देहरादून (उत्तराखंड): पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को 17वें दिन सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है. रेस्क्यू ऑपरेशन में देश-विदेश के एक्सपर्ट दिन-रात लगे रहे. 17वें दिन रैट माइनिंग तकनीक से मैनुअल ड्रिलिंग करते हुए मलबा बाहर निकाला गया. इसके लिए यूपी से रैट माइनिंग तकनीक की एक्सपर्ट टीम को बुलाया गया. शाम करीब 6 बजे एक लाइफ लाइन पाइप भी सुरंग में डाला गया, जिसे करीब 7 बजे ब्रेकथ्रू किया गया. इसके बाद एनडीआरएफ के जवान पाइप से मजदूरों के पास गए और 45 मिनट के भीतर सभी मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया. अच्छी बात ये है कि 17 दिनों से सुरंग में कैद रहे सभी 41 श्रमिक स्वस्थ हैं. वहीं, इतिहास पर नजर डालें तो ये रेस्क्यू अभियान देश का पहला और दुनिया का तीसरा सबसे लंबे अभियान के तौर पर दर्ज हो चुका है.
![Uttarkashi Tunnel Rescue](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/28-11-2023/20096053_vlcsnap-2023-11-28-21h33m18s395.png)
उत्तरकाशी टनल दुनिया का तीसरा सबसे लंबा रेस्क्यू ऑपरेशन: उत्तराखंड में बारिशों और भूस्खलन के दौरान छोटे-बड़े रेस्क्यू होते रहते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि उत्तरकाशी टनल में फंसे 41 लोगों का रेस्क्यू भारत का पहला और दुनिया का तीसरा सबसे लंबा रेस्क्यू ऑपरेशन बन गया है. ये रेस्क्यू इसलिए भी महत्वपूर्ण रहा क्योंकि बेहद कठिन परिस्थिति में तमाम एजेंसियां दिन-रात एक करके 41 लोगों की जान बचाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही थी. उत्तरकाशी का ये रेस्क्यू ऑपरेशन दुनिया भर में चर्चा का विषय बना रहा. ये रेस्क्यू ऑपरेशन दुनिया का तीसरा सबसे लंबा रेस्क्यू ऑपरेशन भी बन गया है. इससे पहले भी इसी तरह के रेस्क्यू ऑपरेशन दुनिया के दो अलग-अलग इलाकों में हुए हैं. जबकि चौथा रेस्क्यू ऑपरेशन 14 दिन का रहा है.
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दुनिया का पहला सबसे लंबा रेस्क्यू: दुनिया का सबसे लंबा रेस्क्यू ऑपरेशन आज से लगभग 13 साल पहले यानी 2010 में दक्षिण अमेरिकी देश चिली में भी हुआ था. जब 5 अगस्त 2010 को एक सोने की खदान का मुख्य रैंप ढह जाने से 33 श्रमिक सुरंग में फंस गए थे. ये ऑपरेशन इतना खतरनाक और जोखिम भरा था कि किसी को भी खदान के अंदर फंसे श्रमिकों के जिंदा निकल पाने की उम्मीद बेहद कम थी. ये रेस्क्यू एक या दो दिन नहीं, बल्कि 69 दिन तक चला और आखिरी में 69वें दिन 33 श्रमिकों का सकुशल रेस्क्यू हुआ. इस रेस्क्यू ऑपरेशन की चर्चा पूरे विश्व में हुई. ये श्रमिक 2300 फीट की गहरी सुरंग में फंस गए थे और 18 दिनों तक बिना कुछ खाए-पीए सुरंग के अंदर फंसे रहे.
![Uttarkashi Tunnel Rescue](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/23-11-2023/20096053_vlcsnap-2023-11-22-12h37m52s312.png)
इस रेस्क्यू ऑपरेशन में सभी श्रमिकों को एक विशेष लोहे के कैप्सूल के माध्यम से बचाया गया. इस खास लोहे के कैप्सूल को रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए बनाया गया था, जिसे नीचे भेजकर सभी कर्मचारियों को एक-एक कर ऊपर निकाला गया. इस रेस्क्यू में भी बड़ी चुनौतियां थी, लेकिन सफलतापूर्वक हुए इस ऑपरेशन के बाद इस पर कई फिल्में भी बनी. ये बचाव अभियान 69 दिन तक चला.
![Uttarkashi Tunnel Rescue](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/23-11-2023/20096053_mvfikbwaaueyn.jpeg)
दुनिया का दूसरा सबसे लंबा रेस्क्यू ऑपरेशन: साल 2018 में भी थाईलैंड का रेस्क्यू ऑपरेशन बेहद चर्चाओं में रहा. 23 जून 2018 को अचानक बाढ़ आ जाने से जूनियर फुटबॉल टीम के 12 खिलाड़ी और एक कोच एक सुरंग में फंस गए. घटना की जानकारी जैसे ही थाईलैंड सरकार को लगी तो तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया. यह सभी खिलाड़ी और कोच जूनियर एसोसिएशन फुटबॉल टीम के सदस्य थे, जो लुआंग गुफा में प्रवेश कर रहे थे. लेकिन अचानक भारी बारिश के कारण बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई और गुफा में पानी भर गया. इससे सारे रास्ते बंद हो गए. जानकारी के मुताबिक, 9 दिनों तक ब्रिटिश गोताखोर गुफा के अंदर खिलाड़ियों की खोजबीन में लगे रहे.
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बताया जाता है कि इस रेस्क्यू ऑपरेशन में लगभग 10 हजार लोगों ने हिस्सा लिया था. न केवल थाईलैंड बल्कि ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम और दुनिया भर के तमाम एक्सपर्ट ने इस रेस्क्यू ऑपरेशन में हिस्सा लिया. हैरानी की बात ये है कि 18 दिनों तक बिना कुछ खाए ये सभी खिलाड़ी सुरक्षित रहे. इस ऑपरेशन में बच्चों को पानी पीकर बचने की तरकीब और कैसे गुफा के अंदर जीवन को बचाया जाए, इसकी जानकारी कोच के माध्यम से बच्चों को दी जा रही थी. 18वें दिन इन सभी बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला गया. ये बचाव अभियान 18 दिन तक चला.
![Uttarkashi Tunnel Rescue](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/23-11-2023/20096053_thum.jpg)
दुनिया का चौथा सबसे लंबा रेस्क्यू ऑपरेशन: साल 2006 में भी ऐसे ही रेस्क्यू ऑपरेशन में दो लोगों की जान बचाई गई थी, जब ऑस्ट्रेलिया के टैजमेनिया में 25 अप्रैल 2006 को भूकंप आने की वजह से कई इमारतें जमींदोज हो गईं थी. इस बीच सोने की खदान में करीब एक किमी नीचे गए 34 वर्षीय टॉड रसेल और 37 वर्षीय ब्रेंट वेब फंस गए. शुरू में माना गया कि दोनों आपदा के शिकार हो गए, लेकिन जब नीचे खदान में कैमरा डालकर देखा गया तो पाया कि दोनों जिंदा हैं. इस रेस्क्यू को पूरा करने में एजेंसियों को 14 दिन का वक्त लग गया. जैसे ही दोनों बाहर आए तो पूरे शहर में जश्न मनाया गया.
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पिछले कुछ सालों में हुए इन रेस्क्यू ऑपरेशन पर नजर डालें तो उत्तराखंड का उत्तरकाशी रेस्क्यू ऑपरेशन का तीसरा नंबर आता है. उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में फंसे 41 श्रमिकों को सुरंग के अंदर से बचाने के लिए देश-विदेश की दिग्गज मशीनरी लगी रही. 17वें दिन ऑपरेशन सफल हुआ और सभी श्रमिक सकुशल बाहर आए.