ETV Bharat / bharat

सरकार बचाने के लिए शिवराज कैबिनेट में दी गई सिंधिया समर्थकों को जगह ! - शिवराज कैबिनेट

मध्य प्रदेश में गुरुवार को शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया. कुल 28 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली. 20 विधायकों को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है, जबकि 8 विधायकों को राज्यमंत्री बनाया गया है. मंत्रिमंडल में सिंधिया खेमे का दबदबा रहा. उनके सभी समर्थकों को मंत्री बनाया गया है, जबकि शिवराज सिंह को 'विषपान' करना पड़ा. पढ़िए पूरी खबर...

shivraj cabinet
कैबिनेट में सिंधिया समर्थकों को मिली जगह
author img

By

Published : Jul 2, 2020, 8:24 PM IST

भोपाल: मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के 100 दिन बाद आखिरकार गुरुवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नई टीम यानी मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया. मंत्रिमंडल विस्तार के लिए 100 दिन तक चली सियासी उठापटक को अच्छे-अच्छे राजनीतिक पंडित भी नहीं भांप पाए. मंत्रिमंडल विस्तार से पहले ही लग रहा था कि सिंधिया खेमे का बोलबाला रहने वाला है और हुआ भी वैसा.

मंत्रिमंडल विस्तार के साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज का वो बयान भी हकीकत में तब्दील हो गया, जो उन्होंने मंत्रिमंडल विस्तार से एक दिन पहले ही दिया था. शिवराज सिंह ने केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात के बाद भोपाल लौटकर कहा था कि मंथन से तो अमृत निकलता है, विष तो शिव पी जाते हैं.

शिवराज के इस बयान से साफ हो गया था कि इस बार उनके चहेते नेता कैबिनेट से नदारद रह सकते हैं. मंत्रिमंडल का विस्तार होते ही यह बात भी हकीकत में बदल गई. सियासी गलियारों में सिंधिया समर्थकों को मंत्री बनाए जाने की अटकलें सरकार बनने के बाद से ही जोर पकड़ती रहीं और आज जाकर उन अटकलों पर पूरी तरह विराम लग गया.

मंत्रिमंडल विस्तार के लिए 100 दिन से ज्यादा चले मंथन से निकला अमृत सिंधिया समर्थकों को मिला और विष शिवराज को ही पीना पड़ा. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आने वाले समय में असंतोष और नाराजगी का असर उपचुनाव पर तो नहीं पड़ेगा.

ज्योतिरादित्य सिंधिया
ज्योतिरादित्य सिंधिया

माना यह भी जा रहा है कि कई कद्दावर चेहरों को दरकिनार करने से भाजपा में बगावत के सुर उठ सकते हैं, क्योंकि शिवराज के करीबी विश्वास सारंग, बृजेंद्र प्रताप सिंह और भूपेंद्र सिंह के अलावा ज्यादातर चेहरे ऐसे हैं, जिन्हें भाजपा संगठन के कारण स्थान दिया गया है.

ये भी पढ़ें- लखनऊ के कौल हाउस में रहने आ सकती हैं प्रियंका गांधी

100 दिन से ज्यादा के महामंथन के बाद भाजपा की शिवराज सरकार का मंत्रिमंडल तो गठित हो गया है, लेकिन इसमें साफ तौर पर उपचुनाव की मजबूरी, बागियों को खुश रखने की कवायद और शिवराज सिंह की लाचारी नजर आ रही है. कांग्रेस के मजबूत स्तंभ रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों को शिवराज की टीम में जगह दी गई है, जिसको देखकर सियासी गलियारों में यही चर्चा है कि शिवराज सरकार में सिंधिया राज दिख रहा है.

नए चेहरों को दिया गया मौका

खास बात यह है कि मंत्रिमंडल में पुराने चेहरे नदारद नजर आ रहे हैं और नए चेहरों को मौका दिया गया है. उपचुनाव के मद्देनजर जहां सिंधिया समर्थकों को मंत्रिमंडल में स्थान दिया गया है, तो भाजपा में नए चेहरों को मौका दिया गया है. पहली नजर में देखा जाए तो भले ही शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ है, लेकिन इसमें न तो मुख्यमंत्री का संवैधानिक और विवेकाधिकार नजर आ रहा है और ना ही उनके समर्थक इस मंत्रिमंडल में जगह बना पाए हैं.

सिंधिया समर्थकों का बोलबाला

मंत्रिमंडल को देखकर साफ नजर आता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने बाकी साथियों को जगह दिलाने में कामयाब रहे हैं. इमरती देवी, प्रभुराम चौधरी, महेंद्र सिंह सिसोदिया, प्रद्युम्न सिंह तोमर, हरदीप सिंह डंग, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, बृजेंद्र यादव, गिरिराज दंडोतिया, सुरेश धाकड़ और ओपी एस भदोरिया को मंत्रिमंडल में स्थान मिला है. भाजपा पहले ही संकेत दे चुकी थी कि उपचुनाव में कांग्रेस से बगावत करने वाले लोगों को ही टिकट दिया जाएगा, इसलिए मंत्रिमंडल में उन्हें ज्यादा स्थान दिया गया है.

14 मंत्री ऐसे जो विधायक नहीं

इस मंत्रिमंडल की खास बात यह भी है कि इस मंत्रिमंडल में 14 लोग ऐसे हैं, जो विधायक नहीं हैं. हालांकि ऐसा कई बार होता है और कोई भी व्यक्ति 6 महीने तक विधायक या सांसद न होने पर भी मंत्री बन सकता है, लेकिन शिवराज मंत्रिमंडल में ऐसे लोगों की संख्या एक या दो नहीं 14 है.

शिवराज पर रहा संगठन भारी

अपने ही मंत्रिमंडल विस्तार में भाजपा समर्थकों को स्थान न दिला पाए शिवराज सिंह को संगठन और पार्टी के दूसरे नेताओं ने भी झटका दिया है. सिंधिया समर्थकों के अलावा जिन लोगों को भाजपा से मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है, उनमें कुछ एक को छोड़कर ज्यादातर लोग संगठन की पसंद बताए जा रहे हैं. अन्य जो लोग हैं, वह अपने कद के कारण मंत्रिमंडल में शामिल किए गए हैं, जिनमें गोपाल भार्गव, विजय शाह, जगदीश देवड़ा, यशोधरा राजे सिंधिया, ओमप्रकाश सकलेचा जैसे लोग शामिल हैं. इसके अलावा जो नए चेहरे आए हैं, वह ज्यादातर संगठन और आरएसएस की पसंद बताए जा रहे हैं. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि शिवराज सिंह के समर्थकों को कम से कम जगह मिले, इसलिए नरोत्तम मिश्रा और वीडी शर्मा ने नए चेहरों को स्थान दिलाने की रणनीति पर काम किया.

संगठन और सरकार को तैयार रखना होगा डैमेज कंट्रोल

इस मंत्रिमंडल विस्तार में कई चेहरे ऐसे हैं, जिन्हें जगह नहीं मिल पाई है और वह मजबूत दावेदार थे. ऐसी स्थिति में भाजपा में भी कमलनाथ सरकार की तरह असंतोष और नाराजगी बढ़ सकती है. भाजपा को इसके लिए ऐसा फॉर्मूला तैयार करना होगा, जिससे सरकार बिना विवाद के चलती रहे.

भोपाल: मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के 100 दिन बाद आखिरकार गुरुवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नई टीम यानी मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया. मंत्रिमंडल विस्तार के लिए 100 दिन तक चली सियासी उठापटक को अच्छे-अच्छे राजनीतिक पंडित भी नहीं भांप पाए. मंत्रिमंडल विस्तार से पहले ही लग रहा था कि सिंधिया खेमे का बोलबाला रहने वाला है और हुआ भी वैसा.

मंत्रिमंडल विस्तार के साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज का वो बयान भी हकीकत में तब्दील हो गया, जो उन्होंने मंत्रिमंडल विस्तार से एक दिन पहले ही दिया था. शिवराज सिंह ने केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात के बाद भोपाल लौटकर कहा था कि मंथन से तो अमृत निकलता है, विष तो शिव पी जाते हैं.

शिवराज के इस बयान से साफ हो गया था कि इस बार उनके चहेते नेता कैबिनेट से नदारद रह सकते हैं. मंत्रिमंडल का विस्तार होते ही यह बात भी हकीकत में बदल गई. सियासी गलियारों में सिंधिया समर्थकों को मंत्री बनाए जाने की अटकलें सरकार बनने के बाद से ही जोर पकड़ती रहीं और आज जाकर उन अटकलों पर पूरी तरह विराम लग गया.

मंत्रिमंडल विस्तार के लिए 100 दिन से ज्यादा चले मंथन से निकला अमृत सिंधिया समर्थकों को मिला और विष शिवराज को ही पीना पड़ा. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आने वाले समय में असंतोष और नाराजगी का असर उपचुनाव पर तो नहीं पड़ेगा.

ज्योतिरादित्य सिंधिया
ज्योतिरादित्य सिंधिया

माना यह भी जा रहा है कि कई कद्दावर चेहरों को दरकिनार करने से भाजपा में बगावत के सुर उठ सकते हैं, क्योंकि शिवराज के करीबी विश्वास सारंग, बृजेंद्र प्रताप सिंह और भूपेंद्र सिंह के अलावा ज्यादातर चेहरे ऐसे हैं, जिन्हें भाजपा संगठन के कारण स्थान दिया गया है.

ये भी पढ़ें- लखनऊ के कौल हाउस में रहने आ सकती हैं प्रियंका गांधी

100 दिन से ज्यादा के महामंथन के बाद भाजपा की शिवराज सरकार का मंत्रिमंडल तो गठित हो गया है, लेकिन इसमें साफ तौर पर उपचुनाव की मजबूरी, बागियों को खुश रखने की कवायद और शिवराज सिंह की लाचारी नजर आ रही है. कांग्रेस के मजबूत स्तंभ रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों को शिवराज की टीम में जगह दी गई है, जिसको देखकर सियासी गलियारों में यही चर्चा है कि शिवराज सरकार में सिंधिया राज दिख रहा है.

नए चेहरों को दिया गया मौका

खास बात यह है कि मंत्रिमंडल में पुराने चेहरे नदारद नजर आ रहे हैं और नए चेहरों को मौका दिया गया है. उपचुनाव के मद्देनजर जहां सिंधिया समर्थकों को मंत्रिमंडल में स्थान दिया गया है, तो भाजपा में नए चेहरों को मौका दिया गया है. पहली नजर में देखा जाए तो भले ही शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ है, लेकिन इसमें न तो मुख्यमंत्री का संवैधानिक और विवेकाधिकार नजर आ रहा है और ना ही उनके समर्थक इस मंत्रिमंडल में जगह बना पाए हैं.

सिंधिया समर्थकों का बोलबाला

मंत्रिमंडल को देखकर साफ नजर आता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने बाकी साथियों को जगह दिलाने में कामयाब रहे हैं. इमरती देवी, प्रभुराम चौधरी, महेंद्र सिंह सिसोदिया, प्रद्युम्न सिंह तोमर, हरदीप सिंह डंग, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, बृजेंद्र यादव, गिरिराज दंडोतिया, सुरेश धाकड़ और ओपी एस भदोरिया को मंत्रिमंडल में स्थान मिला है. भाजपा पहले ही संकेत दे चुकी थी कि उपचुनाव में कांग्रेस से बगावत करने वाले लोगों को ही टिकट दिया जाएगा, इसलिए मंत्रिमंडल में उन्हें ज्यादा स्थान दिया गया है.

14 मंत्री ऐसे जो विधायक नहीं

इस मंत्रिमंडल की खास बात यह भी है कि इस मंत्रिमंडल में 14 लोग ऐसे हैं, जो विधायक नहीं हैं. हालांकि ऐसा कई बार होता है और कोई भी व्यक्ति 6 महीने तक विधायक या सांसद न होने पर भी मंत्री बन सकता है, लेकिन शिवराज मंत्रिमंडल में ऐसे लोगों की संख्या एक या दो नहीं 14 है.

शिवराज पर रहा संगठन भारी

अपने ही मंत्रिमंडल विस्तार में भाजपा समर्थकों को स्थान न दिला पाए शिवराज सिंह को संगठन और पार्टी के दूसरे नेताओं ने भी झटका दिया है. सिंधिया समर्थकों के अलावा जिन लोगों को भाजपा से मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है, उनमें कुछ एक को छोड़कर ज्यादातर लोग संगठन की पसंद बताए जा रहे हैं. अन्य जो लोग हैं, वह अपने कद के कारण मंत्रिमंडल में शामिल किए गए हैं, जिनमें गोपाल भार्गव, विजय शाह, जगदीश देवड़ा, यशोधरा राजे सिंधिया, ओमप्रकाश सकलेचा जैसे लोग शामिल हैं. इसके अलावा जो नए चेहरे आए हैं, वह ज्यादातर संगठन और आरएसएस की पसंद बताए जा रहे हैं. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि शिवराज सिंह के समर्थकों को कम से कम जगह मिले, इसलिए नरोत्तम मिश्रा और वीडी शर्मा ने नए चेहरों को स्थान दिलाने की रणनीति पर काम किया.

संगठन और सरकार को तैयार रखना होगा डैमेज कंट्रोल

इस मंत्रिमंडल विस्तार में कई चेहरे ऐसे हैं, जिन्हें जगह नहीं मिल पाई है और वह मजबूत दावेदार थे. ऐसी स्थिति में भाजपा में भी कमलनाथ सरकार की तरह असंतोष और नाराजगी बढ़ सकती है. भाजपा को इसके लिए ऐसा फॉर्मूला तैयार करना होगा, जिससे सरकार बिना विवाद के चलती रहे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.