बिलासपुरः भाखड़ा विस्थापित शहर बिलासपुर की प्रसिद्ध गोबिंद सागर झील इन दिनों साहसिक जलक्रीड़ाओं से गुलजार हो गई है. यहां पिछले कुछ दिनों से चल रहे जेटस्की, ई-हाइड्रोफॉइल और जेटोवेटर उपकरणों के प्रशिक्षण शिविर में करीब 11 युवाओं को प्रशिक्षकों की ओर से प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान मनाली के निदेशक कर्नल नीरज राणा की देखरेख में जारी इस शिविर प्रशिक्षकों द्वारा जेटस्की, ई-हाइड्रोफॉइल के साथ जेटोवेटर उपकरण की ट्रेनिंग भी दी गई. यह उपकरण काफी साहसी व रोचक वॉटर स्पोर्ट्स का हिस्सा है. इसमें सवार व्यक्ति पानी से करीब 10 से 15 फीट ऊपर उड़ता नजर आता है. इसकी पॉवर पाइप के माध्यम से जेटस्की से जुड़ी होती है, जबकि इसका कंट्रोल इसमें सवार व्यक्ति के हाथ में होता है.
वॉटर स्पोर्ट्स सेंटर पौंग डैम के इंस्ट्रक्टर गिमनर ने जेटोवेटर को झील पर चलाया, तो उपकरण पर सवार इंस्ट्रक्टर को पानी के तेज बहाव के साथ ऊपर उड़ता देख हर कोई हैरान रह गया. झील के आसपास खड़े लोगों ने तालियों के साथ प्रशिक्षकों का हौंसला बढ़ाया. इंस्ट्रक्टर गिमनर ने प्रशिक्षण ले रहे युवाओं को जेटोवेटर को चलाने की ट्रेंनिग दी.
साथ ही इसकी बारीकियों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी. वहीं, वॉटर स्पोर्ट्स सेंटर की प्रभारी जमना ठाकुर, वॉटर स्पोर्ट्स सेंटर पौंग डैम के इंस्ट्रक्टर दीपक ठाकुर और बोट मैन विक्रांत व विरेंद्र कुमार ने भी जेटस्की चलाने का अभ्यास करवाया.
बताते चलें कि बिलासपुर की गोबिंद सागर झील में अटल बिहारी बाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान मनाली के निदेशक कर्नल नीरज राणा की देखरेख में सात दिवसीय प्रशिक्षण शिविर चल रहा है. शिविर में चार प्रशिक्षकों की ओर से 11 युवाओं को जेटस्की, ई-हाइड्रोफॉइल व जेटोवेटर चलाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
तीन अक्तूबर तक चलने वाले इस प्रशिक्षण के बाद इन उपकरणों को तत्तापानी व लारजी में भेज दिया जाएगा. जहां पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इन उपकरणों को नियमित रूप से संचालित किए जाने की योजना है. इसके अलावा ई-हाइड्रोफॉइल मशीनरी इंडिया में पहली बार इंटरड्यूज हुई है. जो पूरी तरह से इको फ्रेंडली है और बैटरी से चलती है.
झील में जेटस्की बनी आकर्षण का केंद्र
रोजाना बिलासपुर गोबिंद सागर झील के पानी की लहरों को चीरते हुए जेटस्की स्थानीय लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं. सुबह से लोग झील किनारे जुटना शुरू हो जाते हैं और अपने मोबाइल के माध्यम से इस साहसी जलक्रीड़ा के उपकरणों की राइड को कैमरों में कैद करते हैं. लोगों का कहना है कि ऐसे उपकरण पहले फिल्मों में भी देखने को मिलते थे और अब इन्हें यूं अपने शहर में प्रत्यक्ष रूप से देखकर काफी अच्छा लग रहा है.
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