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सरस्वती नदी का पुनरुद्धार: पीएम मोदी ने 3 अप्रैल 2014 को कुरूक्षेत्र में किया था वादा - हिमाचल में सरस्वती नदी पर बांध

हरियाणा सरकार जल्द ही हिमाचल प्रदेश की सीमा पर स्थित यमुनानगर जिले के आदि बद्री (Adi Badri Dam in Himachal) क्षेत्र के पास हिमाचल प्रदेश में 77 एकड़ जमीन पर आदि बद्री बांध का निर्माण करने जा रही है. इस बांध के निर्माण के लिए शुक्रवार को हरियाणा और हिमाचल के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए. इस दौरान दोनों राज्यों में मुख्यमंत्री भी वहां मौजूद रहे. समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि इस समझौता ज्ञापन से पीएम मोदी का सपना पूरा होगा. उन्होंने 3 अप्रैल, 2014 को कुरूक्षेत्र में जनसभा को संबोधित करते हुए सरस्वती नदी का पुनरूत्थान करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई थी.

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Published : Jan 21, 2022, 6:24 PM IST

शिमला: हरियाणा सरकार हिमाचल प्रदेश की सीमा पर स्थित यमुनानगर जिले के आदि बद्री (Adi Badri Dam in Himachal) क्षेत्र के पास हिमाचल प्रदेश में 77 एकड़ जमीन पर एक बांध और जलाशय का निर्माण करेगी. आदि बद्री बांध के निर्माण को लेकर शुक्रवार को हरियाणा और हिमाचल के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए. हरियाणा सरकार के साथ पंचकुला में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि इस समझौता ज्ञापन से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना पूरा होगा. उन्होंने 3 अप्रैल, 2014 को कुरूक्षेत्र में जनसभा को संबोधित करते हुए देश की सभी पुरानी धरहरों के जीर्णोद्धार करने की बात कही थी. उसी वक्त सरस्वती नदी के पुनरूत्थान का जिक्र भी किया था. कहा था कि हिमाचल और हरियाणा राज्यों की सरकार को एक मंच पर लाकर नदी को लुप्त होने से बचाया जाएगा.

सरस्वती नदी का होगा पुनरुद्धार- इस परियोजना के माध्यम से 215.35 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से सरस्वती नदी का पुनरुद्धार होगा. हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की उपस्थिति में दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों ने राज्य सरकारों की ओर से समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर (MOU signed between Himachal and haryana) किए. सीएम जयराम ने कहा कि यह परियोजना हिमाचल प्रदेश के लिए अत्यंत लाभदायक सिद्ध होगी. क्योंकि इससे हिमाचल प्रदेश की 3.92 हेक्टेयर मीटर प्रतिवर्ष पेयजल की आवश्यकता की पूर्ति होगी और प्रभावित बस्तियों के लिए सिंचाई के पानी की उपलब्धता के लिए 57.96 हेक्टेयर मीटर पानी निर्धारित किया जाएगा.

हरियाणा सरकार करेगी धनराशि का इंतजाम- उन्होंने कहा कि बांध (Adi Badri Dam) का उपयोग न केवल सरस्वती नदी के पुनरुद्धार के लिए किया जाएगा, बल्कि इससे क्षेत्र में जल संरक्षण को भी सहायता मिलेगी. उन्होंने कहा कि इस परियोजना के लिए पूरी धनराशि की व्यवस्था हरियाणा सरकार द्वारा की जाएगी. उन्होंने कहा कि दोनों राज्य सरकारें परियोजना के प्राथमिक उद्देश्य से समझौता किए बिना स्वयं के संसाधनों का उपयोग करके स्थानीय लोगों के कल्याण और विकास के लिए आवश्यक बुनियादी सुविधाएं विकसित करने के साथ पयर्टन परियोजनाएं बनाने के लिए भी स्वतंत्र होंगी.

21 परिवार होंगे विस्थापित- मुख्यमंत्री ने कहा कि इस परियोजना से प्रदेश के केवल 21 परिवार विस्थापित होंगे, जिनका समुचित पुनर्वास किया जाएगा. विस्थापितों को पुनर्वास पैकेज और जलवायु संरक्षण पैकेज के साथ भविष्य में आदि बद्री बांध से संबंधित लागत/व्यय हिमाचल प्रदेश की प्रचलित नीतियों व अन्य प्रचलित कानूनों के अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा वहन किया जाएगा तथा इससे संबंधित कोई भी देनदारी हिमाचल प्रदेश को हस्तांतरित नहीं की जाएगी.

एचपीपीसीएल करेगी बांध का निर्माण- इस परियोजना के पूरा होने पर सरस्वती नदी फिर से पुनर्जीवित हो जाएगी. उन्होंने कहा कि कुल प्रस्तावित क्षेत्र में से 31.16 हेक्टेयर भूमि हिमाचल प्रदेश की है, जिसमें से 0.67 हेक्टेयर निजी भूमि और 30.49 हेक्टेयर वन भूमि शामिल है. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश की सोंब नदी से बांध को 224 हेक्टेयर मीटर जल की आपूर्ति होगी, जो यमुना नगर जिले में आदिबद्री के समीप यमुना में मिलती है. उन्होंने कहा कि आदिबद्री बांध और इससे संबंधित अधोसंरचना के लिए एचपीपीसीएल कार्यकारी संस्था होगी.

पूरे साल 20 क्यूसेक होगा नदी प्रवाह- इस दौरान हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (CM Khattar on Adi Badri Dam) ने कहा कि गंगा और यमुना के साथ सरस्वती देश की सबसे पवित्र नदी है. इस बांध के बनने से सरस्वती नदी में पूरे साल 20 क्यूसेक जल का प्रवाह होगा. उन्होंने कहा कि घग्गर नदी बहने के रास्ते को सरस्वती नदी का मार्ग कहा जाता है. यह परियोजना हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की सरकारों के संयुक्त प्रयासों से क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध होगी. उन्होंने कहा कि इस परियोजना के पूर्ण होने से न केवल पर्यटन को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि इससे भू-जल में भी वृद्धि होगी.

दोनों राज्यों में कई मसलों को सुलझाने पर चर्चा जारी- बता दें कि आदिबद्री हरियाणा का वो इलाका है, जो शिवालिक पहाड़ियों के तहत आता है. यहां घना जंगल है और सोम नदी भी यहां से गुजरती है. इस स्थान को सरस्वती नदी का उद्गम स्थान भी माना जाता है. आदिबद्री इलाके में ही सरस्वती (Dam on Saraswati river in Himachal) कुंड भी मौजूद है. ये धार्मिक आस्था का स्थल है. यहां बांध बनने से पर्याप्त पानी स्टोर होगा, जिससे संभावना है कि सरस्वती नदी को फिर से जीवित किया जा सके. कई सालों से दोनों ही राज्य इस परियोजना पर सहमति बनाने की कोशिश कर रहे थे.

इसी कड़ी में दो साल पहले शिमला में दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों की बैठक में अन्य मसलों पर भी चर्चा हुई थी. इस दौरान हिमाचल ने पंचकूला बाइपास (panchkula bypass issue) का मामला भी उठाया था. इस बाइपास के बनने से हिमाचल के इंडस्ट्रियल हब बीबीएन यानी बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ को सीधा संपर्क सड़क का लाभ मिल सकेगा.

इस मसले पर हरियाणा के मुख्य सचिव ने बताया कि इस रोड के लिए टेंडर अवार्ड हो गया है और करीब दो साल में ये बनकर तैयार हो जाएगा. हिमाचल ने इसके साथ बद्दी रेल लाइन (Baddi rail line Himachal) का मसला भी हरियाणा के सामने रखा था. इस पर हरियाणा के मुख्य सचिव ने जानकारी दी थी कि इस रेल लाइन के लिए हरियाणा के दायरे में 52 एकड़ जमीन है. इसमें से 27 एकड़ सरकारी जमीन है और बाकी निजी भूमि है.

ये भी पढ़ें: Hamirpur Police Caught Chitta: नाकेबंदी के दौरान SIU टीम ने युवक से बरामद किया 22 ग्राम चिट्टा

शिमला: हरियाणा सरकार हिमाचल प्रदेश की सीमा पर स्थित यमुनानगर जिले के आदि बद्री (Adi Badri Dam in Himachal) क्षेत्र के पास हिमाचल प्रदेश में 77 एकड़ जमीन पर एक बांध और जलाशय का निर्माण करेगी. आदि बद्री बांध के निर्माण को लेकर शुक्रवार को हरियाणा और हिमाचल के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए. हरियाणा सरकार के साथ पंचकुला में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि इस समझौता ज्ञापन से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना पूरा होगा. उन्होंने 3 अप्रैल, 2014 को कुरूक्षेत्र में जनसभा को संबोधित करते हुए देश की सभी पुरानी धरहरों के जीर्णोद्धार करने की बात कही थी. उसी वक्त सरस्वती नदी के पुनरूत्थान का जिक्र भी किया था. कहा था कि हिमाचल और हरियाणा राज्यों की सरकार को एक मंच पर लाकर नदी को लुप्त होने से बचाया जाएगा.

सरस्वती नदी का होगा पुनरुद्धार- इस परियोजना के माध्यम से 215.35 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से सरस्वती नदी का पुनरुद्धार होगा. हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की उपस्थिति में दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों ने राज्य सरकारों की ओर से समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर (MOU signed between Himachal and haryana) किए. सीएम जयराम ने कहा कि यह परियोजना हिमाचल प्रदेश के लिए अत्यंत लाभदायक सिद्ध होगी. क्योंकि इससे हिमाचल प्रदेश की 3.92 हेक्टेयर मीटर प्रतिवर्ष पेयजल की आवश्यकता की पूर्ति होगी और प्रभावित बस्तियों के लिए सिंचाई के पानी की उपलब्धता के लिए 57.96 हेक्टेयर मीटर पानी निर्धारित किया जाएगा.

हरियाणा सरकार करेगी धनराशि का इंतजाम- उन्होंने कहा कि बांध (Adi Badri Dam) का उपयोग न केवल सरस्वती नदी के पुनरुद्धार के लिए किया जाएगा, बल्कि इससे क्षेत्र में जल संरक्षण को भी सहायता मिलेगी. उन्होंने कहा कि इस परियोजना के लिए पूरी धनराशि की व्यवस्था हरियाणा सरकार द्वारा की जाएगी. उन्होंने कहा कि दोनों राज्य सरकारें परियोजना के प्राथमिक उद्देश्य से समझौता किए बिना स्वयं के संसाधनों का उपयोग करके स्थानीय लोगों के कल्याण और विकास के लिए आवश्यक बुनियादी सुविधाएं विकसित करने के साथ पयर्टन परियोजनाएं बनाने के लिए भी स्वतंत्र होंगी.

21 परिवार होंगे विस्थापित- मुख्यमंत्री ने कहा कि इस परियोजना से प्रदेश के केवल 21 परिवार विस्थापित होंगे, जिनका समुचित पुनर्वास किया जाएगा. विस्थापितों को पुनर्वास पैकेज और जलवायु संरक्षण पैकेज के साथ भविष्य में आदि बद्री बांध से संबंधित लागत/व्यय हिमाचल प्रदेश की प्रचलित नीतियों व अन्य प्रचलित कानूनों के अनुसार हरियाणा सरकार द्वारा वहन किया जाएगा तथा इससे संबंधित कोई भी देनदारी हिमाचल प्रदेश को हस्तांतरित नहीं की जाएगी.

एचपीपीसीएल करेगी बांध का निर्माण- इस परियोजना के पूरा होने पर सरस्वती नदी फिर से पुनर्जीवित हो जाएगी. उन्होंने कहा कि कुल प्रस्तावित क्षेत्र में से 31.16 हेक्टेयर भूमि हिमाचल प्रदेश की है, जिसमें से 0.67 हेक्टेयर निजी भूमि और 30.49 हेक्टेयर वन भूमि शामिल है. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश की सोंब नदी से बांध को 224 हेक्टेयर मीटर जल की आपूर्ति होगी, जो यमुना नगर जिले में आदिबद्री के समीप यमुना में मिलती है. उन्होंने कहा कि आदिबद्री बांध और इससे संबंधित अधोसंरचना के लिए एचपीपीसीएल कार्यकारी संस्था होगी.

पूरे साल 20 क्यूसेक होगा नदी प्रवाह- इस दौरान हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (CM Khattar on Adi Badri Dam) ने कहा कि गंगा और यमुना के साथ सरस्वती देश की सबसे पवित्र नदी है. इस बांध के बनने से सरस्वती नदी में पूरे साल 20 क्यूसेक जल का प्रवाह होगा. उन्होंने कहा कि घग्गर नदी बहने के रास्ते को सरस्वती नदी का मार्ग कहा जाता है. यह परियोजना हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की सरकारों के संयुक्त प्रयासों से क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध होगी. उन्होंने कहा कि इस परियोजना के पूर्ण होने से न केवल पर्यटन को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि इससे भू-जल में भी वृद्धि होगी.

दोनों राज्यों में कई मसलों को सुलझाने पर चर्चा जारी- बता दें कि आदिबद्री हरियाणा का वो इलाका है, जो शिवालिक पहाड़ियों के तहत आता है. यहां घना जंगल है और सोम नदी भी यहां से गुजरती है. इस स्थान को सरस्वती नदी का उद्गम स्थान भी माना जाता है. आदिबद्री इलाके में ही सरस्वती (Dam on Saraswati river in Himachal) कुंड भी मौजूद है. ये धार्मिक आस्था का स्थल है. यहां बांध बनने से पर्याप्त पानी स्टोर होगा, जिससे संभावना है कि सरस्वती नदी को फिर से जीवित किया जा सके. कई सालों से दोनों ही राज्य इस परियोजना पर सहमति बनाने की कोशिश कर रहे थे.

इसी कड़ी में दो साल पहले शिमला में दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों की बैठक में अन्य मसलों पर भी चर्चा हुई थी. इस दौरान हिमाचल ने पंचकूला बाइपास (panchkula bypass issue) का मामला भी उठाया था. इस बाइपास के बनने से हिमाचल के इंडस्ट्रियल हब बीबीएन यानी बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ को सीधा संपर्क सड़क का लाभ मिल सकेगा.

इस मसले पर हरियाणा के मुख्य सचिव ने बताया कि इस रोड के लिए टेंडर अवार्ड हो गया है और करीब दो साल में ये बनकर तैयार हो जाएगा. हिमाचल ने इसके साथ बद्दी रेल लाइन (Baddi rail line Himachal) का मसला भी हरियाणा के सामने रखा था. इस पर हरियाणा के मुख्य सचिव ने जानकारी दी थी कि इस रेल लाइन के लिए हरियाणा के दायरे में 52 एकड़ जमीन है. इसमें से 27 एकड़ सरकारी जमीन है और बाकी निजी भूमि है.

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