नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म करने के लिए कदम उठाने का समय मोदी सरकार के लिए इससे बेहतर नहीं हो सकता था. दरअसल, मोदी सरकार तीन तलाक विधेयक और आरटीआई संशोधन विधेयक राज्यसभा में पारित कराने में सफल रहने के बाद इस साहसिक कदम को उठाने के लिए प्रोत्साहित हुई.
सूत्रों ने बताया कि जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू होने और राज्य विधानसभा के भंग रहने को लेकर इस राज्य के मामलों पर केंद्र सरकार का पूरा नियंत्रण है.
राज्यसभा में बीजद, अन्नाद्रमुक और वाईएसआर कांग्रेस सहित कुछ पार्टियों का समर्थन मिलने पर भाजपा नीत राजग सरकार पिछले 10 दिनों में उच्च सदन में तीन तलाक और आरटीआई संशोधन विधेयक पारित कराने में सफल रही थी.
पढ़ें-मोदी के 'टॉप सीक्रेट' मिशन कश्मीर को शाह एंड कंपनी ने कैसे दिया अंजाम
उल्लेखनीय है कि उच्च सदन में भाजपा को बहुमत हासिल नहीं है.
सूत्रों ने बताया कि उच्च सदन में दो अहम विधेयकों के पारित होने से सरकार इस तरह का एक साहसिक कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित हुई.
सरकार ने अमरानाथ यात्रा में कटौती करने का भी अभूतपूर्व कदम उठाते हुए श्रद्ध्रालुओं एवं पर्यटकों से जम्मू कश्मीर छोड़ने को कहा था.
पढ़ें-जम्मू कश्मीर : अनुच्छेद 370 हटने के बाद होंगे ये बदलाव, देखें पूरी सूची
मोदी सरकार को अनुच्छेद 370 पर राज्य सभा में आम आदमी पार्टी और बसपा जैसी पार्टियों का भी अप्रत्याशित रूप से समर्थन मिला. जबकि अन्य मुद्दों पर इन दलों की अक्सर ही भाजपा नीत सरकार से तकरार रही है.