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सिख संगत ने फूंका हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के नवनियुक्त प्रधान महंत कर्मजीत का पुतला, की ये मांग

सिख संगतों ने हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के नवनियुक्त प्रधान के खिलाफ सिरसा में प्रदर्शन किया. लखविंद्र सिंह औलख ने बताया कि सिख समाज की सेवा और मर्यादा पूरी दुनिया में किसी से छुपी नहीं है. इसलिए हरियाणा की सिख संगत और किसान गुरु धामों पर सरकार और सिख विरोधी महंतों का कब्जा कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे.

Haryana Gurdwara Parbandhak Committee
हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के नवनियुक्त प्रधान के खिलाफ सिरसा में प्रदर्शन.
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Published : Mar 15, 2023, 3:18 PM IST

सिरसा: हरियाणा सरकार द्वारा बिना चुनाव करवाए गठित की गई हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (सरकारी) के खिलाफ अब सिख समाज के लोगों ने मोर्चा खोल दिया है. कमेटी के नवनियुक्त प्रधान महंत कर्मजीत सिंह के किसान आंदोलन में गुरु धामों द्वारा लगाए गए लंगरों पर विवादित बयान के बाद हरियाणा की सिख संगत और किसान विरोधस्वरूप सड़कों पर उतर आए हैं.

सिरसा के गुरुद्वारा साहिब पातशाही दसवीं में बड़ी संख्या में सिख समर्थक और किसान इक्क्ठे हुए, जिन्होंने गुरुद्वारा साहिब से चलकर बाजारों से होते हुए लालबत्ती चौक पर जाकर हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सरकारी प्रधान महंत कर्मजीत का पुतला फूंका और राज्यपाल हरियाणा के नाम ज्ञापन सौंपा. इस मौके पर सिख समाज के लोगों और किसानों ने जमकर नारेबाजी भी की.

मीडिया से बातचीत करते हुए भारतीय किसान एकता (बीकेई) अध्यक्ष लखविंद्र सिंह औलख ने बताया कि एसजीपीसी से हरियाणा के गुरुद्वारे के अलग होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के ऐतिहासिक गुरुद्वारा साहिबानों के प्रबंधन का जिम्मा हरियाणा की साध संगत को दिया था. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव के जरिए कमेटी गठित करने का फैसला सुनाया था. वहीं, हरियाणा की बीजेपी सरकार ने पुलिस फोर्स के दम पर बिना चुनाव करवाए अपने समर्थकों के हाथों में गुरुधामों का प्रबंधन सौंप दिया. जिसका प्रधान महंत कर्मजीत और बलजीत सिंह दादूवाल को बनाया गया.

Haryana Gurdwara Parbandhak Committee
हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के नवनियुक्त प्रधान के खिलाफ सिरसा में प्रदर्शन.

लखविंद्र सिंह औलख का कहना है कि, इन दोनों को जिम्मेदारी इसलिए दी गई है क्योंकि दोनों आरएसएस व सरकार के कहने पर पहले भी बहुत दफा सिख कौम को धोखा दे चुके हैं. औलख ने कहा कि पहले एसजीपीसी हरियाणा के सिखों के साथ भेदभाव करती आई है. राज्यपाल के नाम दिए गए ज्ञापन में सिख समाज और किसान जत्थेबंदी द्वारा हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को सिख विरोधी महंतों से आजाद करवाकर चुनाव करवाए जाने की मांग रखी, जिससे की सिख संगत अपने मत के अनुसार अपने पदाधिकारी चुन सकें.

इसके अलावा लखविंद्र सिंह ने कहा कि आजादी से पहले सिक्ख गुरुधामों को जिन अंग्रेजों के एजेंट सिख विरोधी महंतों से हमारे बुजुर्गों ने बड़े संघर्ष करने के बाद आजाद करवाया था. वहीं, महंत अब बीजेपी सरकार के सहारे फिर से गुरुधामों पर कब्जा करने लगे हैं. औलख ने कहा कि आज तक देश भर में कहीं भी लंगर की जरूरत पड़ी है तो गुरुद्वारा साहिबानों से बिना किसी भेदभाव के वहीं लंगर पहुंचता रहा है और अब सरकारी कमेटी बनने के कुछ समय के अंदर ही इसके दुष्प्रभाव सामने आने लगे हैं. हाल ही में चंडीगढ़ में सरपंचों के लिए गुरुद्वारा साहिब से लंगर भेजने से इनकार करना इसका ताजा उदाहरण है.

ये भी पढ़ें: हरियाणा सरकार और सरपंचों के बीच नहीं बनी बात, 17 मार्च को करेंगे विधानसभा का घेराव

सिरसा: हरियाणा सरकार द्वारा बिना चुनाव करवाए गठित की गई हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (सरकारी) के खिलाफ अब सिख समाज के लोगों ने मोर्चा खोल दिया है. कमेटी के नवनियुक्त प्रधान महंत कर्मजीत सिंह के किसान आंदोलन में गुरु धामों द्वारा लगाए गए लंगरों पर विवादित बयान के बाद हरियाणा की सिख संगत और किसान विरोधस्वरूप सड़कों पर उतर आए हैं.

सिरसा के गुरुद्वारा साहिब पातशाही दसवीं में बड़ी संख्या में सिख समर्थक और किसान इक्क्ठे हुए, जिन्होंने गुरुद्वारा साहिब से चलकर बाजारों से होते हुए लालबत्ती चौक पर जाकर हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सरकारी प्रधान महंत कर्मजीत का पुतला फूंका और राज्यपाल हरियाणा के नाम ज्ञापन सौंपा. इस मौके पर सिख समाज के लोगों और किसानों ने जमकर नारेबाजी भी की.

मीडिया से बातचीत करते हुए भारतीय किसान एकता (बीकेई) अध्यक्ष लखविंद्र सिंह औलख ने बताया कि एसजीपीसी से हरियाणा के गुरुद्वारे के अलग होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के ऐतिहासिक गुरुद्वारा साहिबानों के प्रबंधन का जिम्मा हरियाणा की साध संगत को दिया था. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव के जरिए कमेटी गठित करने का फैसला सुनाया था. वहीं, हरियाणा की बीजेपी सरकार ने पुलिस फोर्स के दम पर बिना चुनाव करवाए अपने समर्थकों के हाथों में गुरुधामों का प्रबंधन सौंप दिया. जिसका प्रधान महंत कर्मजीत और बलजीत सिंह दादूवाल को बनाया गया.

Haryana Gurdwara Parbandhak Committee
हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के नवनियुक्त प्रधान के खिलाफ सिरसा में प्रदर्शन.

लखविंद्र सिंह औलख का कहना है कि, इन दोनों को जिम्मेदारी इसलिए दी गई है क्योंकि दोनों आरएसएस व सरकार के कहने पर पहले भी बहुत दफा सिख कौम को धोखा दे चुके हैं. औलख ने कहा कि पहले एसजीपीसी हरियाणा के सिखों के साथ भेदभाव करती आई है. राज्यपाल के नाम दिए गए ज्ञापन में सिख समाज और किसान जत्थेबंदी द्वारा हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को सिख विरोधी महंतों से आजाद करवाकर चुनाव करवाए जाने की मांग रखी, जिससे की सिख संगत अपने मत के अनुसार अपने पदाधिकारी चुन सकें.

इसके अलावा लखविंद्र सिंह ने कहा कि आजादी से पहले सिक्ख गुरुधामों को जिन अंग्रेजों के एजेंट सिख विरोधी महंतों से हमारे बुजुर्गों ने बड़े संघर्ष करने के बाद आजाद करवाया था. वहीं, महंत अब बीजेपी सरकार के सहारे फिर से गुरुधामों पर कब्जा करने लगे हैं. औलख ने कहा कि आज तक देश भर में कहीं भी लंगर की जरूरत पड़ी है तो गुरुद्वारा साहिबानों से बिना किसी भेदभाव के वहीं लंगर पहुंचता रहा है और अब सरकारी कमेटी बनने के कुछ समय के अंदर ही इसके दुष्प्रभाव सामने आने लगे हैं. हाल ही में चंडीगढ़ में सरपंचों के लिए गुरुद्वारा साहिब से लंगर भेजने से इनकार करना इसका ताजा उदाहरण है.

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