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सोनीपत: जाटलैंड में बीजेपी का रहा है दबदबा, इस बार कौन मारेगा बाजी?

पिछले 20 साल के दौरान सोनीपत लोकसभा सीट पर तीन बार बीजेपी ने जीत दर्ज की है. सबसे लंबे वक्त तक बीजेपी के किशन सिंह सांगवान यहां से सांसद रहे हैं. कांग्रेस की निगाह भाजपा के गढ़ जीटी रोड बेल्‍ट पर है जिसमें सोनीपत भी एक खास सीट है.

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Published : Apr 3, 2019, 8:05 AM IST

Updated : Apr 3, 2019, 12:42 PM IST

सोनीपत.

सोनीपत: 12 मई को हरियाणा में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होगा. जिसको लेकर सभी दल वोटों की जुगत में जुटे हुए हैं. वहीं आज हम आपको बताने वाले हैं जीटी रोड बेल्‍ट की एक और सीट सोनीपत के बारे में. सोनीपत को भाजपा का गढ़ कहा जाता है.

फाइल फोटो.
फाइल फोटो.

सोनीपत का राजनीतिक इतिहास

पिछले 20 साल के दौरान सोनीपत लोकसभा सीट पर तीन बार बीजेपी ने जीत दर्ज की है. सबसे लंबे वक्त तक बीजेपी के किशन सिंह सांगवान यहां से सांसद रहे हैं. सांगवान 1998 से लेकर 2009 तक सांसद थे. इस सीट पर पहली बार इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए चुनाव में सोनीपत से भारतीय लोकदल के उम्मीदवार मुख्तियार सिंह मलिक ने बाजी मारी थी. जबकि 1980 में हुए चुनाव में चौधरी देवीलाल ने जीत दर्ज की.

पूर्व सांसद किशन सिंह सांगवान.
पूर्व सांसद किशन सिंह सांगवान.

1984 में हुए चुनाव में कांग्रेस के धर्मपाल मलिक ने चौधरी देवीलाल को हरा दिया था. जबकि 2009 में यहां से कांग्रेस के जितेंद्र सिंह मलिक ने जीत दर्ज की थी और फिर 2014 में बीजेपी के रमेश कौशिक ने बाजी मारी.

चौधरी देवी लाल.
चौधरी देवी लाल.


2014 के लोकसभा चुनाव में रमेश कौशिक ने कांग्रेस के जगबीर सिंह मलिक को हराया था. बीजेपी उम्मीदवार कौशिक को 3,47,203 मत मिले थे. जबकि कांग्रेसी उम्मीदवार को 2,69,789 वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर इनेलो के पदम सिंह दहिया रहे थे.
जाट वोटर्स का है असर.
जाट वोटर्स का है असर.

जाट वोट का है गहरा असर

सोनीपत लोकसभा सीट 1977 से पहले तक रोहतक लोकसभा सीट का ही हिस्सा था. सोनीपत लोकसभा सीट जाटों के प्रभाव के अनुपात से हरियाणा में से दूसरे नंबर की सीट है. लेकिन यहां से दो बार गैर-जाट उम्मीदवार भी बाजी मार चुके हैं. सोनीपत लोकसभा में 15 लाख से ज्यादा मतदाताओं में से सबसे ज्यादा पौने पांच लाख जाट वोटर्स हैं और ब्राह्मण वोटर्स की संख्या 1,44,000 है.

ख्वाजा खिज्र का मकबरा.
ख्वाजा खिज्र का मकबरा.


सोनीपत को जाटलैंड भी कहते हैं. इस लोकसभा क्षेत्र पर जाट उम्मीदवारों का दबदबा रहा है. सोनीपत लोकसभा में अभी तक 11 बार हुए चुनाव में 9 बार जाट उम्मीदवार ने जीत हासिल की है. जबकि दो बार गैट जाट उम्मीदवार को कामयाबी मिली है. इस लोकसभा सीट के तहत 9 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिनमें से 6 सीटें गन्नौर, राई, खरखौदा, सोनीपत, गोहाना और बरौदा सोनीपत जिले के अंदर हैं. जबकि तीन विधानसभा क्षेत्र जुलाना, जींद और सफीदों जींद जिले में पड़ते हैं.
स्थानीय निवासी क्या कहते हैं मौजूदा सांसद के बारे में.

मौजूदा सांसद का रिपोर्ट कार्ड

बीजेपी सांसद रमेश चंद्र कौशिक की संसद में मौजूदा कार्यकाल में उपस्थिति 100 फीसदी रही. उन्होंने 2014 से लेकर दिसंबर 2018 तक लोकसभा में 16 डिबेट में हिस्सा लिया. इस कार्यकाल दौरान उन्होंने एक प्राइवेट मेंबर बिल भी प्रस्तुत किया. वहीं बीजेपी सांसद ने लोकसभा में 5 वर्षों के दौरान कुल 161 सवाल पूछे. हालांकि सांसद के खिलाफ लोगों में नाराजगी है.

स्थानीय निवासी क्या कहते हैं मौजूदा सांसद के बारे में.

कौन-कौन हैयहां से दावेदार?

भाजपा के सोनीपत से सांसद रमेश कौशिक कुछ समय पहले लोकसभभा चुनाव लड़ने से इंकार कर रहे थे और विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कह रहे थे. अब वे लोकसभा चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं. वहीं केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के पुत्र विजयेंद्र भाजपा की टिकट की लाइन में हैं.

रमेश कौशिक, सांसद.

उधर ओलंपिक पदक विजेता पहलवान योगेश्वर दत्त भी सोनीपत से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं. कृष्णा गहलावत भी टिकट की दावेदारी पेश कर रही हैं. कृष्णा गहलावत जाट समाज से हैं. ऐसे में अब देखना है कि भाजपा इनमें से किस पर दांव खेलती है.

योगेश्वर दत्त.
योगेश्वर दत्त.


वहीं कांग्रेस की तरफ से हैवीवेट उम्मीदवार आने की संभावना है. चर्चा है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा के परिवार से भी कोई प्रत्याशी सोनीपत सीट पर चुनाव लड़ सकता है. खुद पूर्व सीएम हुड्डा या उनकी पत्नी चुनाव लड़ सकती हैं इस बात की पूरी आशंका है.
पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा.
पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा.

कांग्रेस के अन्य दावेदारों में भाजपा के पूर्व सांसद किशन सिंह सांगवान के पुत्र प्रदीप सांगवान, उमेश शर्मा, वीना देशवाल भी टिकट मांग रहे हैं. वहीं नई पार्टी जेजेपी भी किसी दमदार नेता को टिकट देगी. इनेलो भी सोनीपत को हल्के में लेने के मूड में नहीं है.

आशा हुड्डा.
आशा हुड्डा.

महाभारत काल से जुड़ा है इतिहास

सोनीपत का इतिहास महाभारत से काल जुड़ा हुआ है. सोनीपत का नाम पहले सोनप्रस्थ (स्वर्णप्रस्थ) था, महाभारत के दौरान ये उन गांवों में से एक था जो पांडवों ने अपना राज्य बनाने के लिए मांगे थे. सोनीपत देश में साइकिल प्रोडक्शन के लिए जाना जाता है.

फाइल फोटो.
फाइल फोटो.

सोनीपत: 12 मई को हरियाणा में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होगा. जिसको लेकर सभी दल वोटों की जुगत में जुटे हुए हैं. वहीं आज हम आपको बताने वाले हैं जीटी रोड बेल्‍ट की एक और सीट सोनीपत के बारे में. सोनीपत को भाजपा का गढ़ कहा जाता है.

फाइल फोटो.
फाइल फोटो.

सोनीपत का राजनीतिक इतिहास

पिछले 20 साल के दौरान सोनीपत लोकसभा सीट पर तीन बार बीजेपी ने जीत दर्ज की है. सबसे लंबे वक्त तक बीजेपी के किशन सिंह सांगवान यहां से सांसद रहे हैं. सांगवान 1998 से लेकर 2009 तक सांसद थे. इस सीट पर पहली बार इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए चुनाव में सोनीपत से भारतीय लोकदल के उम्मीदवार मुख्तियार सिंह मलिक ने बाजी मारी थी. जबकि 1980 में हुए चुनाव में चौधरी देवीलाल ने जीत दर्ज की.

पूर्व सांसद किशन सिंह सांगवान.
पूर्व सांसद किशन सिंह सांगवान.

1984 में हुए चुनाव में कांग्रेस के धर्मपाल मलिक ने चौधरी देवीलाल को हरा दिया था. जबकि 2009 में यहां से कांग्रेस के जितेंद्र सिंह मलिक ने जीत दर्ज की थी और फिर 2014 में बीजेपी के रमेश कौशिक ने बाजी मारी.

चौधरी देवी लाल.
चौधरी देवी लाल.


2014 के लोकसभा चुनाव में रमेश कौशिक ने कांग्रेस के जगबीर सिंह मलिक को हराया था. बीजेपी उम्मीदवार कौशिक को 3,47,203 मत मिले थे. जबकि कांग्रेसी उम्मीदवार को 2,69,789 वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर इनेलो के पदम सिंह दहिया रहे थे.
जाट वोटर्स का है असर.
जाट वोटर्स का है असर.

जाट वोट का है गहरा असर

सोनीपत लोकसभा सीट 1977 से पहले तक रोहतक लोकसभा सीट का ही हिस्सा था. सोनीपत लोकसभा सीट जाटों के प्रभाव के अनुपात से हरियाणा में से दूसरे नंबर की सीट है. लेकिन यहां से दो बार गैर-जाट उम्मीदवार भी बाजी मार चुके हैं. सोनीपत लोकसभा में 15 लाख से ज्यादा मतदाताओं में से सबसे ज्यादा पौने पांच लाख जाट वोटर्स हैं और ब्राह्मण वोटर्स की संख्या 1,44,000 है.

ख्वाजा खिज्र का मकबरा.
ख्वाजा खिज्र का मकबरा.


सोनीपत को जाटलैंड भी कहते हैं. इस लोकसभा क्षेत्र पर जाट उम्मीदवारों का दबदबा रहा है. सोनीपत लोकसभा में अभी तक 11 बार हुए चुनाव में 9 बार जाट उम्मीदवार ने जीत हासिल की है. जबकि दो बार गैट जाट उम्मीदवार को कामयाबी मिली है. इस लोकसभा सीट के तहत 9 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिनमें से 6 सीटें गन्नौर, राई, खरखौदा, सोनीपत, गोहाना और बरौदा सोनीपत जिले के अंदर हैं. जबकि तीन विधानसभा क्षेत्र जुलाना, जींद और सफीदों जींद जिले में पड़ते हैं.
स्थानीय निवासी क्या कहते हैं मौजूदा सांसद के बारे में.

मौजूदा सांसद का रिपोर्ट कार्ड

बीजेपी सांसद रमेश चंद्र कौशिक की संसद में मौजूदा कार्यकाल में उपस्थिति 100 फीसदी रही. उन्होंने 2014 से लेकर दिसंबर 2018 तक लोकसभा में 16 डिबेट में हिस्सा लिया. इस कार्यकाल दौरान उन्होंने एक प्राइवेट मेंबर बिल भी प्रस्तुत किया. वहीं बीजेपी सांसद ने लोकसभा में 5 वर्षों के दौरान कुल 161 सवाल पूछे. हालांकि सांसद के खिलाफ लोगों में नाराजगी है.

स्थानीय निवासी क्या कहते हैं मौजूदा सांसद के बारे में.

कौन-कौन हैयहां से दावेदार?

भाजपा के सोनीपत से सांसद रमेश कौशिक कुछ समय पहले लोकसभभा चुनाव लड़ने से इंकार कर रहे थे और विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कह रहे थे. अब वे लोकसभा चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं. वहीं केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के पुत्र विजयेंद्र भाजपा की टिकट की लाइन में हैं.

रमेश कौशिक, सांसद.

उधर ओलंपिक पदक विजेता पहलवान योगेश्वर दत्त भी सोनीपत से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं. कृष्णा गहलावत भी टिकट की दावेदारी पेश कर रही हैं. कृष्णा गहलावत जाट समाज से हैं. ऐसे में अब देखना है कि भाजपा इनमें से किस पर दांव खेलती है.

योगेश्वर दत्त.
योगेश्वर दत्त.


वहीं कांग्रेस की तरफ से हैवीवेट उम्मीदवार आने की संभावना है. चर्चा है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा के परिवार से भी कोई प्रत्याशी सोनीपत सीट पर चुनाव लड़ सकता है. खुद पूर्व सीएम हुड्डा या उनकी पत्नी चुनाव लड़ सकती हैं इस बात की पूरी आशंका है.
पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा.
पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा.

कांग्रेस के अन्य दावेदारों में भाजपा के पूर्व सांसद किशन सिंह सांगवान के पुत्र प्रदीप सांगवान, उमेश शर्मा, वीना देशवाल भी टिकट मांग रहे हैं. वहीं नई पार्टी जेजेपी भी किसी दमदार नेता को टिकट देगी. इनेलो भी सोनीपत को हल्के में लेने के मूड में नहीं है.

आशा हुड्डा.
आशा हुड्डा.

महाभारत काल से जुड़ा है इतिहास

सोनीपत का इतिहास महाभारत से काल जुड़ा हुआ है. सोनीपत का नाम पहले सोनप्रस्थ (स्वर्णप्रस्थ) था, महाभारत के दौरान ये उन गांवों में से एक था जो पांडवों ने अपना राज्य बनाने के लिए मांगे थे. सोनीपत देश में साइकिल प्रोडक्शन के लिए जाना जाता है.

फाइल फोटो.
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सोनीपत: जाटलैंड में बीजेपी का रहा है दबदबा, इस बार कौन मारेगा बाजी? 



सोनीपत: 12 मई को हरियाणा में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होगा. जिसको लेकर सभी दल वोटों की जुगत में जुटे हुए हैं. वहीं आज हम आपको बताने वाले हैं जीटी रोड बेल्‍ट की एक और सीट सोनीपत के बारे में. सोनीपत को भाजपा का गढ़ कहा जाता है. 



सोनीपत का राजनीतिक इतिहास

पिछले 20 साल के दौरान सोनीपत लोकसभा सीट पर तीन बार बीजेपी ने जीत दर्ज की है. सबसे लंबे वक्त तक बीजेपी के किशन सिंह सांगवान यहां से सांसद रहे हैं. सांगवान 1998 से लेकर 2009 तक थे. इस सीट पर पहली बार इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए चुनाव में सोनीपत से भारतीय लोकदल के उम्मीदवार मुख्तियार सिंह मलिक ने बाजी मारी थी. जबकि 1980 में हुए चुनाव में देवीलाल ने जीत दर्ज की. 1984 में हुए चुनाव में कांग्रेस के धर्मपाल मलिक ने चौधरी देवीलाल को हरा दिया था. जबकि 2009 में यहां से कांग्रेस के जितेंद्र सिंह मलिक ने जीत दर्ज की थी और फिर 2014 में बीजेपी के रमेश कौशिक ने बाजी मारी. कांग्रेस की निगाह भाजपा के गढ़ जीटी रोड बेल्‍ट पर है जिसमें सोनीपत भी एक खास सीट है. 

2014 के लोकसभा चुनाव में रमेश कौशिक ने कांग्रेस के जगबीर सिंह मलिक को हराया था. बीजेपी उम्मीदवार कौशिक को 3,47,203 मत पड़े थे. जबकि कांग्रेसी उम्मीदवार को 2,69,789 वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर इनेलो के पदम सिंह दहिया रहे थे.



जाट वोट का है गहरा असर

सोनीपत लोकसभा सीट 1977 से पहले तक रोहतक लोकसभा सीट का ही हिस्सा था. सोनीपत लोकसभा सीट जाटों के प्रभाव के अनुपात से हरियाणा में से दूसरे नंबर की सीट है. लेकिन यहां से दो बार गैर-जाट उम्मीदवार भी बाजी मार चुके हैं. सोनीपत लोकसभा में 15 लाख से ज्यादा मतदाताओं में से सबसे ज्यादा पौने पांच लाख जाट वोटर्स हैं और ब्राह्मण वोटर्स की संख्या 1,44,000 है.

सोनीपत को जाट लैंड भी कहते हैं. इस लोकसभा क्षेत्र पर जाट उम्मीदवारों का दबदबा रहा है. सोनीपत लोकसभा में अभी तक 11 बार हुए चुनाव में 9 बार जाट उम्मीदवार जीत हासिल की है. जबकि दो बार गैट जाट उम्मीदवार को कामयाबी मिली है. इस लोकसभा सीट के तहत 9 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिनमें से 6 सीटें गन्नौर, राई, खरखौदा, सोनीपत, गोहाना और बरौदा सोनीपत जिले के अंदर हैं. जबकि तीन विधानसभा क्षेत्र जुलाना, जींद और सफीदों जींद जिले में पड़ते हैं.



मौजूदा सांसद का रिपोर्ट कार्ड

बीजेपी सांसद रमेश चंद्र कौशिक की संसद में मौजूदा कार्यकाल में उपस्थिति 100 फीसदी रही. उन्होंने 2014 से लेकर दिसंबर 2018 तक लोकसभा में 16 डिबेट में हिस्सा लिया. इस कार्यकाल दौरान उन्होंने एक प्राइवेट मेंबर बिल भी प्रस्तुत किया. वहीं बीजेपी सांसद ने लोकसभा में 5 वर्षों के दौरान कुल 161 सवाल पूछे. हालांकि सांसद के खिलाफ लोगों में नाराजगी है.



कौन-कौन हैं यहां से दावेदार?

भाजपा के सोनीपत से सांसद रमेश कौशिक कुछ समय पहले लोकसभभा चुनाव लड़ने से इंकार कर रहे थे और विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कह रहे थे. अब वे लोकसभा चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं. वहीं केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के पुत्र विजयेंद्र भाजपा की टिकट की लाइन में हैं. उधर ओलंपियन योगेश्वर दत्त भी सोनीपत से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं. कृष्णा गहलावत भी टिकट की दावेदारी पेश कर रही हैं. कृष्णा गहलावत जाट समाज से हैं. ऐसे में अब देखना है कि भाजपा इनमें से किस पर दांव खेलती है.

वहीं कांग्रेस की तरफ से हैवीवेट उम्मीदवार आने की संभावना है. चर्चा है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा के परिवार से भी कोई प्रत्याशी सोनीपत सीट पर चुनाव लड़ सकता है. खुद पूर्व सीएम हुड्डा या उनकी पत्नी चुनाव लड़ सकती हैं इस बात की पूरी आशंका है. कांग्रेस के अन्य दावेदारों में भाजपा के पूर्व सांसद किशन सिंह सांगवान के पुत्र प्रदीप सांगवान, उमेश शर्मा, डॉ. विपिन सांगवान, वीना देशवाल भी टिकट मांग रहे हैं. वहीं नई पार्टी जेजेपी भी किसी दमदार नेता को टिकट देगी. इनेलो भी सोनीपत को हल्के में लेने के मूड में नहीं है.



महाभारत काल से जुड़ा है इतिहास

सोनीपत का इतिहास महाभारत से काल जुड़ा हुआ है. सोनीपत का नाम पहले सोनप्रस्थ (स्वर्णप्रस्थ) था, महाभारत के दौरान ये उन गांवों में से एक था जो पांडवों ने अपना राज्य हस्तिनापुर बनाने के लिए मांगे थे. सोनीपत देश में साइकिल प्रोडक्शन के लिए जाना जाता है. 

 


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Last Updated : Apr 3, 2019, 12:42 PM IST
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