ETV Bharat / state

रादौर में किसानों को पता ही नहीं कि भावांतर भरपाई योजना है क्या ?

'मनोहर सरकार की योजनाओं का रियलिटी चेक' के इस एपिसोड में यमुनानगर के रादौर से देखिए भावांतर भरपाई योजना का रियलिटी चेक.

reality check
author img

By

Published : Aug 27, 2019, 7:00 PM IST

यमुनानगरः हरियाणा सरकार ने अपने पांच साल के कार्यकाल में अनेकों जनहित स्कीमें चलाईं लेकिन उन स्कीमों का जमीन पर क्या असर हुआ यही देखने के लिए ईटीवी भारत ने मनोहर सरकार का रियलिटी चेक नाम से एक स्पेशल प्रोग्राम शुरु किया ताकि पता चल सके कि आखिर सरकारी की योजनाओं पर कितना काम हुआ है. इस बार स्पेशल रिपोर्ट में हमारी टीम पहुंची रादौर विधानसभा में पड़ने वाली मंडी में और जानी भावांतर भरपाई योजना की सच्चाई.

रादौर में किसानों को पता ही नहीं कि भावांतर भरपाई योजना है क्या ? देखिए स्पेशल रिपोर्ट

क्या बोले यमुनानगर के किसान ?
यमुनानगर में सब्जी उगाने वाले ज्यादातर किसान रादौर में हैं. यहां के किसानों का कहना है कि ज्यादातर किसानों को तो इस योजना के बारे में पता ही नहीं है. इसके अलावा जिन्हें पता भी है वो भी आवेदन की जटिलता को न समझ पाने की वजह से लाभ नहीं उठा पाते हैं. क्योंकि ज्यादातर किसान बहुत ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं होते हैं इसलिए ऑनलाइन प्रक्रिया समझ नहीं पाते हैं.

'अधिकारियों ने जागरूक ही नहीं किया क्या करें'
किसानों का कहना है कि उन्हें कभी अधिकारियों ने बताया ही नहीं कि कैसे इस योजना का लाभ लिया जा सकता है इसीलिए हम औने-पौने दामों पर अपनी सब्जी बेचने को मजबूर हैं. किसानों का कहना है कि इस योजना से धरातल पर किसान को कोई लाभ नहीं हो रहा है. दरअसल अभी तक ज्यादातर मंडियों में कच्ची पर्ची देकर खरीदारी की जा रही है जिससे रिकॉर्ड रखना मुश्किल हो जाता है और योजना का लाभ नहीं मिल पाता है.

'गिरदावरी की तरह कोई इंतजाम हो'
किसान कहते हैं कि इस प्रक्रिया में काफी जटिलताएं हैं किसान अपना हिसाब-किताब नहीं रख पाता है इसलिए सरकार को चाहिए कि वो जैसे बाकी फसलों की गिरदावरी कराती है सब्जियों की भी गिरदावरी कराए और रिकॉर्ड रखा जाए कि किस किसान के पास कितनी सब्जी है तभी इसका लाभ सही से मिल पाएगा.

क्या है भावांतर भरपाई योजना ?
ये योजना 1 जनवरी 2018 से लागू हुई थी. जिसके तहत हरियाणा सरकार द्वारा आलू, टमाटर, प्याज, फूलगोभी और बंदगोभी को इस योजना में शामिल किया गया है. इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को अपनी फसल का निर्धारित समय में पंजीकरण करवाना होता है और जब फसल का दाम मंडी में कम हो तो उसे सरकार निर्धारित मूल्य पर खरीदती है ताकि किसानों को लागत मूल्य मिल सके. कोई भी किसान इस योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन अपना पंजीकरण करवा सकता है.

किस सब्जी का कितना समर्थन मूल्य ?

सब्जी समर्थन मूल्य
टमाटर 400 रुपये प्रति क्विंटल
आलू 400 रुपये प्रति क्विंटल
प्याज 500 रुपये प्रति क्विंटल
फूलगोभी 500 रुपये प्रति क्विंटल

यमुनानगरः हरियाणा सरकार ने अपने पांच साल के कार्यकाल में अनेकों जनहित स्कीमें चलाईं लेकिन उन स्कीमों का जमीन पर क्या असर हुआ यही देखने के लिए ईटीवी भारत ने मनोहर सरकार का रियलिटी चेक नाम से एक स्पेशल प्रोग्राम शुरु किया ताकि पता चल सके कि आखिर सरकारी की योजनाओं पर कितना काम हुआ है. इस बार स्पेशल रिपोर्ट में हमारी टीम पहुंची रादौर विधानसभा में पड़ने वाली मंडी में और जानी भावांतर भरपाई योजना की सच्चाई.

रादौर में किसानों को पता ही नहीं कि भावांतर भरपाई योजना है क्या ? देखिए स्पेशल रिपोर्ट

क्या बोले यमुनानगर के किसान ?
यमुनानगर में सब्जी उगाने वाले ज्यादातर किसान रादौर में हैं. यहां के किसानों का कहना है कि ज्यादातर किसानों को तो इस योजना के बारे में पता ही नहीं है. इसके अलावा जिन्हें पता भी है वो भी आवेदन की जटिलता को न समझ पाने की वजह से लाभ नहीं उठा पाते हैं. क्योंकि ज्यादातर किसान बहुत ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं होते हैं इसलिए ऑनलाइन प्रक्रिया समझ नहीं पाते हैं.

'अधिकारियों ने जागरूक ही नहीं किया क्या करें'
किसानों का कहना है कि उन्हें कभी अधिकारियों ने बताया ही नहीं कि कैसे इस योजना का लाभ लिया जा सकता है इसीलिए हम औने-पौने दामों पर अपनी सब्जी बेचने को मजबूर हैं. किसानों का कहना है कि इस योजना से धरातल पर किसान को कोई लाभ नहीं हो रहा है. दरअसल अभी तक ज्यादातर मंडियों में कच्ची पर्ची देकर खरीदारी की जा रही है जिससे रिकॉर्ड रखना मुश्किल हो जाता है और योजना का लाभ नहीं मिल पाता है.

'गिरदावरी की तरह कोई इंतजाम हो'
किसान कहते हैं कि इस प्रक्रिया में काफी जटिलताएं हैं किसान अपना हिसाब-किताब नहीं रख पाता है इसलिए सरकार को चाहिए कि वो जैसे बाकी फसलों की गिरदावरी कराती है सब्जियों की भी गिरदावरी कराए और रिकॉर्ड रखा जाए कि किस किसान के पास कितनी सब्जी है तभी इसका लाभ सही से मिल पाएगा.

क्या है भावांतर भरपाई योजना ?
ये योजना 1 जनवरी 2018 से लागू हुई थी. जिसके तहत हरियाणा सरकार द्वारा आलू, टमाटर, प्याज, फूलगोभी और बंदगोभी को इस योजना में शामिल किया गया है. इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को अपनी फसल का निर्धारित समय में पंजीकरण करवाना होता है और जब फसल का दाम मंडी में कम हो तो उसे सरकार निर्धारित मूल्य पर खरीदती है ताकि किसानों को लागत मूल्य मिल सके. कोई भी किसान इस योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन अपना पंजीकरण करवा सकता है.

किस सब्जी का कितना समर्थन मूल्य ?

सब्जी समर्थन मूल्य
टमाटर 400 रुपये प्रति क्विंटल
आलू 400 रुपये प्रति क्विंटल
प्याज 500 रुपये प्रति क्विंटल
फूलगोभी 500 रुपये प्रति क्विंटल
Intro:एंकर हरियाणा सरकार द्वारा लोकहित में कई तरह की स्कीम में चलाई जा रही हैं जिनका रियलिटी चेक करने के लिए ईटीवी की टीम इन सभी स्कीमों के बारे में जानने के लिए लोगों तक पहुंच रही है। ईटीवी के खास कार्यक्रम इस कार्यक्रम का उद्देश्य यह है तो सरकार द्वारा जितनी भी स्कीम में चलाई जा रही हैं, क्या वह लोगो तक पहुंच भी रही है जा सिर्फ कागज़ों तक ही सीमित है। हरियाणा सरकार की किसानों के हित के लिए एक योजना है जिसका नाम है "भावांतर भरपाई योजना "। किसानों के हित में चलाई गई है योजना में हमारी पड़ताल में पाया गया कि ज्यादातर किसान इस योजना से नाखुश ही नज़र आये। और कई किसानों को तो इसके बारे में पता ही नहीं है।Body:वीओ हरियाणा राज्य सरकार ने भावांतर भरपाई योजना शुरू की है। जिसमे किसानों को फसलों की कीमत मे हुई घाटे की भरपाई की जाएगी। इस योजना से यह सुनिश्चित किया जाता है कि सब्जियों के लिए समर्थन मूल्य तय हो जाए। यदि किसान निश्चित आधार मूल्य से कम में अपनी सब्जियों बेच देंगे। तो उसके बाद सरकार किसानों को मुआवजा प्रदान करेगी, हरियाणा सरकार ने इस सरकारी योजना को 1 जनवरी 2018 से लागू हुई है।

वीओ सरकार प्रारंभिक चरण में आलू, प्याज, टमाटर, फूलगोभी – 4 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया गया है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसानों को उनकी उपज का कम मूल्य मे बिक्री का सामना नहीं करना पड़े। इसके अलावा, सरकार खेती लागत के आधार पर मूल्य ठीक कर सकती है

भावांतर भरपाई फसलों की सूची वसंरक्षित मूल्य 2018
टमाटर का समर्थन मूल्य = 400 रुपये प्रति क्विंटल
आलू का समर्थन मूल्य = 400 रुपये प्रति क्विंटल
प्याज का समर्थन मूल्य = 500 रुपये प्रति क्विंटल
फूलगोभी का समर्थन मूल्य = 500 रुपये प्रति क्विंटल
वीओ यमुनानगर जिले में सब्जी उगाने वाले किसान रादौर क्षेत्र में है । किसानों का कहना है कि ज्यादातर किसानों को तो इस स्कीम के बारे में भी नहीं पता है। कई किसानों का कहना है । सरकार की तरफ से चलाई जा रही यह योजना काफी जटिल है , क्योंकि किसान बहुत पढ़ा लिखा तो नहीं होता , इसलिए उसको ऑनलाइन प्रक्रिया कई बार समझ में नहीं आती है।

वीओ रादौर से सब्जी व्यापारी सब्जी उगाने वाले किसान का कहना है के किसान अपनी सब्जी को औने पौने दाम पर लूटने के लिए मजबूर है क्योंकि कभी किसी अधिकारी ने इस बारे में किसान को जागरूक नहीं करवाया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने योजनाएं सिर्फ कागजों तक ही बनाई है धरातल पर किसानों को इसका कोई भी लाभ नहीं हो रहा है।किसानों का कहना है कि एक तो रादौर में सब्जी मंडी ही नहीं है किसान अपनी सब्जियां सुबह-सुबह लेकर मंडी पहुंचता है लेकिन उसको यहां ठीक से व्यवस्था नहीं मिलती है। उन्होंने बताया कि सरकार ने सब्जी पर मार्किट फीस खत्म की हुई है । परंतु इसके बावजूद भी कोई भी यह फार्म नहीं काटता है और सब्जी कच्चे पर्ची पर बिकती है अगर जो फार्म काटा जाए तभी तो भावांतर योजना का लाभ किसान ले पाएंगे। किसानों का आरोप है कि योजना को लागू करने के बाद कभी देखा भी नहीं जाता फिर योजना का लाभ लेने वाले उसका लाभ सही तरीके से ले भी रहे हैं या नहीं।

वीओ मार्किट कमेटी के सचिव शाम सिंह का कहना है कि इस स्कीम के तहत रदौर क्षेत्र में अभी तक 497 किसानों के रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं अभी तक इसमें सरकार ने चार सब्जियों को लिया गया है लेकिन भविष्य में और भी सब्जियां इस योजना में लाई जा सकती हैं । उन्होंने कहा कि मार्केट कमेटी और बागवानी विभाग के द्वारा समय-समय पर किसानों को इस स्कीम के तहत लिए जागरूक करवाया जाता है।

Note......One to one Rajni Soni Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.