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अमेरिका-ईरान के झगड़े का हरियाणा की राइस इंडस्ट्री पर असर, रोजगार पर लटकी तलवार - अमेरिका ईरान लड़ाई का हरियाणा पर असर

यूरोप में भारतीय चावल पर पहले ही बैन है. अब अरब देशों में आए संकट के कारण निर्यातकों में चिंता है. उन्हें डर है कि उनके साथ हुए सौदों के तहत चावल नहीं बिका तो उन्हें भारी नुकसान हो सकता है.

us iran quarrel affects haryana rice industry
अमेरिका-ईरान के झगड़े का हरियाणा की राइस इंडस्ट्री पर असर
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Published : Jan 10, 2020, 12:32 PM IST

यमुनानगर: अमेरिका और ईरान के बीच जारी तकरार का असर भारतीय उद्योगों खासकर चावल उद्योग पर असर पड़ सकता है. हालात को देखते हुए चावल व्यापारियों ने खाड़ी के देशों जैसे ईरान, ईराक में चावल नहीं भेजने का निर्णय लिया है. लेकिन ये निर्णय अब राइस मिलर्स पर भारी पड़ रहा है.

अमेरिका ईरान की लड़ाई का side effect

राइस मिलर्स का मानना है की अगर चावल का निर्यात रुक जाता है, तो इससे मिलर्स के साथ-साथ लेबर और किसानो को भी आने वाले वक्त में भारी नुक्सान होगा. रादौर के राइस मिलर प्रवीन गुप्ता ने बताया की अगर अमेरिका और ईरान का झगड़ा जारी रहेगा तो इसका असर भारत के उद्योग पर भी पड़ेगा. ये असर सिर्फ व्यापारी पर ही नहीं बल्कि किसान पर भी पड़ने वाला है. इसके साथ ही लेबर और ट्रांसपोर्टरों पर भी इसका साफ असर पड़ेगा. जो कई लोगों के रोजगार पर तलवार भी लटका सकता है.

झगड़े से भारत के चावल विक्रेताओं को होगा नुकसान
प्रवीन गुप्ता ने कहा कि इस हालात से निपटने के लिए सरकार को चावल निर्यातकों के लिए कुछ रियायतों की घोषणा करनी चाहिए ताकि उन्हें राहत मिल सके. उन्होंने कहा जिस तरह थाइलैंड में चावल भेजने पर एडवांस पेमेंट होती है. उसी तरह खाड़ी देशों से भी ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए.

ये भी पढ़िए: अमेरिका-ईरान विवाद का चावल उद्योग पर बुरा असर, हरियाणा के निर्याताओं की बढ़ी चिंता

बता दें कि भारत का 44 लाख टन बासमती चावल इन देशों में निर्यात होता है. इसमें से 75 प्रतिशत केवल ईरान में जाता है. इसलिए ये स्वाभाविक है कि अमेरिका और ईरान के झगड़े से भारत विशेषकर हरियाणा-पंजाब के बासमती चावल के निर्यात पर फर्क पड़ेगा. अगर झगड़ा बड़ा तो चावल की कीमत घटने के आसार हैं और भारत में अभी से 200-300 रुपये प्रति क्विंटल का अंतर भी पड़ गया है.

अमेरिका-ईरान के बीच जंग !
करीब चालीस साल से ईरान और अमेरिका के बीच चली आ रही तनातनी पर अब युद्ध का आरंभ होने की आशंका पर आकर गहरा गई है. अमेरिकी एयर स्‍ट्राइक में ईरानी कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्‍या के बाद मध्‍य एशिया में काफी उथल-पुथल है. अमेरिका और ईरान के बीच युद्ध जैसे हालात उत्‍पन्‍न हो गए हैं. ईरान ने अमेरिका के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया है. वहीं अमेरिका ने भी कह रहा है कि वो ईरान से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है.

यमुनानगर: अमेरिका और ईरान के बीच जारी तकरार का असर भारतीय उद्योगों खासकर चावल उद्योग पर असर पड़ सकता है. हालात को देखते हुए चावल व्यापारियों ने खाड़ी के देशों जैसे ईरान, ईराक में चावल नहीं भेजने का निर्णय लिया है. लेकिन ये निर्णय अब राइस मिलर्स पर भारी पड़ रहा है.

अमेरिका ईरान की लड़ाई का side effect

राइस मिलर्स का मानना है की अगर चावल का निर्यात रुक जाता है, तो इससे मिलर्स के साथ-साथ लेबर और किसानो को भी आने वाले वक्त में भारी नुक्सान होगा. रादौर के राइस मिलर प्रवीन गुप्ता ने बताया की अगर अमेरिका और ईरान का झगड़ा जारी रहेगा तो इसका असर भारत के उद्योग पर भी पड़ेगा. ये असर सिर्फ व्यापारी पर ही नहीं बल्कि किसान पर भी पड़ने वाला है. इसके साथ ही लेबर और ट्रांसपोर्टरों पर भी इसका साफ असर पड़ेगा. जो कई लोगों के रोजगार पर तलवार भी लटका सकता है.

झगड़े से भारत के चावल विक्रेताओं को होगा नुकसान
प्रवीन गुप्ता ने कहा कि इस हालात से निपटने के लिए सरकार को चावल निर्यातकों के लिए कुछ रियायतों की घोषणा करनी चाहिए ताकि उन्हें राहत मिल सके. उन्होंने कहा जिस तरह थाइलैंड में चावल भेजने पर एडवांस पेमेंट होती है. उसी तरह खाड़ी देशों से भी ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए.

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बता दें कि भारत का 44 लाख टन बासमती चावल इन देशों में निर्यात होता है. इसमें से 75 प्रतिशत केवल ईरान में जाता है. इसलिए ये स्वाभाविक है कि अमेरिका और ईरान के झगड़े से भारत विशेषकर हरियाणा-पंजाब के बासमती चावल के निर्यात पर फर्क पड़ेगा. अगर झगड़ा बड़ा तो चावल की कीमत घटने के आसार हैं और भारत में अभी से 200-300 रुपये प्रति क्विंटल का अंतर भी पड़ गया है.

अमेरिका-ईरान के बीच जंग !
करीब चालीस साल से ईरान और अमेरिका के बीच चली आ रही तनातनी पर अब युद्ध का आरंभ होने की आशंका पर आकर गहरा गई है. अमेरिकी एयर स्‍ट्राइक में ईरानी कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्‍या के बाद मध्‍य एशिया में काफी उथल-पुथल है. अमेरिका और ईरान के बीच युद्ध जैसे हालात उत्‍पन्‍न हो गए हैं. ईरान ने अमेरिका के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया है. वहीं अमेरिका ने भी कह रहा है कि वो ईरान से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है.

Intro:अमेरिका और ईरान के बीच जारी तकरार का भारतीय उद्योगों खासकर चावल उद्योग पर असर पड़ सकता है। हालात को देखते चावल व्यापारियों ने खाड़ी के देशों विशेषकर ईरान, ईराक में चावल नहीं भेजने के निर्णय के बाद राईस मिलर्स ने भी इस पर चिंता व्यक्त की है। मिलर्स का मानना है की अगर चावल का निर्यात रुक जाता है, तो इससे मिलर्स के साथ साथ लेबर व किसानो को भी आने वाले समय में इसका नुक्सान होगा। Body:रादौर में एक मिलर्स प्रवीन गुप्ता ने बताया की यदि अमेरिका और ईरान का झगड़ा जारी रहेगा तो पूरे उद्योग पर फर्क पड़ेगा। यह फर्क केवल व्यापारी पर ही नहीं बल्कि किसान पर भी पड़ने वाला है। इसके साथ ही लेबर और ट्रांसपोर्टरों पर भी इसका असर पड़ेगा और कइयों के रोजगार पर भी तलवार लटकने की आशंका है। उन्होंने कहा कि इस हालात से निपटने के लिए सरकार को चावल निर्यातकों के लिए कुछ रियायतों की घोषणा करनी चाहिये ताकि उन्हें राहत मिल सके।Conclusion:उन्होंने कहा जिस प्रकार थाइलैंड में चावल भेजने पर एडवांस पेमेंट होती है उसी प्रकार खाड़ी देशों से भी ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने कहा की इन देशों में 44 लाख टन बासमती चावल निर्यात होता है। इसमें से 75 प्रतिशत केवल ईरान में जाता है। इसलिए यह स्वाभाविक है कि अमेरिका और ईरान के झगड़े से भारत विशेषकर हरियाणा-पंजाब के बासमती चावल के निर्यात पर फर्क पड़ेगा। उन्होंने कहा की चावल की कीमत घटने के आसार हैं और भारत में अभी से 200-300 रुपये प्रति क्विंटल का अंतर भी पड़ गया है।

बाईट - प्रवीन कुमार गुप्ता, राइस मिलर्स
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