सोनीपत: देश का मशहूर एक्सप्रेस-वे जिसे केएमपी-केजीपी के नाम से जाना जाता है. इस एक्सप्रेस-वे पर मौत के कुएं यानि गड्ढे बन गए हैं जो लोगों की जान के साथ भयानक खिलवाड़ कर रहे हैं. केएमपी एक्सप्रेस-वे कुंडली से पलवल तक 135 किलोमीटर लंबा है. जिसमें हर 50-100 मीटर की दूरी पर बड़े-बड़े गड्ढे बने गए हैं.
अगर आप ये सोचकर केएमपी-केजीपी का रुख करते हैं कि सफर तय करने में आपका समय बचेगा तो शायद आप बड़ी गलती कर रहे हैं. समय बचाने के चक्कर मे आपकी जान जा सकती है. बरसात से मिट्टी कटाव के चलते इस एक्सप्रेस-वे की सड़क कई जगहों पर धंस गई है.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में यातायात नियंत्रण करने के लिए दिल्ली के चारों तरफ रिंगनुमा केएमपी-केजीपी बनाया गया था. एक्सप्रेस-वे पर करीबन 50 हजार वाहनों का आना जाना लगा रहता है. लेकिन आजकल इस पर जाना किसी बड़े खतरे से खाली नहीं है. बरसात के कारण मिट्टी के कटाव से एक्सप्रेस-वे पर कई जगह गड्ढे बन गए हैं. जिससे बिजली के पोल, सेफ्टिंव रेलिंग पूरी तरह से क्षत-विक्षत हो चुकी है. कहीं-कहीं को कटाव सड़क के बीचों-बीच तक पहुंच गया है.
एक्सप्रेस-वे के मेंटिनेंस डिपार्टमेंट ने गड्ढों से चालकों को बचाने के लिए सिर्फ खाना पूर्ती की हुई है. गड्ढों को चिन्हित करने लिए कहीं ईंटे तो कहीं पर मिट्टी से भरे कट्टे रखे हुए हैं जो रात के समय चालकों को नहीं दिखाई देते. ऐसे में सड़क पर बने गड्ढे जानलेवा साबित हो सकते हैं.
बता दे कि पीएम मोदी ने 19 नवम्बर 2018 में इस एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन किया था. सिर्फ 22 महीनों में एक्सप्रेस-वे की हालत जर्जर हो गई है. कभी भी कोई वाहन अचानक सड़क पर बने गड्ढे में समा सकता है.
चालक राजू ने बताया कि एक्सप्रेस-वे पर जगह-जगह गड्ढे बने हुए हैं. जिस पर मेंटिनेंस डिपार्टमेंट कोई ध्यान नहीं देता. इन गड्ढों के कारण आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं. एक अन्य चालक विशाल ने बताया कि सकड़ पर पानी भरा हुआ है और गड्डे बन गए है. जिससे गाड़ी चलाना मुश्किल हो गया है. प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए.
- पीएम मोदी ने एक्सप्रेस-वे को 19 नवम्बर 2018 को देश को समर्पित किया था.
- एक्सप्रेस-वे की देखरेख की जिम्मेदारी HSIIDC की है.
- हरियाणा के क्षेत्र में आने वाले केएमपी की लंबाई करीबन 135 किलोमीटर है.
- जिस पर करीबन 6400 करोड़ रुपये की लागत आयी थी.
- रेन वाटर हार्वेस्टिंग से लेकर ड्रिप इरिगेशन सिस्टम भी इस एक्सप्रेस-वे पर बनाए गए हैं.
- इसके अलावा मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए गहरी जड़ों वाली घास लगाई गई है.
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