सिरसा: तीन कृषि कानूनों को लेकर किसान लगातार आंदोलन कर रहे हैं. एक तरफ जहां किसान पिछले लंबे समय से दिल्ली के बॉडर्स पर धरना लगाकर बैठे हैं. वहीं दूसरी ओर गेहूं, सरसों की फसल का सीजन भी आ गया है. हरियाणा सरकार ने ऐलान किया है कि प्रदेश में गेहूं और सरसों की खरीद आगामी एक अप्रैल से शुरू होने जा रही है.
यहां एक ओर किसान कृषि कानूनों को लेकर लड़ाई लड़ रहा है. वहीं दूसरी ओर किसानों के ऊपर एक और समस्या आ गई है. दरअसल, सरकार द्वारा खेती को लेकर एक नया नियम बनाया गया है कि फसल कटाई के समय कॉम्पैन द्वारा जो कनक के टुकड़े हो जाते हैं, उन्हें प्रति किवंटल 4 प्रतिशत से घटाकर 2 प्रतिशत कर दिया गया है.
वहीं दूसरी ओर फसल की नमी मात्रा को भी 14 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत कर दिया है. सरकार के इस निर्णय से किसानों में रोष है. जिसके फलस्वरूप किसानों ने बीते दिन सिरसा के लघु सचिवालय में प्रधानमंत्री के नाम उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा था.
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किसानों ने कहा था कि सरकार इस तरह के नियम बनाकर किसानों को परेशान करना बंद करे. इसी के साथ-साथ किसानों ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि हमारी फसल पहले जैसे रेटों में बिकती है तो ठीक है नहीं तो हम फसल से भरी ट्रॉलियों को मंडी ले जाने के बजाए अधिकारियों के दफ्तरों के बाहर खाली करेंगे.
इस विषय पर जब हमारी किसानों से बात हुई तो किसानों ने बताया कि सरकार ने अब जो ये गेहूं फसल की टुकड़ी को प्रति किवंटल 4 प्रतिशत से घटाकर 2 प्रतिशत कर दिया गया है और नमी मात्रा को 14 प्रतिशत से 12 प्रतिशत कर दिया गया है.
किसानों ने कहा कि हमने सरकार को चेतावनी दी थी कि फसल पहले के नियमों पर ही बिकनी चाहिए. यदि ऐसा नहीं होता तो किसान फसल की ट्रालियों को मंडी ले जाने की बजाय जो भी अधिकारी रोक-टोक करेगा उसी के दफ्तर के बाहर ट्रॉलियां लगा देंगे और धरना शुरू कर देंगे.
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