सिरसा: हरियाणा में किसानों पर दर्ज देशद्रोह ( sirsa farmers sedition case) का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. देशद्रोह के मुकदमे के विरोध में शनिवार को किसानों की ओर से महापंचायत और सिरसा पुलिस अधीक्षक कार्यालय का घेराव करने का एलान किया गया है. ऐसे में पुलिस प्रशासन ने भी कमर कस ली है और किसानों को रोकने के लिए कई रास्तों में दीवार खड़ी की गई है.
दरअसल, 11 जुलाई को हरियाणा के डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा (Deputy Speaker Ranbir Gangwa Car Attack) की गाड़ी पर हमला किया गया था. डिप्टी स्पीकर की गाड़ी पर उस वक्त हमला हुआ था जब वो हरियाणा के सिरसा जिले में चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय (Chaudhary Devi Lal University) में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेकर लौट रहे थे.
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आरोप है कि कार्यक्रम के बाद जब डिप्टी स्पीकर और अन्य बीजेपी नेता वापस लौट रहे थे तो किसानों ने उनका काफिला रोक दिया और पथराव शुरू कर दिया. आरोप है कि किसानों ने इस दौरान डिप्टी स्पीकर की गाड़ी के शीशे तोड़ दिए और पुलिस पर भी पथराव किया. किसी तरह पुलिस ने डिप्टी स्पीकर के काफिले को विरोध के बीच वहां निकला था.
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इस मामले में सिरसा पुलिस की ओर से दो नामजद और करीब 100 किसानों पर देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया है. साथ ही अबतक पांच किसानों की गिरफ्तारी भी हुई है. ऐसे में अपने साथी किसानों की रिहाई के लिए किसानों ने शनिवार को महापंचायत करने का फैसला लिया है.
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि यूनिवर्सिटी कोई राजनीतिक जगह नहीं थी, लेकिन फिर भी किसानों के विरोध के बाद बीजेपी ने वहां कार्यक्रम आयोजित किया. किसान शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे थे और प्रशासन ने हमें डराने के लिए मुकदमे दर्ज किए हैं.
इस मामले पर सिरसा के एसपी डॉ. अर्पित जैन ने साफ किया कि किसान चाहे गिरफ्तारी रोकने की कितनी भी कोशिश क्यों ना करें, लेकिन निश्चित तौर पर इस मामले में शामिल होने वाले सभी आरोपी किसानों की गिरफ्तारी की जाएगी. इस मामले को लेकर सिरसा पुलिस के सभी डीएसपी, थाना प्रभारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वो जल्द से जल्द इस मामले में अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी करें.
हरियाणा में किसानों पर दर्ज हुए देशद्रोह के मामले के बाद ये बहस भी छिड़ गई है कि क्या सरकार का विरोध करने पर देशद्रोह की धारा दर्ज की जा सकती है? इसे लेकर ईटीवी भारत की टीम ने पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के वकील फैरी सोफत ने बात की.
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हाई कोर्ट के वकील फैरी सौफत ने बताया कि किसी के ऊपर भी देशद्रोह का मामला (Farmer Sedition Case Unconstitutional) दर्ज नहीं किया जा सकता. ये असंवैधानिक है. उन्होंने कहा कि देश में राइट टू फ्रीडम एंड एक्सप्रेशन है. हर कोई अपनी बात कह सकता है. हर किसी को अपनी मांग मांगने का अधिकार है. ऐसे में प्रदर्शन के दौरान अगर किसी को चोट लग जाती है तो पुलिस आईपीसी या फिर सीआरपीसी की धारा जोड़कर एफआईआर दर्ज की जा कतती है. किसी भी तरीके से इसमें देशद्रोह की धारा नहीं जोड़ी जा सकती है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट भी आजादी के 75 साल बाद देशद्रोह कानून होने की उपयोगिता पर केंद्र से सवाल कर चुका है. अदालत ने सरकार के खिलाफ बोलने वाले लोगों पर पुलिस द्वारा राजद्रोह कानून का दुरुपयोग किए जाने पर भी चिंता व्यक्त की. मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ये महात्मा गांधी, तिलक को चुप कराने के लिए अंग्रेजों द्वारा इस्तेमाल किया गया एक औपनिवेशिक कानून है. फिर भी, आजादी के 75 साल बाद भी ये जरूरी है?
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