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इस गांव में अंधेरे में खाना बनाती है मां, दीए की रौशनी में पढ़ते हैं बच्चे, न स्कूल और न हॉस्पिटल

श्री आनंदपुर साहिब से लगभग 24 किमी दूर और श्री नेना देवी से लगभग 7 किमी दूर पहाड़ियों में बसा है ये गांव. यहां रहने वाले लोगों की सरकार से मांग है कि उनके गांव को बिजली, पानी, अस्तपाल और सड़क की सुविधा मुहैया कराई जाए.

मूलभूत सुविधाओं से वंचित कल्लर गांव.
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Published : May 18, 2019, 1:39 PM IST

बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश और पंजाब सीमा पर स्थित भाखड़ा विस्थापितों का एक ऐसा गांव, जो आजादी के 70 साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. खूबसूरत पहाड़ियों के बीच बसे गांव कल्लर में आज भी सड़क, स्कूल और हॉस्पिटल की सुविधा नहीं है. लोग आदिवासियों की तरह जिंदगी गुजारने पर मजबूर हैं.

श्री आनंदपुर साहिब से लगभग 24 किमी दूर और श्री नेना देवी से लगभग 7 किमी दूर पहाड़ियों में बसे गांव किल्लर को पंजाब सरकार भुला चुकी है. हालांकि इस गांव के कुछ घर हिमाचल की दी हुई बिजली से रोशन हैं. लेकिन कई ऐसे भी घर हैं जहां आज भी महिलाएं दीपक की रोशनी में खाना बनाने और बच्चों को पढ़ाने पर मजबूर हैं.

ये भी पढ़ें: इस पोलिंग स्टेशन पर न बिजली न सड़क, कैसे चलेंगी EVM, खच्चरों पर पोलिंग बूथ तक पहुंचाया सामान

जहां पर आज मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया की बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं. वहीं, हिमाचल और पंजाब सीमा पर बसा ये गांव इन दावों को हकीकत बयां कर रहा है. गांव में करीब 60 घर हैं. चुनाव के वक्त ही नेता अपने लिए वोट मांगने पहुंचते हैं लेकिन चुनाव के बाद इस गांव को पूछने वाला कोई नहीं होता है. बुजुर्गों को यह पता ही नहीं कि उनके प्रदेश के मुख्यमंत्री कौन है.

ये भी पढ़ें: कांग्रेसियों को है गुलाम बने रहने की आदत, सरकार बनते ही हटाएंगे धारा 370 और 35ए- अनुराग

गांव की महिलाओं ने सरकार से मांग की है कि कम से कम उनके गांव में मूलभूत सुविधाएं बिजली, पानी, डिस्पेंसरी, सड़क मुहैया करवाई जाए ताकि गांव में रहने वाले लोगों को जरूरी सुविधाएं मिल सके. लोगों का कहना है कि उनके बुजुर्ग तो इन सुविधाओं के लिए तरसते हुए मौत की नींद सो चुके हैं, लेकिन उनकी आने वाली पीढ़ियां भी बिना सुविधाओं के जीवन बसर करने पर मजबूर हैं.

बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश और पंजाब सीमा पर स्थित भाखड़ा विस्थापितों का एक ऐसा गांव, जो आजादी के 70 साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. खूबसूरत पहाड़ियों के बीच बसे गांव कल्लर में आज भी सड़क, स्कूल और हॉस्पिटल की सुविधा नहीं है. लोग आदिवासियों की तरह जिंदगी गुजारने पर मजबूर हैं.

श्री आनंदपुर साहिब से लगभग 24 किमी दूर और श्री नेना देवी से लगभग 7 किमी दूर पहाड़ियों में बसे गांव किल्लर को पंजाब सरकार भुला चुकी है. हालांकि इस गांव के कुछ घर हिमाचल की दी हुई बिजली से रोशन हैं. लेकिन कई ऐसे भी घर हैं जहां आज भी महिलाएं दीपक की रोशनी में खाना बनाने और बच्चों को पढ़ाने पर मजबूर हैं.

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जहां पर आज मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया की बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं. वहीं, हिमाचल और पंजाब सीमा पर बसा ये गांव इन दावों को हकीकत बयां कर रहा है. गांव में करीब 60 घर हैं. चुनाव के वक्त ही नेता अपने लिए वोट मांगने पहुंचते हैं लेकिन चुनाव के बाद इस गांव को पूछने वाला कोई नहीं होता है. बुजुर्गों को यह पता ही नहीं कि उनके प्रदेश के मुख्यमंत्री कौन है.

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गांव की महिलाओं ने सरकार से मांग की है कि कम से कम उनके गांव में मूलभूत सुविधाएं बिजली, पानी, डिस्पेंसरी, सड़क मुहैया करवाई जाए ताकि गांव में रहने वाले लोगों को जरूरी सुविधाएं मिल सके. लोगों का कहना है कि उनके बुजुर्ग तो इन सुविधाओं के लिए तरसते हुए मौत की नींद सो चुके हैं, लेकिन उनकी आने वाली पीढ़ियां भी बिना सुविधाओं के जीवन बसर करने पर मजबूर हैं.

Intro:भाखड़ा बिस्थपितों का एक ऐसा गावं जो पंजाब हिमाचल सीमा पर स्थित हैं जो की पंजाब में आता हैं आजादी के आजादी के 70 दशक बीत जाने के बाद भी आज भी बिजली स्कूल डिस्पेंसरी हॉस्पिटल सड़क से मेहरूम हैं जिस गांव में आज भी लोग आदिवासियों की तरह जीवन व्यतीत कर रहे हैं हलाकि इस गावं के कई घरों को हिमाचल ने रोशन किया हैं बिजली दी हैं लेकिन बिडंबना यह हैं की पंजाब सरकार इस गावं को भुला चुकी हैं कई घरों में ग्रामीण महिलाये आज भी दीपक की रौशनी में खाना बनाती हैं बच्चों को पढ़ाती हैं इस गावं का नाम कल्लर हैं ये कोई दुर्गम इलाके में नहीं पहाड़ियों के बिच बसा एक गावं हैं जो श्री आंनदपुर साहिब से लगभग 24 किलोमीटर दूर हैं और श्री नैना देवी से लगभग 7 किलोमीटर दूर हैं Body:byte vishul Conclusion:भाखड़ा बिस्थपितों का एक ऐसा गावं जो पंजाब हिमाचल सीमा पर स्थित हैं जो की पंजाब में आता हैं आजादी के आजादी के 70 दशक बीत जाने के बाद भी आज भी बिजली स्कूल डिस्पेंसरी हॉस्पिटल सड़क से मेहरूम हैं जिस गांव में आज भी लोग आदिवासियों की तरह जीवन व्यतीत कर रहे हैं हलाकि इस गावं के कई घरों को हिमाचल ने रोशन किया हैं बिजली दी हैं लेकिन बिडंबना यह हैं की पंजाब सरकार इस गावं को भुला चुकी हैं कई घरों में ग्रामीण महिलाये आज भी दीपक की रौशनी में खाना बनाती हैं बच्चों को पढ़ाती हैं इस गावं का नाम कल्लर हैं ये कोई दुर्गम इलाके में नहीं पहाड़ियों के बिच बसा एक गावं हैं जो श्री आंनदपुर साहिब से लगभग 24 किलोमीटर दूर हैं और श्री नैना देवी से लगभग 7 किलोमीटर दूर हैं
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जहां पर आज मेक इन इंडिया डिजिटल इंडिया की बड़ी बड़ी बातें की जाती है वहीं पर हिमाचल और पंजाब सीमा पर बसा ये गांव कुछ और ही हकीकत बयां करता है बिना लाइट से अंधेरे में काम करती छोटे-छोटे बच्चे इस बैज्ञानिक युग में भी आदिवासी युग की याद आ जाए इस गांव में लगभग 60 0 से 70 घर है कई घरों को हिमाचल सरकार ने बिजली दे दी है लेकिन अभी भी कई घर बिजली से महरूम है सबसे बड़ी विडंबना तो यह है कि इस गांव में चुनावों के समय दो नेता लोग पहुंचते हैं लेकिन चुनावों के बाद इस गांव में कोई भी मंत्री या मुख्यमंत्री इस गांव में अभी तक नहीं पहुंचा है बुजुर्गों को यह पता ही नहीं कि उनके प्रदेश के मुख्यमंत्री कौन है लोगों का कहना है कि वह आज भी 100 वर्ष पहले का जीवन व्यतीत कर रहे
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गावं की महिलाओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से देश के अन्य नेताओं से मांग की है कि कम से कम उनके गांव में मूलभूत सुविधाएं बिजली पानी डिस्पेंसरी सड़क मुहैया करवाई जाए ताकि वह भी अन्य लोगों की तरह जीवन व्यतीत कर सकें लोगों का कहना है कि उनके बुजुर्ग तो इन सुविधाओं के लिए तरसे तरसे मृत्यु को प्राप्त हो गए लेकिन आज उनकी भी हालत यही है जबकि आने वाली पीढ़ियों
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visual .....अँधेरे में एक बच्ची रोटी बनाती ,अँधेरे में बैठी महिलाये ,गवां के दृश्य ,घरों के दृश्य और अन्य
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