सिरसा: हरियाणा में लोकसभा की दस सीटें हैं. इस पेशकश के जरिए हम आपको सिरसा लोकसभा सीट के राजनीतिक समीकरण बताएंगे. सिरसा का इतिहास बहुत पुराना है. कृषि के क्षेत्र में भी सिरसा का नाम सबसे ऊपर आता है. जहां तक राजनीति की बात है तो सिरसा लोकसभा सीट पर ज्यादातर कांग्रेस का कब्जा रहा है. इस सीट का गठन 1962 में हुआ था. 1962 से अब तक इस सीट पर कांग्रेस को 9 बार जीत मिली है, जबकि इनेलो 4 बार जीती. बीजेपी को अभी भी इस सीट पर अपनी पहली जीत की तलाश है.
सिरसा लोकसभा क्षेत्र में डेरा सच्चा सौदा का भी काफी प्रभाव रहा है. यहां लगभग पिछले दो दशक से डेरा लोकसभा चुनावों को प्रभावित करता रहा है. यही कारण है कि हर पार्टी डेरा का समर्थन पाने की होड़ में लगी रहती है. लेकिन इस बार का मंजर कुछ और है. डेरा प्रमुख राम रहीम रोहतक के सुनारिया जेल में सजा काट रहा है. अब उसके समर्थक भी कम हो गए हैं. एक बार फिर यहां कांग्रेस और इनेलो अपने वर्चस्व की जंग लड़ रही है. वहीं भाजपा को पीएम मोदी के सहारे यहां से पहली जीत की तलाश है. बहरहाल इस बार यहां कौन बाजी मारेगा इसका फैसला तो 23 मई को होगा. उससे पहले देखिए सिरसा लोकसभा सीट से ये स्पेशल रिपोर्ट-
चौटाला का गढ़, तंवर की साख या मोदी का जादू? देखिए सिरसा की ये स्पेशल रिपोर्ट - loksabha election
ये है ईटीवी भारत की खास पेशकश 'चुनाव भारत का' जिसके जरिए हम आपको हरियाणा की हर लोकसभा सीट का लेखा जोखा बता रहे हैं. इस स्पेशल रिपोर्ट में इस बार किस्सा सिरसा लोकसभा सीट का.
सिरसा: हरियाणा में लोकसभा की दस सीटें हैं. इस पेशकश के जरिए हम आपको सिरसा लोकसभा सीट के राजनीतिक समीकरण बताएंगे. सिरसा का इतिहास बहुत पुराना है. कृषि के क्षेत्र में भी सिरसा का नाम सबसे ऊपर आता है. जहां तक राजनीति की बात है तो सिरसा लोकसभा सीट पर ज्यादातर कांग्रेस का कब्जा रहा है. इस सीट का गठन 1962 में हुआ था. 1962 से अब तक इस सीट पर कांग्रेस को 9 बार जीत मिली है, जबकि इनेलो 4 बार जीती. बीजेपी को अभी भी इस सीट पर अपनी पहली जीत की तलाश है.
सिरसा लोकसभा क्षेत्र में डेरा सच्चा सौदा का भी काफी प्रभाव रहा है. यहां लगभग पिछले दो दशक से डेरा लोकसभा चुनावों को प्रभावित करता रहा है. यही कारण है कि हर पार्टी डेरा का समर्थन पाने की होड़ में लगी रहती है. लेकिन इस बार का मंजर कुछ और है. डेरा प्रमुख राम रहीम रोहतक के सुनारिया जेल में सजा काट रहा है. अब उसके समर्थक भी कम हो गए हैं. एक बार फिर यहां कांग्रेस और इनेलो अपने वर्चस्व की जंग लड़ रही है. वहीं भाजपा को पीएम मोदी के सहारे यहां से पहली जीत की तलाश है. बहरहाल इस बार यहां कौन बाजी मारेगा इसका फैसला तो 23 मई को होगा. उससे पहले देखिए सिरसा लोकसभा सीट से ये स्पेशल रिपोर्ट-
चौटाला का गढ़, तंवर की साख या मोदी का जादू? देखिए सिरसा की ये स्पेशल रिपोर्ट
ये है ईटीवी भारत की खास पेशकश 'चुनाव भारत का' जिसके जरिए हम आपको हरियाणा की हर लोकसभा सीट का लेखा जोखा बता रहे हैं. इस स्पेशल रिपोर्ट में इस बार किस्सा सिरसा लोकसभा सीट का.
सिरसा: हरियाणा में लोकसभा की दस सीटें हैं जिन पर 12 मई को मतदान होगा. इस पेशकश के जरिए हम आपको सिरसा लोकसभा सीट के राजनीतिक समीकरण बताएंगे. सिरसा का इतिहास बहुत पुराना है. कृषि के क्षेत्र में भी सिरसा का नाम सबसे ऊपर आता है. जहां तक राजनीति की बात है तो सिरसा लोकसभा सीट पर ज्यादातर कांग्रेस का कब्जा रहा है. इस सीट का गठन 1962 में हुआ था. 1962 से अब तक इस सीट पर कांग्रेस को 9 बार जीत मिली है, जबकि इनेलो 4 बार जीती. बीजेपी को अभी भी इस सीट पर अपनी पहली जीत की तलाश है.
सिरसा लोकसभा क्षेत्र में डेरा सच्चा सौदा का भी काफी प्रभाव रहा है. यहां लगभग पिछले दो दशक से डेरा लोकसभा चुनावों को प्रभावित करता रहा है. यही कारण है कि हर पार्टी डेरा का समर्थन पाने की होड़ में लगी रहती है. लेकिन इस बार का मंजर कुछ और है. डेरा प्रमुख राम रहीम रोहतक के सुनारिया जेल में सजा काट रहा है. अब उसके समर्थक भी कम हो गए हैं. एक बार फिर यहां कांग्रेस और इनेलो अपने वर्चस्व की जंग लड़ रही है. वहीं भाजपा को पीएम मोदी के सहारे यहां से पहली जीत की तलाश है. बहरहाल इस बार यहां कौन बाजी मारेगा इसका फैसला तो 23 मई को होगा. उससे पहले देखिए सिरसा लोकसभा सीट से ये स्पेशल रिपोर्ट-
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