सिरसा: खरीफ के सीजन में धान की फसल की अधिक खेती होना भू-जल स्तर नीचे गिरने के मुख्य कारणों में से एक है. गिरता हुआ भू-जल स्तर चिंता का विषय बनता जा रहा है. इस दिशा में अब सरकार ने मेरा पानी-मेरी विरासत योजना बनाई हैं, जिसके तहत किसानों को धान को छोड़कर दूसरी फसल की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.
सात हजार रु प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि मिलेगी
योजना के तहत यदि कोई धान की बजाए दूसरी खेती करता है, तो उसको सात हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. इस योजना की खंड सिरसा में शुरुआत हो गई है. आज गांव कुसुम्बी में दर्जनों की संख्या में किसानों ने धान की बिजाई नहीं करने व वैकल्पिक फसल की बिजाई करने के लिए आवेदन जमा करवाए.
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कृषि विभाग उप निदेशक डॉ. बाबू लाल ने कहा कि धान की खेती में अन्य फसलों की तुलना में 50 से 60 प्रतिशत पानी की खपत ज्यादा होती है. यही कारण है कि धान की अधिकतम खेती होने और इसमें अधिक पानी की खपत होने कारण भू-जल स्तर नीचे जाता जा रहा है. सरकार द्वारा गिरते हुए भू-जल स्तर को बढ़ाने के लिए 'मेरा पानी-मेरी विरासत योजना बनाई गई है.
सिरसा खंड को चुना गया पहले
उन्होंने बताया कि इस योजना में हरियाणा के उन खंडों का चयन किया गया है जिन खंडो का भूमिगत जल स्तर 40 मीटर से ज्यादा गहरा है. इसमें जिले के खंड सिरसा का चयन किया गया है. सिरसा खंड में लगभग 30 हजार 500 हैक्टेयर में धान की खेती होती है. स्कीम के अनुसार 50 प्रतिशत रकबा में अर्थात 15 हजार हैक्टेयर में फसल विविधीकरण के तहत अन्य फसलों की बिजाई का लक्ष्य दिया गया है.
योजना के अनुसार खंड सिरसा में पिछले खरीफ सीजन 2019 में बोए गए धान के कुल रकबा में से 50 प्रतिशत रकबा में धान की खेती कर सकता है व अन्य 50 प्रतिशत रकबा में धान के अतिरिक्त अन्य फसलों जैसे कि कपास, मक्का, बाजरा व दलहन फसलों का की खेती करना अनिवार्य है. ऐसे किसानों को सरकार द्वारा सात हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी.
गांव कुसुम्बी के किसान विकास ने बताया कि सरकार ने योजना अच्छी बनाई है. इसी योजना के तहत हमने धान की बिजाई नहीं करने और वैकल्पिक फसल की बिजाई करने के फार्म भरे हैं. सरकार को यह योजना एक महीने पहले लानी चाहिए थी ताकि समय रहते किसान वैकल्पिक फसलों की बिजाई कर सकता. अब धान वाली जमीन पर वैकल्पिक फसल की बिजाई देर से होगी जिससे उत्पादन में कमी आने से किसानों को नुकसान उठाना पड़ेगा.
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