सिरसा: ऐलनाबाद हलके के गांव गीगोरानी में उस वक्त अफरा-तफरी मच गई, जब कोर्ट का आदेश आया कि गांव की पंचायती जमीन खाली करवाई जाएगी. अब 75 प्रतिशत गांव के लोग पंचायती जमीन में बसते हैं. पूरे गांव ने शिकायतकर्ता पवन कुमार को मनाने की कोशिश की और आखिर में गांव के लोग कामयाब हुए.
क्या है मामला ?
कुछ समय पहले गांव गीगोरानी के रहने वाले पवन कुमार शर्मा ने एक आरटीआई लगाकर पता किया था कि गांव में गोचर भूमि कितनी है. जवाब आया कि गांव में 7 एकड़ गोचर भूमि है और 71 एकड़ भूमि जोहड़ के लिए है. पवन ने 2016 में गोचर भूमि निकलवाने के लिए हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की. इस याचिका में गांव के सरपंच को पार्टी बनाया गया था, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ.
उसके बाद पवन कुमार शर्मा ने 2019 में एक बार फिर याचिका दायर की और इस बार जिला उपायुक्त को पार्टी बनाया गया. हाई कोर्ट का आदेश जिला उपायुक्त के पास आया कि गांव में पंचायती जमीन का कब्जा छुड़वाया जाए. उपायुक्त ने गांव के सरपंच को गांव की पंचायती जमीन खाली करवाने के आदेश दिए. अब अगर गांव की बात करें तो 75 प्रतिशत गांव पंचायत की जमीन पर बसा हुआ है.
ऐसे में लगभग गांव में बने मकान तोड़ने के आदेश जारी हो चुके हैं, सरपंच ने शिकायतकर्ता के साथ बातचीत करके बीच का रास्ता निकाल लिया. सरपंच का कहना है कि उनहोंने प्रशासन से बातचीत करके पंचायती जमीन गांव से बाहर देने का फेसला लिया और गांव के लोग भी इस बात से सहमत हैं कि जिस जगह पर वे बैठे हुए हैं उस जगह को उनके नाम कर दिया जाए.
अब ऐसे में गांव के सरपंच और शिकायतकर्ता के बीच सहमति बनी है कि शिकायतकर्ता सिर्फ 7 एकड़ गोचर भूमि के लिए लड़ाई लड़ रहा है. वो गौशाला के नाम करवा दी जाए, तो वो अपनी शिकायत वापिस ले लेगा. ऐसे में दोनों पक्षों में समझौता हो गया है, लेकिन कोर्ट का फेसला अभी बाकी है.