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लॉकडाउन में ट्रेनें बंद हुई तो रेलवे ट्रैक के आसपास रहने वालों की बदल गई दिनचर्या

देश में ट्रेन को लाइफ लाइन माना जाता है. यही वजह है कि हर व्यक्ति की इससे जुड़ी कोई ना कोई खास कहानी जरूर होती है. खासकर उन लोगों की जो इन रेलवे पटरियों या फिर रेलवे स्टेशन के पास रहते हैं और अपने रोजमर्रा के काम भी ट्रेनों की टाइमिंग के हिसाब से सेट कर लेते हैं. ऐसी ही कहानी है सिरसा की रेलवे कॉलोनी में रहने वाले लोगों की...

lockdown change routine of people
लॉकडाउन में ट्रेनें बंद हुई तो रेलवे ट्रेक के आसपास रहने वालों की बदल गई दिनचर्या
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Published : May 14, 2020, 3:25 PM IST

Updated : May 14, 2020, 3:50 PM IST

सिरसा: भारतीय रेलवे एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. 16 अप्रैल 1853 को पहली ट्रेन मुंबई में बोरी बंदर स्टेशन से थाणे तक चली थी. तब से लेकर आजतक कितना भी बुरे से बुरा दौर क्यों ना आ गया हो. इसका असर कभी रेल के सफर पर नहीं पड़ा, लेकिन इतने साल बीत जाने के बाद पहली बार लॉकडाउन ने भारतीय रेलवे के पहिये थाम दिए हैं.

हालांकि सरकार ने प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए कुछ मजदूर स्पेशल ट्रेनें चलाई हैं, लेकिन उसके बाद भी देश की लगभग 90 प्रतिशत पैसेंजर ट्रेन अभी भी बंद हैं.

ट्रेन नहीं चलने से कितनी बदल गई रेलवे कॉलोनी में रहने वालों की दिनचर्या?

देश में ट्रेन को लाइफ लाइन माना जाता है. यही वजह है कि हर व्यक्ति की इससे जुड़ी कोई ना कोई खास कहानी जरूर होती है. खासकर उन लोगो की जो इन रेलवे पटरियों या फिर रेलवे स्टेशन के पास रहते हैं और अपने रोजमर्रा के काम भी ट्रेनों की टाइमिंग के हिसाब से ही सेट कर लेते हैं. ऐसा ही कुछ किया है सिरसा के रेलवे कॉलोनी में रहने वालों लोगों ने, जिन्होंने अपने रोजमर्रा के जीवन में ट्रेनों को इस कदर बसा लिया है कि उसके लिए ट्रेन की तेज आवाज परेशानी भरी नहीं बल्कि एक आलर्म की तरह काम होती है.

रेलवे कॉलोनी में रहने वाले लोगों ने बताया कि वो सुबह पहली ट्रेन हरियाणा एक्सप्रेस के पहले होर्न पर अलर्ट हो जाते हैं. जो सिरसा से दिल्ली के लिए 3 बजकर 20 मिनट पर निकलती है. जिसके बाद 5 बजे एक और पैसेंजर ट्रेन आती है, जिसके आते ही वो बिस्तर छोड़ देते हैं और अपना दिन का काम शुरू करते हैं, लेकिन अब जब पैसेंजर ट्रेन बंद है तो उन्हें ऐसा लग रहा है जैसे उनकी दिनचर्या से कुछ बेहद खास चीज छूट गई है.

ये भी पढ़िए: रोहतक से प्रवासी मजदूरों को लेकर निकली ट्रेन, सरकार ने उठाया रेल यात्रा का खर्च

स्थानीय लोगों ने कहा कि वो ट्रेन के होर्न के हिसाब से ही वक्त का पता लगा लेते थे, लेकिन अब ऐसा कुछ नहीं हो रहा है. पहले महिलाएं भी घर का काम ट्रेन के टाइम टेबल के हिसाब से करती थी, लेकिन लॉकडाउन की वजह से ट्रेनें बंद पड़ी हैं और उसकी वजह से उनका टाइम टेबल भी बदल गया है. वो उस दिन का इंतजार कर रहे हैं जब पैसेंजर ट्रेन दोबारा से चलेगी और वो उसके हिसाब से ही अपना रोजमर्रा का काम करेंगे.

सिरसा: भारतीय रेलवे एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. 16 अप्रैल 1853 को पहली ट्रेन मुंबई में बोरी बंदर स्टेशन से थाणे तक चली थी. तब से लेकर आजतक कितना भी बुरे से बुरा दौर क्यों ना आ गया हो. इसका असर कभी रेल के सफर पर नहीं पड़ा, लेकिन इतने साल बीत जाने के बाद पहली बार लॉकडाउन ने भारतीय रेलवे के पहिये थाम दिए हैं.

हालांकि सरकार ने प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए कुछ मजदूर स्पेशल ट्रेनें चलाई हैं, लेकिन उसके बाद भी देश की लगभग 90 प्रतिशत पैसेंजर ट्रेन अभी भी बंद हैं.

ट्रेन नहीं चलने से कितनी बदल गई रेलवे कॉलोनी में रहने वालों की दिनचर्या?

देश में ट्रेन को लाइफ लाइन माना जाता है. यही वजह है कि हर व्यक्ति की इससे जुड़ी कोई ना कोई खास कहानी जरूर होती है. खासकर उन लोगो की जो इन रेलवे पटरियों या फिर रेलवे स्टेशन के पास रहते हैं और अपने रोजमर्रा के काम भी ट्रेनों की टाइमिंग के हिसाब से ही सेट कर लेते हैं. ऐसा ही कुछ किया है सिरसा के रेलवे कॉलोनी में रहने वालों लोगों ने, जिन्होंने अपने रोजमर्रा के जीवन में ट्रेनों को इस कदर बसा लिया है कि उसके लिए ट्रेन की तेज आवाज परेशानी भरी नहीं बल्कि एक आलर्म की तरह काम होती है.

रेलवे कॉलोनी में रहने वाले लोगों ने बताया कि वो सुबह पहली ट्रेन हरियाणा एक्सप्रेस के पहले होर्न पर अलर्ट हो जाते हैं. जो सिरसा से दिल्ली के लिए 3 बजकर 20 मिनट पर निकलती है. जिसके बाद 5 बजे एक और पैसेंजर ट्रेन आती है, जिसके आते ही वो बिस्तर छोड़ देते हैं और अपना दिन का काम शुरू करते हैं, लेकिन अब जब पैसेंजर ट्रेन बंद है तो उन्हें ऐसा लग रहा है जैसे उनकी दिनचर्या से कुछ बेहद खास चीज छूट गई है.

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स्थानीय लोगों ने कहा कि वो ट्रेन के होर्न के हिसाब से ही वक्त का पता लगा लेते थे, लेकिन अब ऐसा कुछ नहीं हो रहा है. पहले महिलाएं भी घर का काम ट्रेन के टाइम टेबल के हिसाब से करती थी, लेकिन लॉकडाउन की वजह से ट्रेनें बंद पड़ी हैं और उसकी वजह से उनका टाइम टेबल भी बदल गया है. वो उस दिन का इंतजार कर रहे हैं जब पैसेंजर ट्रेन दोबारा से चलेगी और वो उसके हिसाब से ही अपना रोजमर्रा का काम करेंगे.

Last Updated : May 14, 2020, 3:50 PM IST
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