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डीजल पर सेस बढ़ने के बाद किसानों पर पड़ी 'तिहरी मार'! प्रति एकड़ पर बढ़ा खर्च - Budget 2019-20

शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2019-20 के लिए आम बजट पेश किया. बजट में पेट्रोल-डीजल पर 1 रुपये सेस बढ़ाया गया है. जिससे किसानों की मुसीबतें और बढ़ गई हैं.

खेत जोतता किसान
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Published : Jul 6, 2019, 11:38 AM IST

Updated : Jul 6, 2019, 11:52 AM IST

चंडीगढ़: शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2019-20 के लिए आम बजट पेश किया. बजट में पेट्रोल और डीजल पर एक रुपये का सेस लगाया गया है. अतिरिक्त सेस लगने के बाद डीजल के दाम दो से ढाई रुपये तक बढ़ गए हैं. जिसके कारण किसानों से लेकर ट्रांसपोटर्स तक पर अतिरिक्त भार पड़ने वाला है.

इस बार के बजट में जहा शिक्षा और स्वास्थ्य में अच्छ खासा बजट दिया गया है वहीं पेट्रोल-डीजल पर लगाए गए 1 रुपये अतिरिक्त सेस से तेल के दामों में बढ़ोतरी हो गई है. डीजल में बढ़ते दामों का सबसे ज्यादा प्रभाव किसानों पर पड़ना तय है. दसअसल बढ़ती महंगाई और मॉनसून में देरी के चलते किसान पहले से ही दोहरी मार झेल रहे थे. अब अचानक डीजल पर बढ़ाए गए 1 रुपये सेस से किसानों के लिए समस्या ओर बढ़ जाएगी.

किसानों पर ऐसे बढ़ेगा खर्च

बता दें कि एक एकड़ जमीन से सालभर में दो फसलें लेने पर करीब 150 रुपये अतिरिक्त खर्च करने पड़ेंगे. धान में 100 रुपये और गेहूं में 50 रुपये प्रति एकड़ का खर्च बढ़ गया है. दूसरी ओर अब डीजल ऑयल से खेती करने वाले किसानों पर अब प्रति एकड़ 300 से 400 रुपये अतिरिक्त खर्च बढ़ जाएगा.

हरियाणा में करीब 2.97 लाख डीजल पंप और 2.98 लाख ट्रैक्टर हैं. बढ़े डीजल के दामों से प्रदेश के करीब 16.17 लाख किसान परिवार इससे प्रभावित होंगे. बड़ी सिरदर्दी 2.97 लाख किसानों को होगी जो डीजल पंप से खेती करते हैं. उनका खर्च 300 से 400 रुपए प्रति एकड़ तक बढ़ जाएगा.

एक एकड़ जमीन पर तेल का खर्च

एक किसान अगर धान की खेती करता है तो उसे प्रति एकड़ ट्रैक्टर चलाने के में 25 लीटर तेल खर्च करना पड़ता है. अब चूंकी एक रुपये सेस बढ़ जाने से डीजल के दाम में 2 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हुई है. जिसकी वजह से अब किसानों को प्रति एकड़ 50 रुपये अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा.

ये भी पढ़ें- बजट 2019: महंगाई की मार! पेट्रोल-डीजल की कीमतों में उछाल

ठीक इसी प्रकार अगर गेंहू की बिजाई की जाती है तब भी किसान को प्रति एकड़ 50 रुपये का अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा. इतना ही नहीं थ्रेसिंग, पंखे से फसल साफ करने व ढुलाई पर भी खर्च बढ़ेगा. कुल मिलाकर किसान को एक साल में एक एकड़ जमीन में किसी भी फसल को उगाने के लिए करीब 150 रुपये अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा.

आपको बता दें कि ये केवल फसल की बिजाई करने के लिए जमीन तैयार करने पर होने वाला खर्च हैं. अब अगर हम साल भर में प्रति एकड़ के हिसाब से भूमि को पानी लगाने का हिसाब जोड़ेंगे तो किसान पर बहुत ज्यादा अतिरिक्त भार बढ़ जाएगा.

चंडीगढ़: शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2019-20 के लिए आम बजट पेश किया. बजट में पेट्रोल और डीजल पर एक रुपये का सेस लगाया गया है. अतिरिक्त सेस लगने के बाद डीजल के दाम दो से ढाई रुपये तक बढ़ गए हैं. जिसके कारण किसानों से लेकर ट्रांसपोटर्स तक पर अतिरिक्त भार पड़ने वाला है.

इस बार के बजट में जहा शिक्षा और स्वास्थ्य में अच्छ खासा बजट दिया गया है वहीं पेट्रोल-डीजल पर लगाए गए 1 रुपये अतिरिक्त सेस से तेल के दामों में बढ़ोतरी हो गई है. डीजल में बढ़ते दामों का सबसे ज्यादा प्रभाव किसानों पर पड़ना तय है. दसअसल बढ़ती महंगाई और मॉनसून में देरी के चलते किसान पहले से ही दोहरी मार झेल रहे थे. अब अचानक डीजल पर बढ़ाए गए 1 रुपये सेस से किसानों के लिए समस्या ओर बढ़ जाएगी.

किसानों पर ऐसे बढ़ेगा खर्च

बता दें कि एक एकड़ जमीन से सालभर में दो फसलें लेने पर करीब 150 रुपये अतिरिक्त खर्च करने पड़ेंगे. धान में 100 रुपये और गेहूं में 50 रुपये प्रति एकड़ का खर्च बढ़ गया है. दूसरी ओर अब डीजल ऑयल से खेती करने वाले किसानों पर अब प्रति एकड़ 300 से 400 रुपये अतिरिक्त खर्च बढ़ जाएगा.

हरियाणा में करीब 2.97 लाख डीजल पंप और 2.98 लाख ट्रैक्टर हैं. बढ़े डीजल के दामों से प्रदेश के करीब 16.17 लाख किसान परिवार इससे प्रभावित होंगे. बड़ी सिरदर्दी 2.97 लाख किसानों को होगी जो डीजल पंप से खेती करते हैं. उनका खर्च 300 से 400 रुपए प्रति एकड़ तक बढ़ जाएगा.

एक एकड़ जमीन पर तेल का खर्च

एक किसान अगर धान की खेती करता है तो उसे प्रति एकड़ ट्रैक्टर चलाने के में 25 लीटर तेल खर्च करना पड़ता है. अब चूंकी एक रुपये सेस बढ़ जाने से डीजल के दाम में 2 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हुई है. जिसकी वजह से अब किसानों को प्रति एकड़ 50 रुपये अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा.

ये भी पढ़ें- बजट 2019: महंगाई की मार! पेट्रोल-डीजल की कीमतों में उछाल

ठीक इसी प्रकार अगर गेंहू की बिजाई की जाती है तब भी किसान को प्रति एकड़ 50 रुपये का अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा. इतना ही नहीं थ्रेसिंग, पंखे से फसल साफ करने व ढुलाई पर भी खर्च बढ़ेगा. कुल मिलाकर किसान को एक साल में एक एकड़ जमीन में किसी भी फसल को उगाने के लिए करीब 150 रुपये अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा.

आपको बता दें कि ये केवल फसल की बिजाई करने के लिए जमीन तैयार करने पर होने वाला खर्च हैं. अब अगर हम साल भर में प्रति एकड़ के हिसाब से भूमि को पानी लगाने का हिसाब जोड़ेंगे तो किसान पर बहुत ज्यादा अतिरिक्त भार बढ़ जाएगा.

Intro:पेट्रोल के रेट बढ़ने पर सोनीपत के लोगों ने मिली-जुली प्रतिक्रिया दी। कुछ लोगों ने रेत बढ़ने को गलत बताते हुए कहा कि इससे घर के बजट पर खासा असर पड़ेगा। हालांकि कुछेक ने इसे सरकार की पॉलिसी का हिस्सा बताया।


Body:आईये जानते हैं पेट्रोल के बढ़ने वाले दामों पर सोनीपत के लोगों की राय।
बाईट - रजनीश, स्थानीय निवासी
बाईट - सुरेन्द्र सिंह, स्थानीय निवासी
बाईट - देवेंद्र सिंह, स्थानीय निवासी
बाईट - नवीन, स्थानीय निवासी
बाईट - राजेश, युद्धवीर, स्थानीय निवासी


Conclusion:
Last Updated : Jul 6, 2019, 11:52 AM IST
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