बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश और पंजाब सीमा पर स्थित भाखड़ा विस्थापितों का एक ऐसा गांव, जो आजादी के 70 साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. खूबसूरत पहाड़ियों के बीच बसे गांव कल्लर में आज भी सड़क, स्कूल और हॉस्पिटल की सुविधा नहीं है. लोग आदिवासियों की तरह जिंदगी गुजारने पर मजबूर हैं.
श्री आनंदपुर साहिब से लगभग 24 किमी दूर और श्री नेना देवी से लगभग 7 किमी दूर पहाड़ियों में बसे गांव किल्लर को पंजाब सरकार भुला चुकी है. हालांकि इस गांव के कुछ घर हिमाचल की दी हुई बिजली से रोशन हैं. लेकिन कई ऐसे भी घर हैं जहां आज भी महिलाएं दीपक की रोशनी में खाना बनाने और बच्चों को पढ़ाने पर मजबूर हैं.
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जहां पर आज मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया की बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं. वहीं, हिमाचल और पंजाब सीमा पर बसा ये गांव इन दावों को हकीकत बयां कर रहा है. गांव में करीब 60 घर हैं. चुनाव के वक्त ही नेता अपने लिए वोट मांगने पहुंचते हैं लेकिन चुनाव के बाद इस गांव को पूछने वाला कोई नहीं होता है. बुजुर्गों को यह पता ही नहीं कि उनके प्रदेश के मुख्यमंत्री कौन है.
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गांव की महिलाओं ने सरकार से मांग की है कि कम से कम उनके गांव में मूलभूत सुविधाएं बिजली, पानी, डिस्पेंसरी, सड़क मुहैया करवाई जाए ताकि गांव में रहने वाले लोगों को जरूरी सुविधाएं मिल सके. लोगों का कहना है कि उनके बुजुर्ग तो इन सुविधाओं के लिए तरसते हुए मौत की नींद सो चुके हैं, लेकिन उनकी आने वाली पीढ़ियां भी बिना सुविधाओं के जीवन बसर करने पर मजबूर हैं.