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कोरोना काल में काम मिलना हुआ बंद तो ये मां-बेटी ऐसे कमा रहीं हैं दो वक्त की रोटी

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Published : May 8, 2021, 9:02 PM IST

गोहाना में एक मां-बेटी लॉकडाउन के दौरान रेहड़ी लगाकर दो वक्त की रोटी कमा रही है. उनके घर पर कोई और कमाने वाला नहीं है और इन दिनों काम ना मिलने की वजह से उनका गुजारा चलाना मुश्किल हो रहा था.

gohana lockdown Mother daughter selling fruits
मां-बेटी लॉकडाउन के दौरान रेहड़ी लगाकर दो वक्त की रोटी कमा रही है.

सोनीपत: कोरोना काल ने लोगों की जिंदगियां तो छीन ही ली है लेकिन जो जिंदा है उनके लिए दो वक्त की रोटी कमाना भी मुश्किल हो गया है. लेकिन इस मुसीबत भरे दौर में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो हार नहीं माने है और पूरे जज्बे के साथ जिंदगी जी रहे हैं.

हम बात गोहाना की रहने वाली मां-बेटी की कर रहें हैं जो लॉकडाउन के दौरान नौकरी छूट जाने के बाद सब्जियां और फल बेच कर अपना जीवन व्यतीत कर रही हैं. रेहड़ी पर फल बेच रही महिला का नाम गीता है और वो बताती है कि शादी और अन्य कार्यक्रमों में हलवाई के साथ जाकर दो वक्त की रोटी कमा लेती थी लेकिन कोरोना संक्रमण बढ़ने पर काम मिलना बंद हो गया.

मां-बेटी लॉकडाउन के दौरान रेहड़ी लगाकर दो वक्त की रोटी कमा रही है.

ये भी पढ़ें: मजबूत हौसले ने दी कोरोना को मात, अस्पताल से घर लौटे मरीज ने किया डॉक्टर्स को सलाम

अब घर का खर्च चलाने के लिए गीता रेहड़ी लगाकर फल-सब्जी बेचने का काम कर रही है. इस काम में गीता की मां शकुंतला देवी भी उसकी मदद करती है और दोनों मां-बेटी लॉकडाउन के दौरान शहर में फेरी लगाकर फल और सब्जियां बेच रही हैं.

गीता ने बताया कि लॉकडाउन लगने के बाद घर की स्थिति ज्यादा खराब हो गई और रेहड़ी लगाकर उन्होंने सब्जियां और फल बेचना शुरू कर दिया. गीता ने बताया कि वो उसकी मां घर से सुबह 5 रेहड़ी लेकर निकलती है और शाम के 8 बजे घर पर वापस पहुंच जाती है.

ये भी पढ़ें: खुशखबरी: यहां शुरू हुआ 75 बेड की क्षमता वाला कोविड अस्पताल, हरियाणा के राज्यपाल ने किया उद्घाटन

बता दें कि गीता मूल रूप से उत्तर प्रदेश के सहारनपुर की रहने वाली है और वो करीब 12 वर्ष पहले अपनी मां के साथ गोहाना आई थी, लेकिन घर में कमाने के लिए कोई भी मर्द नहीं है इसीलिए सुबह मां और बेटी रेहड़ी लेकर निकल जाती है और दिनभर फल-सब्जियां बेचकर अपना गुजारा कर रही है.

सोनीपत: कोरोना काल ने लोगों की जिंदगियां तो छीन ही ली है लेकिन जो जिंदा है उनके लिए दो वक्त की रोटी कमाना भी मुश्किल हो गया है. लेकिन इस मुसीबत भरे दौर में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो हार नहीं माने है और पूरे जज्बे के साथ जिंदगी जी रहे हैं.

हम बात गोहाना की रहने वाली मां-बेटी की कर रहें हैं जो लॉकडाउन के दौरान नौकरी छूट जाने के बाद सब्जियां और फल बेच कर अपना जीवन व्यतीत कर रही हैं. रेहड़ी पर फल बेच रही महिला का नाम गीता है और वो बताती है कि शादी और अन्य कार्यक्रमों में हलवाई के साथ जाकर दो वक्त की रोटी कमा लेती थी लेकिन कोरोना संक्रमण बढ़ने पर काम मिलना बंद हो गया.

मां-बेटी लॉकडाउन के दौरान रेहड़ी लगाकर दो वक्त की रोटी कमा रही है.

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अब घर का खर्च चलाने के लिए गीता रेहड़ी लगाकर फल-सब्जी बेचने का काम कर रही है. इस काम में गीता की मां शकुंतला देवी भी उसकी मदद करती है और दोनों मां-बेटी लॉकडाउन के दौरान शहर में फेरी लगाकर फल और सब्जियां बेच रही हैं.

गीता ने बताया कि लॉकडाउन लगने के बाद घर की स्थिति ज्यादा खराब हो गई और रेहड़ी लगाकर उन्होंने सब्जियां और फल बेचना शुरू कर दिया. गीता ने बताया कि वो उसकी मां घर से सुबह 5 रेहड़ी लेकर निकलती है और शाम के 8 बजे घर पर वापस पहुंच जाती है.

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बता दें कि गीता मूल रूप से उत्तर प्रदेश के सहारनपुर की रहने वाली है और वो करीब 12 वर्ष पहले अपनी मां के साथ गोहाना आई थी, लेकिन घर में कमाने के लिए कोई भी मर्द नहीं है इसीलिए सुबह मां और बेटी रेहड़ी लेकर निकल जाती है और दिनभर फल-सब्जियां बेचकर अपना गुजारा कर रही है.

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