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शहर की आबोहवा में घुल रहा जहर! नहीं बरती सावधानी तो पड़ सकता है भारी - Pollution board bilaspur

यूं तो प्रदूषण का असर हर उम्र के लोगों पर होता है, लेकिन बुजुर्गों व बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के कारण उन्हें खतरा अधिक होता है. बच्चे यदि लंबे समय तक प्रदूषित वातारण में रहते हैं तो उनके फेफड़ों का विकास प्रभावित होता है और इसकी कार्य क्षमता उतनी नहीं रहती, जितनी होनी चाहिए

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Published : Feb 23, 2021, 4:39 PM IST

बिलासपुर: धरती की फिजाओं में घुलता ये धुंआ मौजूदा दौर में इस दुनिया की सबसे बड़ी चिंता है. दुनिया के बड़े शहर आधुनिकता की इस दौड़ में भागते-भागते अब हांफने लगे हैं, क्योंकि आधुनिकता के लिए जो कीमत इन शहरों ने चुकाई है उसके बदले उन्हें ये प्रदूषण मिला है. प्रदूषण का ये जहर बड़े-बड़े शहरों के साथ अब पहाड़ों की फिजाओं में भी घुल रहा है. हिमाचल के शहर भी इससे अछूते नहीं है.

अगर हिमाचल प्रदेश के जिला बिलासपुर की बात करें तो यहां पर गोबिंद सागर झील होने के चलते सर्दियों में धुंध और कोहरे की मात्रा अधिक होती है. जिसके चलते प्रदूषण का स्तर भी बढ़ जाता है. हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर शहर में भी सर्दियों के मुकाबले गर्मियों में एयर क्वालिटी इंडेक्स में अंतर देखने को मिला है.

सर्दियों के दौरान हवा में प्रदूषण की ज्यादा मात्रा यातायात के साधनों पर तो ब्रेक लगाती ही है. सर्दी के दौरान हवा में घुला ये जहर सबसे ज्यादा सेहत को नुकसान पहुंचाता है. खासकर सांस और दिल की बीमारी वाले लोगों को ज्यादा समस्या पेश आती है.

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बुजुर्गों व बच्चों को ज्यादा खतरा

यूं तो प्रदूषण का असर हर उम्र के लोगों पर होता है, लेकिन बुजुर्गों व बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के कारण उन्हें खतरा अधिक होता है. बच्चे यदि लंबे समय तक प्रदूषित वातारण में रहते हैं तो उनके फेफड़ों का विकास प्रभावित होता है और इसकी कार्य क्षमता उतनी नहीं रहती, जितनी होनी चाहिए. जिससे 16-17 की उम्र में ही उन्हें सांस संबंधी तकलीफें हो जाती हैं. यहां तक कि कई शोधों में यह बात सामने आ चुकी है कि प्रदूषण के कारण गर्भपात व समय पूर्व प्रीमैच्योर प्रसव जैसी स्थिति भी बन जाती है. यदि गर्भवती महिला को पहले से फेफड़े की कोई बीमारी है तो प्रदूषण बढ़ने पर वह और बढ़ सकती है. ऐसे में गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर ज्यादा नहीं निकलना चाहिए.

क्या कहना है प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों का

प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि बिलासपुर में एयर क्वालिटी की जांच करने के लिए आधुनिक मशीन नहीं है. परंतु बिलासपुर के साथ लगते मंडी जिला के सुंदरनगर उपमंडल में यह मशीन स्थापित की गई है. ऐसे में बिलासपुर का प्रदूषण स्तर सुंदरनगर से आंकलन किया जाता है. सुंदरनगर में वर्तमान समय में एयर क्वालिटी 60 माइक्रो ग्राम आंका गया है. ऐसे में यही मिलता जुलता आंकड़ा प्रदूषण बोर्ड बिलासपुर अपने रिकॉर्ड में रखता है.

सावधानी बरतें

सर्दी-खांसी होने पर रात में हल्दी-दूध का सेवन करें.

सांस व हृदय रोगी डॉक्टर के संपर्क में रहें.

ठंडी चीजों के सेवन से परहेज करें.

सर्दियों के मौसम में गुनगुना पानी पीना बेहतर रहेगा.

खानपान में पौष्टिक चीजों का सेवन करें.

धूमपान न करें.

प्रदूषण व फॉग होने पर सुबह सैर के लिए न जाएं.

सांस की तकलीफ से पीड़ित लोग घर में रहकर ही व्यायाम व योग करें.

गले में खराश होने पर गर्म पानी से गरारा करें.

सांस लेने में परेशानी हो तो भांप ले सकते हैं.

परेशानी अधिक होने से डॉक्टर से संपर्क करें.

रेड कैटेगरी में रहा है औद्योगिक क्षेत्र बद्दी और परवाणू

औद्योगिक क्षेत्र बद्दी और परवाणू पर्यावरण प्रदूषण को लेकर रेड कैटेगरी में ही रहा है. यहां के उद्योगों से निकलने वाला विषैला धुआं वातावरण को काफी प्रभावित कर चुका है. यहां की हवा को साफ सुथरा बनाए रखने के लिए एनजीटी और कोर्ट भी समय-समय पर संज्ञान लेते रहें. बावजूद इसके यहां पर प्रदूषण कम नहीं हो पा रहा है. हिमाचल में अलग अलग जिलों में हो रहे निर्माण कार्यों के चलते जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में भी परिवर्तन साफ देखा जा सकता है.

एयर क्वालिटी

एयर क्वालिटी की बात करें तो जीरो से 50 की कैटेगरी गुड, 51 से 100 संतोषजनक, 101 से 200 मॉडरेट, 201 से 300 पुअर और 301 से 400 वेरी पुअर माना जाता है. सबसे राहत की बात यहा है कि प्रदेश में किसी भी शहर की प्रदूषण का स्तर अभी तक पुअर श्रेणी में नहीं आया है.

ये भी पढ़ें: पार्टी चिन्ह पर होंगे नगर निगम के चुनाव, कैबिनेट ने दी मंजूरी

बिलासपुर: धरती की फिजाओं में घुलता ये धुंआ मौजूदा दौर में इस दुनिया की सबसे बड़ी चिंता है. दुनिया के बड़े शहर आधुनिकता की इस दौड़ में भागते-भागते अब हांफने लगे हैं, क्योंकि आधुनिकता के लिए जो कीमत इन शहरों ने चुकाई है उसके बदले उन्हें ये प्रदूषण मिला है. प्रदूषण का ये जहर बड़े-बड़े शहरों के साथ अब पहाड़ों की फिजाओं में भी घुल रहा है. हिमाचल के शहर भी इससे अछूते नहीं है.

अगर हिमाचल प्रदेश के जिला बिलासपुर की बात करें तो यहां पर गोबिंद सागर झील होने के चलते सर्दियों में धुंध और कोहरे की मात्रा अधिक होती है. जिसके चलते प्रदूषण का स्तर भी बढ़ जाता है. हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर शहर में भी सर्दियों के मुकाबले गर्मियों में एयर क्वालिटी इंडेक्स में अंतर देखने को मिला है.

सर्दियों के दौरान हवा में प्रदूषण की ज्यादा मात्रा यातायात के साधनों पर तो ब्रेक लगाती ही है. सर्दी के दौरान हवा में घुला ये जहर सबसे ज्यादा सेहत को नुकसान पहुंचाता है. खासकर सांस और दिल की बीमारी वाले लोगों को ज्यादा समस्या पेश आती है.

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बुजुर्गों व बच्चों को ज्यादा खतरा

यूं तो प्रदूषण का असर हर उम्र के लोगों पर होता है, लेकिन बुजुर्गों व बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के कारण उन्हें खतरा अधिक होता है. बच्चे यदि लंबे समय तक प्रदूषित वातारण में रहते हैं तो उनके फेफड़ों का विकास प्रभावित होता है और इसकी कार्य क्षमता उतनी नहीं रहती, जितनी होनी चाहिए. जिससे 16-17 की उम्र में ही उन्हें सांस संबंधी तकलीफें हो जाती हैं. यहां तक कि कई शोधों में यह बात सामने आ चुकी है कि प्रदूषण के कारण गर्भपात व समय पूर्व प्रीमैच्योर प्रसव जैसी स्थिति भी बन जाती है. यदि गर्भवती महिला को पहले से फेफड़े की कोई बीमारी है तो प्रदूषण बढ़ने पर वह और बढ़ सकती है. ऐसे में गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर ज्यादा नहीं निकलना चाहिए.

क्या कहना है प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों का

प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि बिलासपुर में एयर क्वालिटी की जांच करने के लिए आधुनिक मशीन नहीं है. परंतु बिलासपुर के साथ लगते मंडी जिला के सुंदरनगर उपमंडल में यह मशीन स्थापित की गई है. ऐसे में बिलासपुर का प्रदूषण स्तर सुंदरनगर से आंकलन किया जाता है. सुंदरनगर में वर्तमान समय में एयर क्वालिटी 60 माइक्रो ग्राम आंका गया है. ऐसे में यही मिलता जुलता आंकड़ा प्रदूषण बोर्ड बिलासपुर अपने रिकॉर्ड में रखता है.

सावधानी बरतें

सर्दी-खांसी होने पर रात में हल्दी-दूध का सेवन करें.

सांस व हृदय रोगी डॉक्टर के संपर्क में रहें.

ठंडी चीजों के सेवन से परहेज करें.

सर्दियों के मौसम में गुनगुना पानी पीना बेहतर रहेगा.

खानपान में पौष्टिक चीजों का सेवन करें.

धूमपान न करें.

प्रदूषण व फॉग होने पर सुबह सैर के लिए न जाएं.

सांस की तकलीफ से पीड़ित लोग घर में रहकर ही व्यायाम व योग करें.

गले में खराश होने पर गर्म पानी से गरारा करें.

सांस लेने में परेशानी हो तो भांप ले सकते हैं.

परेशानी अधिक होने से डॉक्टर से संपर्क करें.

रेड कैटेगरी में रहा है औद्योगिक क्षेत्र बद्दी और परवाणू

औद्योगिक क्षेत्र बद्दी और परवाणू पर्यावरण प्रदूषण को लेकर रेड कैटेगरी में ही रहा है. यहां के उद्योगों से निकलने वाला विषैला धुआं वातावरण को काफी प्रभावित कर चुका है. यहां की हवा को साफ सुथरा बनाए रखने के लिए एनजीटी और कोर्ट भी समय-समय पर संज्ञान लेते रहें. बावजूद इसके यहां पर प्रदूषण कम नहीं हो पा रहा है. हिमाचल में अलग अलग जिलों में हो रहे निर्माण कार्यों के चलते जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में भी परिवर्तन साफ देखा जा सकता है.

एयर क्वालिटी

एयर क्वालिटी की बात करें तो जीरो से 50 की कैटेगरी गुड, 51 से 100 संतोषजनक, 101 से 200 मॉडरेट, 201 से 300 पुअर और 301 से 400 वेरी पुअर माना जाता है. सबसे राहत की बात यहा है कि प्रदेश में किसी भी शहर की प्रदूषण का स्तर अभी तक पुअर श्रेणी में नहीं आया है.

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