नूंहः हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं अवसंरचना विकास निगम (HSIIDC) के माध्यम से आईएमटी रोजका मेव के लिए नूंह जिले में 9 गावों के लोगों से जमीन अधिग्रहण किया गया था. मुआवजा और संबंधित गांवों के विकास के पर एचएसआईआईडीसी और किसानों के बीच विवाद चल रहा है. इसको लेकर किसान आंदोलनरत हैं. किसानों की मांगों पर नायब सैनी सरकार ने गंभीर दिखाई. इसके बाद लंबे समय से धरना-प्रदर्शन कर रहे किसानों और प्रशासन के बीच वार्ता हुई.
10 मांगों पर बनी सहमतिः लघु सचिवालय नूंह में शुक्रवार को किसानों के 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ 4:30 घंटे वार्ता हुई. एचएसआईआईडीसी के कोऑर्डिनेटर सुनील शर्मा, उपायुक्त विश्राम कुमार मीणा, पुलिस अधीक्षक विजय प्रताप सिंह सहित कई अधिकारी वार्ता में मौजूद थे. शबे बरात का रोजा (व्रत) होने और देर शाम तक बैठक चलने के कारण कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया, लेकिन किसानों की लगभग 12 मांगों में से 10 मांगों पर सहमति बन गई है. अगले सप्ताह किसान प्रतिनिधिमंडल के साथ वार्ता के बाद शेष 2 मांगों पर सहमति बन सकती है. कुल मिलाकर लंबे समय से संघर्ष कर रहे किसानों के मुआवजा सहित तमाम मसले सुलझ सकते हैं.
उपायुक्त ने बैठक को बताया सकारात्मकः नूंह के उपायुक्त विश्राम कुमार मीणा ने वार्ता के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि बैठक सकारात्मक हुई है. काफी मांगों पर सहमति बन गई है. अगले सप्ताह मंगलवार तक किसान प्रतिनिधिमंडल अन्य किसानों से बातचीत कर अपना जवाब देंगे. उम्मीद यही की जा रही है कि जल्दी ही एक और बड़ी बैठक होगी और इस मामले पर सहमति बन जाएगी. लेकिन इस बैठक के बाद इतना तो साफ है कि अब किसानों के रुख में नरमी आई है. आईएमटी सोहना में जो विकास कार्य चल रहे हैं, उनमें अब किसान शायद रोड़ा नहीं बनेंगे.
1600 एकड़ भूमि का हुआ है अधिग्रहणः आपको बता दें कि हरियाणा के नूंह जिले में आईएमटी रोजका मेव के लिए वर्ष 2009 में तकरीबन 1600 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया था. इसका नाम बाद में बदलकर आईएमटी सोहना रखा गया. किसानों को इसका मुआवजा तो दो बार में तकरीबन 46 लाख रुपए प्रति एकड़ मिला, लेकिन किसानों की मांग थी कि उन्हें उचित मुआवजा हरियाणा के अन्य जिलों की तर्ज पर नहीं दिया गया.
बैठक के फैसले पर किसान अब भी चुपः इसके अलावा उनके स्कूल, खेल, कब्रिस्तान के लिए भी जमीन गांव में नहीं छोड़ी गई. अब किसानों की लगभग 80 फीसदी से अधिक मांगों पर साढ़े चार घंटे की बैठक में सहमति बन गई है. उम्मीद यही की जा रही है कि बाकी बची दो मांगों पर भी फरवरी माह में ही फैसला कर लिया जाएगा. कुल मिलाकर शबे बरात का रोजा किसानों के लिए अच्छी खबर लेकर आया है. हालांकि, किसान अभी इस बैठक के बारे में कुछ भी खुलकर नहीं बोल रहे हैं, लेकिन डीसी विश्राम कुमार मीणा ने साफ कर दिया की बैठक बहुत अच्छी रही है.