद सब्जी उत्पादन सहित फूलों की खेती शुरू की, लेकिन उन्हें कुछ बड़ा करना था. ऐसे में बागवानी और सेब के पौधों की नर्सरी शुरू की. अपनी नर्सरी से बहतरीन क्वालिटी के सेब के पोधे तैयार किए और एक बीघा में दो से ढाई सौ पेड़ लगाए.

रमेश बतातें हैं कि एक बीघा से पांच लाख तक कमाई होती है और साल में सात से आठ लाख कमा लेते हैं. साथ ही तीन लोगों को साल भर बागवानी से रोजगार देते हैं. जिन बागवानों को सेब के पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया (gardener Ramesh becomes inspiration) वो भी अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं. रमेश कुमार का कहना है की बागवानी से बेहतरीन पैकेज हम गांव में कमा सकते हैं. ऐसे में बेरोजगार युवा भी बागवानी को अपनाएं.

वहीं, दूसरी ओर बागवान रमेश कुमार के बेटे सुनील कुमार का कहना है की उन्होंने होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई की और गांव में आकर अपने पापा के साथ बागवानी को बढ़ावा दे रहे हैं. बेरोजगारी के दौर में बागवानी सबसे बेहतर विकल्प युवाओं के पास है. हम अपने खेतों में काम करके बेहतर से बेहतर पैकेज कमा सकते हैं. वहीं, दूसरी ओर युवा बागवान सुरेश कुमार का कहना है की उन्होंने बागवानी को चुना और उसके लिए रमेश कुमार ने उनकी मदद की. आज हम अपने परिवार को बढ़िया से चला रहे हैं. उन्होंने बताया कि आजकल वह सेब के बगीचों में कार्य कर रहे हैं और प्रूनिंग और गुड़ाई का कार्य सीख रहे हैं.

ये भी पढ़ें : यहां उगती है सबसे महंगी और पीएम मोदी की पसंदीदा सब्जी, इसे ढूंढने जंगलों का रुख करते हैं ग्रामीण

चंबा: कहते हैं दिल में कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो मंजिल खुद ब खुद मिल जाया करती है. कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है चंबा जिले के सलूणी उपमंडल के तहत आने वाली लनोट पंचायत निवासी रमेश कुमार ने. बता दें कि रमेश ने बागवानी को अपनी आजिविका का जरिया बनाया और आज वह लाखों रुपए कमा रहे हैं. पहले तो रमेश कुमार नौकरी की तलाश में भटकते रहे, लेकिन नौकरी नहीं मिलने की सूरत में उन्होंने खेतीबाड़ी से अपना कारोबार शुरू किया. उसके बाद रामप्रसाद जो कि प्रशासनिक अधिकारी हैं, उन्होंने रमेश जैसे युवाओं को सब्जी उत्पादन की (Ramesh promoting gardening in Chamba) ओर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया.

रमेश कुमार का सपना कुछ बड़ा करने का था (Journey of Chamba gardener Ramesh) तो उन्होंने सब्जी के बाद फूलों की खेती शुरू की, फिर सोचा कुछ और बेहतर करने का प्रयास किया जाए तो उन्होंने बागवानी को चुना और सेब की नर्सरी लगाई. जिसके बाद अच्छी क्वालिटी के सेब के पौधे (apple orchards in Chamba) पैदा करने शुरू कर दिए. रमेश कुमार की मेहनत ने ऐसे मुकाम हासिल किया जैसे मानो वह किसी बड़ी कंपनी के सीईओ हों. रमेश कुमार सालाना आठ से दस लाख रुपए कमाते हैं. हालांकि रमेश कुमार ने अपने साथ-साथ 20 बागवानों को भी आत्मनिर्भर बनाया है. इसके साथ ही रमेश कुमार ने 3 युवाओं को अपने साथ रोजगार भी दिया है, जो पूरा साल उनके साथ काम करते हैं.

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रमेश कुमार युवा बागवानों को भी आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, ताकि युवाओं को अपने घर द्वार रोजगार के साधन उपलब्ध हो सकें. कोरोना महामारी के दौर में कई युवा बेहतरीन कंपनियों से अपनी नौकरी छोड़कर घर आ गए, लेकिन उनके पास कोई रोजगार का जरिया नहीं है. ऐसे में रमेश कुमार का कहना है कि अगर कड़ी मेहनत और लगन से अपने खेतों में बागवानी करें (Apple production in Chamba) तो हम किसी भी बड़ी कंपनी का बेहतर से बेहतर पैकेज अपने गांव में कमा सकते हैं और साथ ही बेरोजगार युवाओं को रोजगार भी दे सकते हैं.

युवा बागवान रमेश कुमार का कहना है की उन्होंने रोजगार पाने के लिए काफी मेहनत की. जिसकी शुरूआत खेतीबाड़ी से की. उसके बाद सब्जी उत्पादन सहित फूलों की खेती शुरू की, लेकिन उन्हें कुछ बड़ा करना था. ऐसे में बागवानी और सेब के पौधों की नर्सरी शुरू की. अपनी नर्सरी से बहतरीन क्वालिटी के सेब के पोधे तैयार किए और एक बीघा में दो से ढाई सौ पेड़ लगाए.

रमेश बतातें हैं कि एक बीघा से पांच लाख तक कमाई होती है और साल में सात से आठ लाख कमा लेते हैं. साथ ही तीन लोगों को साल भर बागवानी से रोजगार देते हैं. जिन बागवानों को सेब के पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया (gardener Ramesh becomes inspiration) वो भी अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं. रमेश कुमार का कहना है की बागवानी से बेहतरीन पैकेज हम गांव में कमा सकते हैं. ऐसे में बेरोजगार युवा भी बागवानी को अपनाएं.

वहीं, दूसरी ओर बागवान रमेश कुमार के बेटे सुनील कुमार का कहना है की उन्होंने होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई की और गांव में आकर अपने पापा के साथ बागवानी को बढ़ावा दे रहे हैं. बेरोजगारी के दौर में बागवानी सबसे बेहतर विकल्प युवाओं के पास है. हम अपने खेतों में काम करके बेहतर से बेहतर पैकेज कमा सकते हैं. वहीं, दूसरी ओर युवा बागवान सुरेश कुमार का कहना है की उन्होंने बागवानी को चुना और उसके लिए रमेश कुमार ने उनकी मदद की. आज हम अपने परिवार को बढ़िया से चला रहे हैं. उन्होंने बताया कि आजकल वह सेब के बगीचों में कार्य कर रहे हैं और प्रूनिंग और गुड़ाई का कार्य सीख रहे हैं.

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Last Updated : Jan 4, 2022, 4:46 PM IST
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