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हरियाणा: एक ऐसा स्कूल जहां कोई छात्र नहीं, दीवारों को पढ़ाने रोज आते हैं 2 टीचर !

भारत में एक ऐसा भी स्कूल है, जहां कोई छात्र नहीं है. स्कूल में साफ सुथरे कमरे हैं, कमरों में रोशनदान भी है और कमरों के दीवारों के लिए दो पढ़े-लिखे गुरू भी हैं. यहां मिड-डे-मील की व्यवस्था भी है और बकायदा कुक भी रखा गया है और यहां के परिणाम से सरकार भी बेहद खुश है.

स्पेशल रिपोर्ट: हरियाणा में दुनिया का एक मात्र स्कूल जहां 'दीवारों' को पढ़ाने के लिए रोज शिक्षक आते हैं!
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Published : Jul 16, 2019, 9:25 PM IST

यमुनानगर: जिले में एक ऐसा स्कूल है जहां एक भी विद्यार्थी पढ़ने नहीं आता है, लेकिन पढ़ाने के लिए रोज दो शिक्षक आते हैं. टाइम पर आते हैं, हाजरी लगाते हैं. कक्षा में जाते हैं, मगर पढ़ने कोई भी नहीं आता. हम बात कर रहे हैं यमुनानगर के नौगवां गांव के विद्यालय की.

राजकीय प्राथमिक पाठशाला मगामा जागीर खान जगाधरी जिला यमुनानगर में मौजूद अध्यापक सोनू देशवाल ने बताया कि यह पांचवीं तक का स्कूल है. लेकिन यहां एक भी बच्चा नहीं है. एक बच्चा पहले था जिसका 134A के तहत एडमिशन हो गया था. बच्चे के एडमिशन की जानकारी किसी दूसरे स्कूल में उसकी ऑनलाइन पोर्टल के जरिए जारी कर दी गई है.

देखिए विशेष रिपोर्ट.

'अभिभावक ही नहीं सरकारी स्कूलों में पढ़ाना चाहते'
शिक्षक का कहना है कि शिक्षा विभाग की तरफ से हम ढाई साल पहले यहां ट्रांसफर होकर आए थे. उस समय स्कूल में दो बच्चे थे. 2016 से वे स्कूल में कार्यरत हैं और अगर इस स्कूल का पिछला रिकॉर्ड देखें तो एक-दो ही बच्चे यहां पर पढ़ते हैं. कुछ लोगों के पास जाते हैं, तो वह प्राइवेट की तरफ ज्यादा भागने की कोशिश करते हैं. उनका कहना है कि अभिभावक एक-दूसरे को देख कर जिद करते हैं और अपने आप को साधन संपन्न बताते हैं. इसलिए वह अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में भेजते हैं.

'बस कागजी कार्रवाई ही हो रही है'
शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों की उदासीनता के चलते जिले में बिन बच्चों की पाठशाला चल रही है, लेकिन आज तक किसी भी अधिकारी ने पाठशाला में आकर निरीक्षण नहीं किया है. यहां आने वाले शिक्षक भी दिन भर बिना बच्चों के स्कूल में बैठकर कागजी कार्रवाई पूरी कर वापस घर लौट रहे हैं. स्कूल में बैठे शिक्षक का कहना है आज सभी अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में डाल रहे हैं, यही वजह है कि आज इस स्कूल में 1 भी विद्यार्थी नहीं है.

'स्कूल में मिड-डे-मील की व्यवस्था भी है'
यहां मिड-डे-मील भी आता है. एक बच्चा जो पढ़ता था, उसके लिए गेहूं और चावल जो गवर्मेंट देती है, उसका खर्च सरकार देती है. खाना बनाने के लिए यहां कुक भी रखा हुआ है, लेकिन अब जैसे स्कूल में कोई भी बच्चा नहीं है, तो ऐसे में वो भी खाली बैठ कर चला जाता है.

क्या बोले जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी ?
वहीं इस मामले में जानकारी देते हुए जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी ने बताया कि स्टूडेंट का जो भी क्राइटेरिया बनाया है. उसमें बच्चों के स्ट्रेंथ बहुत कम है. आज भी इसके लिए कुछ अभिभावक उनसे मिलने आए थे. ऐसे स्कूलों का भी प्रपोजल उन्होंने गवर्नमेंट को भेजा हुआ है.

हमने जब पूछा कि क्या कारण है कि सरकारी स्कूलों के बजाय लोग प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को दाखिल कराना चाहते हैं. इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इसके कई कारण हैं कई स्कूल तो ऐसे हैं जहां पर संख्या बहुत अच्छी है, लेकिन कुछ गांव ऐसे हैं जहां जनसंख्या बहुत कम है. जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी ने बताया कि कुछ ऐसे स्कूल हैं, जिनका डायरेक्टरेट सेम अर्जित करने का आदेश नहीं आया है. हम प्रपोजल बनाकर विभाग को पहले ही भेज चुके हैं और अब दोबारा एक बार फिर से रिमाइंडर भेज देंगे.

देखना यह होगा कि कब तक स्कूल में बच्चे पढ़ने के लिए आएंगे या फिर इस स्कूल को बंद कर इन अध्यापकों को कहीं और शिफ्ट किया जाएगा. जहां अध्यापक कम होने की वजह से छात्र जूझ रहे हैं.

यमुनानगर: जिले में एक ऐसा स्कूल है जहां एक भी विद्यार्थी पढ़ने नहीं आता है, लेकिन पढ़ाने के लिए रोज दो शिक्षक आते हैं. टाइम पर आते हैं, हाजरी लगाते हैं. कक्षा में जाते हैं, मगर पढ़ने कोई भी नहीं आता. हम बात कर रहे हैं यमुनानगर के नौगवां गांव के विद्यालय की.

राजकीय प्राथमिक पाठशाला मगामा जागीर खान जगाधरी जिला यमुनानगर में मौजूद अध्यापक सोनू देशवाल ने बताया कि यह पांचवीं तक का स्कूल है. लेकिन यहां एक भी बच्चा नहीं है. एक बच्चा पहले था जिसका 134A के तहत एडमिशन हो गया था. बच्चे के एडमिशन की जानकारी किसी दूसरे स्कूल में उसकी ऑनलाइन पोर्टल के जरिए जारी कर दी गई है.

देखिए विशेष रिपोर्ट.

'अभिभावक ही नहीं सरकारी स्कूलों में पढ़ाना चाहते'
शिक्षक का कहना है कि शिक्षा विभाग की तरफ से हम ढाई साल पहले यहां ट्रांसफर होकर आए थे. उस समय स्कूल में दो बच्चे थे. 2016 से वे स्कूल में कार्यरत हैं और अगर इस स्कूल का पिछला रिकॉर्ड देखें तो एक-दो ही बच्चे यहां पर पढ़ते हैं. कुछ लोगों के पास जाते हैं, तो वह प्राइवेट की तरफ ज्यादा भागने की कोशिश करते हैं. उनका कहना है कि अभिभावक एक-दूसरे को देख कर जिद करते हैं और अपने आप को साधन संपन्न बताते हैं. इसलिए वह अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में भेजते हैं.

'बस कागजी कार्रवाई ही हो रही है'
शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों की उदासीनता के चलते जिले में बिन बच्चों की पाठशाला चल रही है, लेकिन आज तक किसी भी अधिकारी ने पाठशाला में आकर निरीक्षण नहीं किया है. यहां आने वाले शिक्षक भी दिन भर बिना बच्चों के स्कूल में बैठकर कागजी कार्रवाई पूरी कर वापस घर लौट रहे हैं. स्कूल में बैठे शिक्षक का कहना है आज सभी अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में डाल रहे हैं, यही वजह है कि आज इस स्कूल में 1 भी विद्यार्थी नहीं है.

'स्कूल में मिड-डे-मील की व्यवस्था भी है'
यहां मिड-डे-मील भी आता है. एक बच्चा जो पढ़ता था, उसके लिए गेहूं और चावल जो गवर्मेंट देती है, उसका खर्च सरकार देती है. खाना बनाने के लिए यहां कुक भी रखा हुआ है, लेकिन अब जैसे स्कूल में कोई भी बच्चा नहीं है, तो ऐसे में वो भी खाली बैठ कर चला जाता है.

क्या बोले जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी ?
वहीं इस मामले में जानकारी देते हुए जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी ने बताया कि स्टूडेंट का जो भी क्राइटेरिया बनाया है. उसमें बच्चों के स्ट्रेंथ बहुत कम है. आज भी इसके लिए कुछ अभिभावक उनसे मिलने आए थे. ऐसे स्कूलों का भी प्रपोजल उन्होंने गवर्नमेंट को भेजा हुआ है.

हमने जब पूछा कि क्या कारण है कि सरकारी स्कूलों के बजाय लोग प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को दाखिल कराना चाहते हैं. इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इसके कई कारण हैं कई स्कूल तो ऐसे हैं जहां पर संख्या बहुत अच्छी है, लेकिन कुछ गांव ऐसे हैं जहां जनसंख्या बहुत कम है. जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी ने बताया कि कुछ ऐसे स्कूल हैं, जिनका डायरेक्टरेट सेम अर्जित करने का आदेश नहीं आया है. हम प्रपोजल बनाकर विभाग को पहले ही भेज चुके हैं और अब दोबारा एक बार फिर से रिमाइंडर भेज देंगे.

देखना यह होगा कि कब तक स्कूल में बच्चे पढ़ने के लिए आएंगे या फिर इस स्कूल को बंद कर इन अध्यापकों को कहीं और शिफ्ट किया जाएगा. जहां अध्यापक कम होने की वजह से छात्र जूझ रहे हैं.

Intro:एंकर बिना विद्यार्थी चल रहा स्कूल। एक तरफ जहां राज्य सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों में बच्चों का नामांकन बनाने शिक्षा द्वारा गुणवत्ता शिक्षा देने के दावे कर रही है,वहीं यमुनानगर के गांव नगांवा जागीर में बना प्रार्थमिक स्कूल जो बिना विद्यार्थियों के चल रहा है। शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों की उदासीनता के चलते जिले में बच्चों के पाठशाला चल रही है। लेकिन आज तक किसी भी अधिकारी ने पाठशाला में आकर निरीक्षण नहीं किया है यहां आने वाले शिक्षक भी दिन भर बिना बच्चों के स्कूल में बैठकर कागजी कार्रवाई पूरी कर वापस घर लौट रहे है । इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी का कहना कुछ स्कूल पहले मर्ज किए गए थे। अब इन शिक्षकों को उन स्कूलों में भेजा जाएगा जहां पर विद्यार्थियों की संख्या ज्यादा है। स्कूल में बैठे शिक्षक का कहना है आज हर कोई दूसरे को देखकर अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में डाल रहा है यही कारण है कि आज इस स्कूल में 1भी विद्यार्थी नहीं है।


Body:विल्मा विद्यार्थियों के चल रहे सरकारी स्कूल की स्कूल की तस्वीरें हम आपको दिखा रहे हैं इन रामा जगह गांव कब प्राथमिक स्कूल है जहां पहली से पांचवी तक शिक्षा दी जाती है लेकिन बड़ी हैरानी की बात है कि यहां 2 शिक्षक तो है लेकिन उनसे शिक्षा देने वाला कोई नहीं है यह वही स्कूल है जो बच्चों के भविष्य को तरसते हैं लेकिन यहां शिक्षक दिन भर बैठ कर दोपहर को लौट जाते हैं।

वीओ आप खुद ही सुनिए विद्यार्थी बिन विद्यार्थी के बैठे शिक्षक की जुबानी राजकीय प्राथमिक पाठशाला मगामा जागीर खान जगाधरी जिला यमुनानगर में मौजूद अध्यापक सोनू देशवाल ने बताया कि यह पांचवीं तक का स्कूल है लेकिन यहां एक भी बच्चा नहीं है एक बच्चा पहले था जिसका 134a के तहत एडमिशन हो गया और किसी दूसरे स्कूल में उसकी ऑनलाइन पोर्टल पर ऐसी जारी कर दी गई है शिक्षा विभाग द्वारा हम ढाई साल पहले यहां ट्रांसफर होकर आए थे उस समय स्कूल में दो बच्चे थे। 2016 से वे स्कूल में कार्यरत हैं और अगर इस स्कूल का पिछला रिकॉर्ड देखें तो एक दो ही बच्चे यहां पर पढ़ते हैं कुछ लोगों के पास जाते हैं तो वह प्राइवेट की तरफ ज्यादा भागने की कोशिश करते हैं । उनका कहना है कि अभिभावक एक दूसरे को देख कर जिद करते हैं और अपने आप को साधन संपन्न बताते हैं इसलिए वह अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में भेजते हैं वही मिड डे मील पर पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि गेहूं और चावल बच्चों को गवर्मेंट देती है एक बच्चे के ऊपर जो खर्च आता है उसका खाना बनेगा तो उसका खर्च सरकार देती है बनाने के लिए यहां कुक भी रखा हुआ है लेकिन अब जैसे स्कूल में कोई भी बच्चा नहीं है तो ऐसे मिलने जमीन भी यहां पर नहीं बनाया जाता है।

बाइट सोनू देशवाल

वीओ इस मामले में जानकारी देते हुए जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी ने बताया कि स्टूडेंट का जो भी क्राइटेरिया बनाया है उसमें कुछ कूलर से मिले हैं जहां पर बच्चों के स्टंट बहुत कम है आज भी इसके लिए कुछ अभिभावक मुझसे मिलने आए थे। ऐसे स्कूलों का भी प्रपोजल हमने गवर्नमेंट को भेजा हुआ है क्या कारण है के सरकारी स्कूलों के बजाय लोग प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को दाखिल कराना चाहते हैं इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इसके कई कारण हैं कई स्कूल तो ऐसे हैं जहां पर संख्या बहुत अच्छी है लेकिन कुछ गांव ऐसे हैं मुझे उनकी जनसंख्या बहुत कम है मैं स्कूल गर्ल टीचर स्कूल थे वहां पर हमें दिक्कत आ रही है अब हमने सक्षम का कॉन्सर्ट लिया है और अभिभावकों के अंदर बड़ी जागरूकता आई है। जिससे उनको यह फीडबैक मिली है कि छात्रों की संख्या बहुत सारे स्कूलों में बड़ी है उसको तो ऐसे हैं जहां पर जीरो ट्रेन थी 12वीं स्कूल के मस्जिद के ऑर्डर थे जिनके ऑर्डर हमारे पास आ चुके हैं कुछ ऐसे स्कूल हैं जिनका डायरेक्टरेट सेम अर्जित करने का आदेश नहीं आया है हम प्रपोजल बनाकर विभाग को पहले ही भेज चुके हैं और अब एक दोबारा एक बार फिर से रिमाइंडर भेज देंगे जहां पर स्टैंड ज्यादा है वर्क लोड ज्यादा है इन अध्यापकों को हम वहां पर शिफ्ट करने का प्रपोजल भी जल्दी बनाएंगे ताकि जो एकेडमी परफॉर्मेंस है ऐसे स्कूलों की जहां पर संख्या ज्यादा है वहां पर ठीक हो सके उसका प्रपोजल भी हमने सी भी बना देंनंगे। यमुनानगर जिले में ऐसे और भी कई स्कूल हैं जैसे भगवानपुर राजपुरा वहां पर भी स्टूडेंट क्लास स्कूल होने की इंफॉर्मेशन मिली थी इसके बारे में उच्चाधिकारियों को जल्द ही बता दिया जाएगा।

बाइट मदन सिंह चोपड़ा


Conclusion:देखना यह होगा कि कब तक कि स्कूल में बच्चे पढ़ने के लिए आएंगे या फिर इस स्कूल को बंद कर इन अध्यापकों को वहां शिफ्ट किया जाएगा जहां पर बच्चे ज्यादा होने और अध्यापक कम होने की वजह से स्कूल जूझ रहे हैं।
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