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हरियाणा रोक रहा दिल्ली का पानी? क्या हथिनी कुंड बैराज पर पानी कर सकते हैं स्टोर? जानिए

हरियाणा और दिल्ली के बीच पानी को लेकर विवाद लगातार जारी है. दिल्ली सरकार हरियाणा पर पानी न देने के आरोप लगा रही है. लेकिन इसी बीच ये जानना भी जरूरी है कि हरियाणा में पानी की स्थिति क्या है और दिल्ली को हरियाणा से पानी कैसे जाता है. इसमें सबसे बड़ा नाम आता है हथिनी कुंड बैराज का. यहां जानिए कि हथिनी कुंड बैराज पर पानी कहां से आता है और यहां से दिल्ली समेत बाकी राज्यों को पानी कैसे जाता है.

haryana delhi water crisis
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Published : Jul 12, 2021, 6:41 PM IST

यमुनानगर: दिल्ली और हरियाणा के बीच जल विवाद एक बार फिर बढ़ता दिखाई दे रहा है. दिल्ली जल बोर्ड ने हरियाणा पर पानी की कटौती का आरोप लगाते सुप्रीम कोर्ट के 1996 के आदेश का पालन न करने के लिए हरियाणा के मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव और जल संसाधन विभाग के खिलाफ अवमानना ​​याचिका दायर की है. वहीं, पूरे मामले पर आरोप-प्रत्यारोप भी तेज हैं. दिल्ली लगातार हरियाणा पर पानी न देने के आरोप लगा रही है, लेकिन इसी बीच ये जानना भी जरूरी है कि हरियाणा में पानी की स्थिति क्या है और दिल्ली को हरियाणा से पानी कैसे जाता है. इसमें सबसे बड़ा नाम आता है हथिनी कुंड बैराज का.

हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज से छोड़ा जाने वाला पानी देश की राजधानी दिल्ली के साथ-साथ हरियाणा व पश्चिमी व उत्तरी उत्तर प्रदेश को जाता है. हिमाचल प्रदेश में पहाड़ों में हो रही बरसात के चलते अब यमुना नदी में जलस्तर बढ़ना शुरू हो चुका है. इसके बावजूद भी हरियाणा की जरूरत के हिसाब से जल की पूर्ति नहीं हो रही है. यमुनानगर के सिंचाई विभाग अधिकारी ने इसके बारे में जानकारी दी.

क्या हरियाणा रोक रहा दिल्ली का पानी? क्या हथिनी कुंड बैराज पर पानी कर सकते हैं स्टोर? जानिए

पहाड़ों से निकलकर यमुना नदी यमुनानगर के हथिनी कुंड बैराज के पास धरातल पर पहुंचती है. यहां पर साल 1999 में हथिनी कुंड बैराज का कार्य पूरा हुआ था जिसके बाद यहां से पानी को कंट्रोल कर हरियाणा और उत्तर प्रदेश की नहरों में छोड़ा जाता है और बरसात के मौसम में पानी ज्यादा आने पर बड़ी यमुना नदी में पानी छोड़ दिया जाता है. सिंचाई विभाग के अधिकारियों के मुताबिक बैराज पर पानी स्टोर नहीं किया जाता बल्कि सिर्फ कंट्रोल किया जाता है.

ये भी पढ़ें- पानी संकट पर दिल्ली-हरियाणा में रार, जल बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका

उन्होंने बताया कि कल यमुना नदी में करीब 15,000 क्यूसेक पानी आने पर हरियाणा को करीब 10,000 क्यूसेक पानी दिया जा रहा था बाकी का पानी उत्तर प्रदेश की नहर में छोड़ा गया था, लेकिन आज यमुना में करीब 8000 क्यूसेक पानी बह रहा है जो करनाल के मूनक हेड की तरफ भेजा जा रहा है. उन्होंने बताया कि यहां पानी का किसी तरह का कोई इस्तेमाल नहीं होता. जितना पानी नदी में आता है वह डाइवर्ट कर मूनक हेड की तरफ छोड़ दिया जाता है.

उन्होंने बताया कि यदि मूनक हेड की डिमांड पूरी होने के बाद पानी बच जाता है तो वह बड़ी यमुना नदी में छोड़ दिया जाता है जो सीधा दिल्ली की तरफ जाती है, लेकिन इस बार ऐसी कोई स्थिति अब तक नहीं बनी कि पानी बड़ी यमुना नदी में छोड़ा जाए. फिलहाल उन्हें डाकपत्थर पर 57,000 क्यूसेक पानी आने की सूचना मिली है जो करीब 6 घंटे में हथिनी कुंड बैराज तक पहुंचेगा और इस पानी को मूनक हेड तक पहुंचने में 18 घंटे लग जाते हैं.

ये भी पढ़ें- दिल्ली में पानी की कमी के लिए हरियाणा की खट्टर सरकार जिम्मेदार : राघव चड्ढा

हरियाणा में पानी की डिमांड ज्यादा है, अब तक जल की पूर्ति नहीं हो रही है. हथिनी कुंड बैराज पर यदि 70,000 क्यूसेक से ज्यादा पानी आता है तो हरियाणा की दोनों नहरों की सप्लाई बंद कर उसे बड़ी यमुना में छोड़ दिया जाता है. साथ ही दिल्ली जाने वाले पानी पर यमुनानगर से किसी तरह की कोई रोक नहीं होती. ये हरियाणा के दो जिलों से डायवर्ट किया जाता है जिनमें से एक करनाल है और दूसरी तरफ भाखड़ा की तरफ से भी पानी आता है.

मानसून लेट होने की वजह से अभी पहाड़ी इलाकों में भी बरसात कम हो रही है. हालांकि सिरमौर जिले के एक गांव में भी आज बादल फटने की घटना सामने आई है. जब मानसून पूरी तरह सक्रिय होंगे तो यमुना नदी में लाखों क्यूसेक पानी पहुंच जाता है जो दिल्ली की तरफ छोड़ा जाता है और जिससे दिल्ली को हर साल बाढ़ का खतरा भी बन जाता है.

ये भी पढ़ें- दिल्ली में पानी के लिए परेशान लोग, भाजपा ने प्रदेश भर में किया मटका फोड़ प्रदर्शन

यमुनानगर: दिल्ली और हरियाणा के बीच जल विवाद एक बार फिर बढ़ता दिखाई दे रहा है. दिल्ली जल बोर्ड ने हरियाणा पर पानी की कटौती का आरोप लगाते सुप्रीम कोर्ट के 1996 के आदेश का पालन न करने के लिए हरियाणा के मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव और जल संसाधन विभाग के खिलाफ अवमानना ​​याचिका दायर की है. वहीं, पूरे मामले पर आरोप-प्रत्यारोप भी तेज हैं. दिल्ली लगातार हरियाणा पर पानी न देने के आरोप लगा रही है, लेकिन इसी बीच ये जानना भी जरूरी है कि हरियाणा में पानी की स्थिति क्या है और दिल्ली को हरियाणा से पानी कैसे जाता है. इसमें सबसे बड़ा नाम आता है हथिनी कुंड बैराज का.

हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज से छोड़ा जाने वाला पानी देश की राजधानी दिल्ली के साथ-साथ हरियाणा व पश्चिमी व उत्तरी उत्तर प्रदेश को जाता है. हिमाचल प्रदेश में पहाड़ों में हो रही बरसात के चलते अब यमुना नदी में जलस्तर बढ़ना शुरू हो चुका है. इसके बावजूद भी हरियाणा की जरूरत के हिसाब से जल की पूर्ति नहीं हो रही है. यमुनानगर के सिंचाई विभाग अधिकारी ने इसके बारे में जानकारी दी.

क्या हरियाणा रोक रहा दिल्ली का पानी? क्या हथिनी कुंड बैराज पर पानी कर सकते हैं स्टोर? जानिए

पहाड़ों से निकलकर यमुना नदी यमुनानगर के हथिनी कुंड बैराज के पास धरातल पर पहुंचती है. यहां पर साल 1999 में हथिनी कुंड बैराज का कार्य पूरा हुआ था जिसके बाद यहां से पानी को कंट्रोल कर हरियाणा और उत्तर प्रदेश की नहरों में छोड़ा जाता है और बरसात के मौसम में पानी ज्यादा आने पर बड़ी यमुना नदी में पानी छोड़ दिया जाता है. सिंचाई विभाग के अधिकारियों के मुताबिक बैराज पर पानी स्टोर नहीं किया जाता बल्कि सिर्फ कंट्रोल किया जाता है.

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उन्होंने बताया कि कल यमुना नदी में करीब 15,000 क्यूसेक पानी आने पर हरियाणा को करीब 10,000 क्यूसेक पानी दिया जा रहा था बाकी का पानी उत्तर प्रदेश की नहर में छोड़ा गया था, लेकिन आज यमुना में करीब 8000 क्यूसेक पानी बह रहा है जो करनाल के मूनक हेड की तरफ भेजा जा रहा है. उन्होंने बताया कि यहां पानी का किसी तरह का कोई इस्तेमाल नहीं होता. जितना पानी नदी में आता है वह डाइवर्ट कर मूनक हेड की तरफ छोड़ दिया जाता है.

उन्होंने बताया कि यदि मूनक हेड की डिमांड पूरी होने के बाद पानी बच जाता है तो वह बड़ी यमुना नदी में छोड़ दिया जाता है जो सीधा दिल्ली की तरफ जाती है, लेकिन इस बार ऐसी कोई स्थिति अब तक नहीं बनी कि पानी बड़ी यमुना नदी में छोड़ा जाए. फिलहाल उन्हें डाकपत्थर पर 57,000 क्यूसेक पानी आने की सूचना मिली है जो करीब 6 घंटे में हथिनी कुंड बैराज तक पहुंचेगा और इस पानी को मूनक हेड तक पहुंचने में 18 घंटे लग जाते हैं.

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हरियाणा में पानी की डिमांड ज्यादा है, अब तक जल की पूर्ति नहीं हो रही है. हथिनी कुंड बैराज पर यदि 70,000 क्यूसेक से ज्यादा पानी आता है तो हरियाणा की दोनों नहरों की सप्लाई बंद कर उसे बड़ी यमुना में छोड़ दिया जाता है. साथ ही दिल्ली जाने वाले पानी पर यमुनानगर से किसी तरह की कोई रोक नहीं होती. ये हरियाणा के दो जिलों से डायवर्ट किया जाता है जिनमें से एक करनाल है और दूसरी तरफ भाखड़ा की तरफ से भी पानी आता है.

मानसून लेट होने की वजह से अभी पहाड़ी इलाकों में भी बरसात कम हो रही है. हालांकि सिरमौर जिले के एक गांव में भी आज बादल फटने की घटना सामने आई है. जब मानसून पूरी तरह सक्रिय होंगे तो यमुना नदी में लाखों क्यूसेक पानी पहुंच जाता है जो दिल्ली की तरफ छोड़ा जाता है और जिससे दिल्ली को हर साल बाढ़ का खतरा भी बन जाता है.

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