सिरसा: जिले में कई किसान परम्परागत खेती छोड़ फूलों की खेती करते हैं और सालाना लाखों की आमदनी कमाते हैं. हर बार की तरह इस बार भी सीजन और फूलों की मांग को ध्यान में रखते हुए किसानों ने बड़े पैमाने पर फूलों की खेती की लेकिन देश और दुनिया मे अचानक छाए कोरोना संकट ने किसानों की सारी उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया है.
पूरे देश में एक साथ लॉक डाउन घोषित कर दिया गया जिसकी वजह से देश में ज्यादातर छोटे उद्योग ठप हो गए. ऐसे में बाजार में फूलों की मांग भी ना के बराबर ही है. किसानों के द्वारा लगाए गए फूल खेत में ही खराब हो रहे हैं. ऐसे में फूलों की खेती करने वाले किसानों के चेहरे मुरझा गए हैं और वह काफी निराश हैं.
खासतौर पर मार्च-अप्रैल के महीने में इन फूलों की काफी मात्रा में डिमांड होती है क्योंकि इन महीनों में कई त्यौहार और बड़े स्तर पर शादियां होती हैं. जिसमें गुलाब और गेंदे जैसे फूलों की बड़े स्तर पर मांग होती है और फूल उगाने वाले किसानों को इन महीनों का इंतजार होता है. जिसमें फूलों की सप्लाई ज्यादा होती है लेकिन अभी फूलों के व्यापार के लिए बिल्कूल घाटे का समय है क्योंकि लॉक डाउन की वजह से पूरा देश बंद है.
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ऐसे में ना शादी का समारोह हो रहा है और ना ही मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे और चर्च में लोग पूजा पाठ करने जा पा रहे हैं. हाल ही में नवरात्रि, बैसाखी जैसे कई महापर्व आये हैं लेकिन इन महापर्वों में भी कोई रौनक नहीं दिखी और लोग अपने घरों में ही रहे. लोगों ने पूजा पाठ भले ही की लेकिन उस दौरान भी फूलों की मांग न के बराबर रही.
फूलों की खेती करने वाले किसानों ने बताया कि इस मौसम में फूलों की मांग बहुत होती है, जिस वजह से वे बड़े स्तर फूलों के पौधे लगाते हैं, लेकिन देश-प्रदेश में अचानक लगे लॉक डाउन की वजह से इसकी मांग न के बराबर है और यह खेत में लगे-लगे खराब हो रहे हैं.
किसान ने बताया कि उसने करीब 3 एकड़ में फूलों की खेती की हुई है जिसमें फूल खराब हो रहै हैं. इस सीजन में लॉक डाउन की वजह से उनका लगभग 3-5 लाख का नुकसान हो गया है. अभी तक सरकार और प्रशासन की तरफ से कोई अधिकारी नहीं आया जो उनके खेतों की गिरदावरी करे और नुकसान को सरकार व प्रशासन के समक्ष पेश करे. उन्होंने कहा कि अब इन फूलों का कुछ नहीं हो सकता इन्हें जमीन में ही दबाना पड़ेगा.
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