लखनऊः कोरोना काल में राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की महिला चिकित्सक डॉक्टर शारदा सुमन मरीजों की जान बचाने में जुटी रहीं. लेकिन बाद में वो खुद ही कोविड पॉजिटिव हो गईं और लंग इंफेक्शन की वजह से उनकी तबीयत ज्यादा खराब हो गई. इस बीमारी की इलाज के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 1.5 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता (Financial Aid) दी. रविवार को डॉक्टर शारदा को किम्स हैदराबाद (KIMS Hospitals Hyderabad) से आई डॉक्टरों की टीम के साथ एयर एंबुलेंस से भेजा गया. इसके लिए अमौसी एयरपोर्ट तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था.
बताते चलें कि कोरोना काल में महिला चिकित्सक डॉक्टर शारदा सुमन मरीजों की जान बचाने में जुटी रहीं. उन्होंने इमरजेंसी में आ रही गंभीर महिलाओं का प्रसव कराया, जबकि वो खुद गर्भवर्ती थीं. इस दौरान डॉक्टर शारदा भी कोरोना की चपेट में आ गईं जिससे उनका फेफड़ा खराब हो गया. बाद में उन्हें ऑक्सीजन पर रखा गया था.
बाद में मेडिकल कमेटी ने उन्हें फेफड़ों के प्रत्यारोपण की सलाह दी. डॉक्टर शारदा के परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वो इतना महंगा इलाज करा पाएं. उन्होंने संस्थान के निदेशक एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से आर्थिक मदद के लिए अनुरोध किया. निदेशक ने मुख्यमंत्री को डॉक्टर शारदा की स्थिति से अवगत कराया, तो मुख्यमंत्री की ओर से तुरंत इलाज के लिए आर्थिक मदद दी गई.
जूनियर रेजिडेंट के पद पर है कार्यरत
लोहिया संस्थान की निदेशक डॉ. सोनिया नित्यानंद के मुताबिक स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में डॉ. शारदा सुमन जूनियर रेजिडेंट के पद पर हैं. वह संस्थान से डीएनबी कोर्स भी कर रही हैं. हाल में ही उनकी शादी हुई थी. पति भी बतौर रेजिडेंट कार्यरत हैं. 12 अप्रैल को शारदा को बुखार आया.
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इसके बाद जांच कराई तो 14 अप्रैल को उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आ गई और उनको सांस लेने में तकलीफ होने लगी. 14 अप्रैल को उन्हें लोहिया के कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया. हालात बिगड़ने पर उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया. एक मई को डॉक्टरों ने शिशु की जान बचाने का फैसला किया. ऐसे में वेंटिलेटर पर ही प्रसव कराया गया.
छह मई को कोविड रिपोर्ट आई थी नेगेटिव
डॉ. शारदा की कोरोना रिपोर्ट छह मई को नेगेटिव आई थी, लेकिन उनका फेफड़ा पूरी तरह खराब हो गया था. इसके बाद उन्हें नॉन कोविड आईसीयू में शिफ्ट कर ईकमो मशीन पर रखा गया. यह मशीन कृत्रिम हार्ट व फेफड़ों का काम करती है.
लोहिया संस्थान की निदेशक डॉक्टर सोनिया नित्यानंद के मुताबिक सीएमएस, एमएस संग मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी. उन्हें डॉक्टर की हालत के बारे में जानकरी दी. डॉक्टर की जान बचाने के लिए लंग ट्रांसप्लांट ही विकल्प बताया गया. इसके बाद कमेटी बनी और उसने रिपोर्ट सौंपी, जिसके बाद मंगलवार को सरकार की तरफ से डेढ़ करोड़ रुपये दिए गए.