बिलासपुर: 2016-17 में बिलासपुर जिले के नैना देवी विधानसभा क्षेत्र में हुए अवैध खैर कटान मामले की जांच अब अंतिम चरण पर पहुंच गई है. विजिलेंस दो माह के भीतर कोर्ट में अब सारी चार्टशीट पेश करने जा रही है. लंबे समय से जांच में चल रहे इस मामले में अब वन विभाग के (Illegal Felling Of Khair Trees In Naina Devi) अधिकारियों सहित कर्मचारियों पर भी गाज गिरना संभवतः तय हो गया है क्योंकि विजिलेंस के अधिकारियों का कहना है कि करोड़ों रूपये का हुआ अवैध कटान अधिकारियों के संरक्षण के बिना संभव नहीं था.
विजिलेंस जांच के अंतिम छोर पर पहुंच गया है और दो माह के भीतर इस मामले की चार्टशीट तैयार कर आरोपियों को गिरफतार किया जाएगा. बिलासपुर में तैनात विजिलेंस डीएसपी संजय कुमार ने कहा कि नैना देवी बीट में 14500 खैर का अवैध कटान हुआ है. मामले की जांच की गई तो पाया कि इस खैर को आरोपियों द्वारा हिमाचल के उना, दिल्ली, पंजाब और हरियाणा की कत्था फैक्ट्रियों तक पहुंचाया गया था. जिसे लगभग 35 करोड़ की लागत में बेचा भी गया है.
वहीं, इस मामले में अभी तक वन विभाग के बीओ सहित तीन फाॅरेस्ट गार्ड को गिरफ्तार किया जा चुका है. वहीं, डीएसपी का कहना है कि जांच तेजी से चली हुई है जिसमें अभी और गिरफ्तारी होना तय है. जिसमें इस मामले में संलिप्त वन विभाग के अधिकारियों सहित कर्मचारियों को गिरफ्तार (Illegal Felling Of Khair Trees In Naina Devi) किया जाएगा. बता दें कि जांच पूरी होने के बाद विजिलेंस एफआईआर में जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदारों के नाम भी जोड़ेगी. अभी तक हुई एफआईआर में लिखा है कि अवैध कटान के लिए वन विभाग के अधिकारी, कर्मचारी और ठेकेदार शामिल हैं.
गौरतलब है कि श्री नैना देवी रेंज में साल 2016-17 में अवैध खैर कटान का मामला सामने आया था. जिसमें सलोआ, भाखड़ा, बड़ोह, कोट और बस्सी वन बीट में करीब 18 हजार खैर के पेड़ काटे गए हैं. विजिलेंस के अधिकारियों ने कई चेक पोस्टों, वन कर्मचारियों के घरों के अलावा ठेकेदारों के यहां छापे मारकर साक्ष्य जुटाए थे. मामले में पीएमओ के हस्तक्षेप के बाद विजिलेंस जांच शुरू हुई थी. वर्तमान में मामले से जुड़ी करीब 85 फीसदी जांच पूरी हो चुकी है.
उधर, डीएसपी विजिलेंस (Himachal vigilance department ) बिलासपुर संजय कुमार ने बताया कि मामले की जांच जारी है. जल्द ही इस मामले की चार्टशीट कोर्ट में पेश करने जा रहे हैं. इस मामले में अभी वन विभाग के और अधिकारियों व कर्मचारियों की गिरफ्तारी हो सकती है. मामले की जांच अंतिम चरण में पहुंच गई है और दो माह के भीतर इस मामले की जड़ तक पहुंचकर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा.