सोनीपत: नए कृषि कानूनों के विरोध में बीते साल 26 नवंबर से दिल्ली के बॉर्डर पर किसान आंदोलन (farmers protest) शुरू हुआ. 6 महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है. किसान भी आंदोलन से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. सरकार भी अपने फैसले पर कायम है. इसी बीच अब आंदोलन को और गति देने की रणनीति किसानों द्वारा बनाई जा रही है. शनिवार को किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारियों की बैठक हुई और ये फैसला लिया गया कि अब आंदोलन को और तेजी के साथ आगे बढ़ाया जाएगा.
संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार और हरियाणा सरकार (haryana government) पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. मोर्चे की तरफ से कहा गया कि जा माहौल बीते दिनों हरियाणा में बनाया गया है वो निंदनीय है. ये राज्य और केंद्र सरकार की साजिश है कि आंदोलन को दिल्ली से हरियाणा में शिफ्ट कर दिया जाए. संयुक्त किसान मोर्चा के युद्धवीर सिंह ने कहा कि सरकार इस आंदोलन को हिसार और जींद तक समेटना चाहती है. इसीलिए बार-बार इनके नेता किसानों के साथ टकराव कर रहे हैं. लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे.
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'राकेश टिकैत और चढूनी के नेतृत्व में गिरफ्तारी देंगे हजारों किसान'
संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से कहा गया कि टोहाना में जो कुछ भी हो रहा है वो गलत है. किसानों पर गलत मुकदमे दर्ज किए गए हैं और गलत तरीके से किसानों को गिरफ्तार किया जा रहा है. यही कारण है कि अब राकेश टिकैत (rakesh tikait) टोहाना पहुंच चुके हैं और वो तब तक वहां से नहीं आएंगे जब तक गिरफ्तार किसानों को छोड़ा नहीं जाता. संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कहा गया कि इसी कड़ी में 5 जून को हजारों किसान हरियाणा सरकार को गिरफ्तारी देंगे. क्योंकि हरियाणा सरकार को गिरफ्तारियां बहुत पसंद है.
हर मोर्चे पर महिला कमेटी का गठन
किसान आंदोलन में शुरुआत से ही महिलाओं की अहम भूमिका रही है. आंदोलन में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं की भी भागीदारी देखने को मिली है. ऐसे में संयुक्त किसान मोर्चा ने महिलाओं को भी प्रतिनिधित्व देने का काम किया है. फैसला लिया गया है कि हर मोर्चे पर महिला कमेटी का गठन होगा. ये कमेटी महिलाओं की समस्याओं का ध्यान रखेगी और महिलाओं की आंदोलन में भागीदारी को सुनिश्चित करेगी.
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गांव-गांव जाएंगे किसान नेता
संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से कहा गया कि किसान आंदोलन पूरे देश में अपना वजूद बना चुका है. लेकिन अभी भी इसे ओर मजबूजी की जरूरत है. अब किसान नेता देश के साढ़े 6 लाख गांवों में जाएंगे और किसान आंदोलन का प्रचार करेंगे, साथ ही लोगों को सरकार की सच्चाई से रूबरू करवाएंगे. हालांकि संयुक्त किसान मोर्चा ने साफ किया इस रणनीति पर कोरोना महामारी और बरसात के बाद काम शुरू किया जाएगा. लेकिन ये तय है कि आने वाले समय में किसान नेता देश के गांव-गांव में सरकार के लिए नई मुश्किल जरूर खड़ी करेंगे.