सिरसा: आज के मॉडर्न जमाने में जहां लोग टेक्नोलॉजी के पीछे भाग रहे हैं. वहीं भारत के कुछ गांव और कस्बों की कुछ ऐसी मान्यताएं हैं जो आधुनिक दुनिया में नई टेक्नोलॉजी आने के बाद भी पुराने जमाने की तरह कायम है. ऐसे ही सिरसा का एक ऐसा गांव पनिहारी है. जहां कोई भी आदमी मकान की दूसरी मंजिल नहीं बनाता यानी पूरे गांव में दो मंजिल का घर नहीं है. गांव के बजुर्ग इसे पीर शाहबुशाह द्वारा बनाए गए नियम बताते हैं. पीर शाहबुशाह के बनाए नियमों का गांव की युवा पीड़ी पालन करती है.
'400 साल पहले बाला ने बसाया गांव'
गांव वालों का कहना है कि करीब 400 साल से भी पहले इस गांव को बसाने वाले पीर शाहबुशाह ने कुछ नियम बनाए थे. जिसे आज भी सारा गांव मानता है. इसी गांव के तीन परिवारों ने इन नियमों को न मान कर दो मंजिल का घर बनाना शुरू किया था.
उन के घरों में कोई न कोई विपत्ति आ खड़ी हुई. दो परिवार इसे पीर का श्राप समझ कर गांव छोड़ कर चले गए. गांव के लोग पीर के शाहबुशाह द्वारा बताए नियमों की पलना करते हुए गांव में एकता की मिसाल कायम किए हुए हैं.
'गांव में नहीं आता बाढ़ का पानी'
वहीं, ये गांव घग्गर नदी के सबसे नजदीक बसे होने के बावजूद भी कभी भी इस गांव में बाढ़ नहीं आयी और न ही कभी ओलावृष्टि से फसलें खराब हुई हैं. गांव के रहने वाले बुजुर्ग ने बताया उन्होंने अपने बुजुर्गों से सुना है कि यहां पीर शाहबुशाह का ये उद्देश्य है कि गांव में एक तो मकान पर चोबारा नहीं हो, गांव कि महिला सर पर एक से ज्यादा मटके नहीं उठाए और गांव के किसी भी घर में दो चूल्हे बराबर में नहीं हो और जो आदमी इन नियमों को नहीं मानता उसे नुकसान उठाना पड़ता है. इसी के तहत आज भी गांव के सारे लोग पूरी आस्था के साथ इन नियमों को मानते हैं.
उन्होंने बताया कि गांव के कुछ लोगों ने अपनी हठधर्मी के चलते इन नियमों को तोड़ कर चोबारा बनाया और उन को काफी नुकसान उठाना पड़ा. साथ ही उन्होंने बताया इसी के तहत आज भी गांव के सारे लोग पूरी आस्था के साथ इन नियमों को मानते हैं.
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