ETV Bharat / bharat

लॉकडाउन : चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पर पसरा सन्नाटा, भूखे मरने की कगार पर कुली

देश भर में लॉकडाउन के चलते ट्रेनों की आवाजाही बंद है, जिसके चलते रेलवे स्टेशनों पर सन्नाटा पसरा है. ऐसे में रेलवे स्टेशन पर लोगों का सामान ढोकर अपना गुजारा करने वाले कुलियों पर आफत आ गई है. पढे़ं खबर विस्तार से..

author img

By

Published : Apr 29, 2020, 9:49 AM IST

lockdown-effect-on-porters-at-chandigarh-railway-station
लॉकडाउन में रेलवे स्टेशन पर पसरा सन्नाटा

चंडीगढ़ः कोरोना वायरस के चलते देश भर में लॉकडाउन लागू है, जिससे कामकाज पूरी तरह से ठप है. विभिन्न उद्योगों और कारोबार पर लॉकडाउन का गहरा असर पड़ा है. वहीं रेलवे स्टेशन पर काम करने वाले कुलियों पर भी इसकी जबरदस्त मार पड़ी है. लॉकडाउन के चलते रेल सेवा बंद होने के बाद कुलियों का काम भी बंद हो गया है.

भूखे मरने के कगार पर 39 कुलियों के परिवार

चंडीगढ़ की अगर बात करें तो रेलवे स्टेशन पर रोजाना भारी भीड़-भाड़ रहती थी. मगर लॉकडाउन के चलते रेल सेवा बंद है और ऐसे में ही रेलवे स्टेशन पर चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ है. जिसके चलते चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पर चलने वाली ट्रेनों और उनकी आवाजाही पर निर्भर 39 कुलियों के परिवार भूखों मरने की कगार पर आ गए हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत में चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन के कुलियों ने बताया कि हालात यह हो गए हैं कि परिवार चलाने के लिए यहां-वहां से पैसे उधार लेने पड़ रहे हैं. लंबे समय तक मेहनत कर जो कुछ पूंजी इकट्ठा की थी, वो पहले लॉकडाउन के 21 दिनों में ही खत्म हो गई. उसके बाद से उधार लेकर गुजारा चल रहा है.

लॉकडाउन में रेलवे स्टेशन पर पसरा सन्नाटा, भूखे मरने की कगार पर कुली

नहीं मिल रही कोई मदद

चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करने वाले विजय ने बताया कि परिवार चलाने का संकट गहरा गया है. रोजाना यह चिंता रहती है कि किस तरह से परिवार चलेगा. विजय ने बताया कि लॉकडाउन शुरू होने के बाद चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन की तरफ से कुछ सूखे राशन की मदद की गई थी, लेकिन उसके बाद मदद के लिए कोई आगे नहीं आया.

विजय ने बताया कि चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पर 39 कुली हैं जो कि आने जाने वाले यात्रियों का सामान उठाकर रोजाना पांच से 400से 500 रुपए तक कमा लेते थे. लेकिन अब हालात ये हैं कि पूरी तरह से जेब खाली हो चुकी है.

वहीं कुली राजेश ने बताया कि हालात बेहद खराब हैं. यहां-वहां से उधार लेकर किसी तरह परिवार चला रहे हैं. अब ऐसा कितने दिन चल पाएगा, लोगों का पहले से लिया उधार कैसे चुकाएंगे और आगे घर कैसे चलेगा इसकी चिंता लगी रहती है.

कुलियों का कहना है कि केंद्र और राज्यों की सरकारें दूसरे मजदूरों के लिए सोच रही हैं. ऐसे में सरकारों को कुलियों के लिए भी सोचना चाहिए और उनकी भी मदद करनी चाहिए.

ये भी पढ़ेंः- भारत में 23 फीसदी की दर से ठीक हो रहे हैं कोरोना मरीज : केंद्र सरकार

चंडीगढ़ः कोरोना वायरस के चलते देश भर में लॉकडाउन लागू है, जिससे कामकाज पूरी तरह से ठप है. विभिन्न उद्योगों और कारोबार पर लॉकडाउन का गहरा असर पड़ा है. वहीं रेलवे स्टेशन पर काम करने वाले कुलियों पर भी इसकी जबरदस्त मार पड़ी है. लॉकडाउन के चलते रेल सेवा बंद होने के बाद कुलियों का काम भी बंद हो गया है.

भूखे मरने के कगार पर 39 कुलियों के परिवार

चंडीगढ़ की अगर बात करें तो रेलवे स्टेशन पर रोजाना भारी भीड़-भाड़ रहती थी. मगर लॉकडाउन के चलते रेल सेवा बंद है और ऐसे में ही रेलवे स्टेशन पर चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ है. जिसके चलते चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पर चलने वाली ट्रेनों और उनकी आवाजाही पर निर्भर 39 कुलियों के परिवार भूखों मरने की कगार पर आ गए हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत में चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन के कुलियों ने बताया कि हालात यह हो गए हैं कि परिवार चलाने के लिए यहां-वहां से पैसे उधार लेने पड़ रहे हैं. लंबे समय तक मेहनत कर जो कुछ पूंजी इकट्ठा की थी, वो पहले लॉकडाउन के 21 दिनों में ही खत्म हो गई. उसके बाद से उधार लेकर गुजारा चल रहा है.

लॉकडाउन में रेलवे स्टेशन पर पसरा सन्नाटा, भूखे मरने की कगार पर कुली

नहीं मिल रही कोई मदद

चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करने वाले विजय ने बताया कि परिवार चलाने का संकट गहरा गया है. रोजाना यह चिंता रहती है कि किस तरह से परिवार चलेगा. विजय ने बताया कि लॉकडाउन शुरू होने के बाद चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन की तरफ से कुछ सूखे राशन की मदद की गई थी, लेकिन उसके बाद मदद के लिए कोई आगे नहीं आया.

विजय ने बताया कि चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पर 39 कुली हैं जो कि आने जाने वाले यात्रियों का सामान उठाकर रोजाना पांच से 400से 500 रुपए तक कमा लेते थे. लेकिन अब हालात ये हैं कि पूरी तरह से जेब खाली हो चुकी है.

वहीं कुली राजेश ने बताया कि हालात बेहद खराब हैं. यहां-वहां से उधार लेकर किसी तरह परिवार चला रहे हैं. अब ऐसा कितने दिन चल पाएगा, लोगों का पहले से लिया उधार कैसे चुकाएंगे और आगे घर कैसे चलेगा इसकी चिंता लगी रहती है.

कुलियों का कहना है कि केंद्र और राज्यों की सरकारें दूसरे मजदूरों के लिए सोच रही हैं. ऐसे में सरकारों को कुलियों के लिए भी सोचना चाहिए और उनकी भी मदद करनी चाहिए.

ये भी पढ़ेंः- भारत में 23 फीसदी की दर से ठीक हो रहे हैं कोरोना मरीज : केंद्र सरकार

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.