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सिरसा में किसानों ने 'मेरा पानी, मेरी विरासत' योजना का किया विरोध

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Published : May 18, 2020, 5:16 PM IST

पानी बचाने के लिए हरियाणा सरकार द्वारा शुरू की गई 'मेरा पानी, मेरी विरासत' योजना का किसानों ने विरोध करना शुरू कर दिया है.

किसान
सिरसा

सिरसा: प्रदेश में घटते भू-जलस्तर को लेकर सरकार द्वारा शुरू की गई 'मेरा पानी, मेरी विरासत' योजना किसनों को रास नहीं आ रही है. किसानों का कहना है कि अब उन्हें कोरोना से नहीं सरकार से डरने लगा है. किसानों ने आज इस योजना के विरोध में लघु सचिवालय के समक्ष सांकेतिक धरना देकर रोष जताया.

योजना को किसानों ने बताया तुगलकी फरमान

किसानों ने तहसीलदार को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर इस योजना को वापस लेने की मांग की. रोष प्रदर्शन में विभिन्न किसान संगठनों के प्रतिनिधि किसानों ने भाग लिया. किसानों ने इस योजना को तुगलकी फरमान बताते हुए कहा कि सरकार ने बिना किसानों से राय लिये ये योजना बना दी, जिसका वे खुलकर विरोध करते हैं.

सिरसा
रोष प्रदर्शन में विभिन्न किसान संगठनों के प्रतिनिधि किसानों ने भाग लिया.

ये भी पढ़ें- हेलमेट की तरह मास्क पहनने के लिए भी कानून बनाया जाए- विज

किसानों ने रोष जताते हुए कहा कि किसान को अपना कर्ज उतारने के लिए धान की खेती करना अनिवार्य है. जिस भूमि पर वे धान की खेती करते हैं, उस पर दूसरी फसल पैदा ही नहीं हो सकती. ऐसे में किसान कोरोना से तो नहीं लेकिन कर्ज से जरूर मर सकता है. किसानों ने सरकार द्वारा धान की खेती नहीं करने पर सात हजार प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दिए जाने पर कहा कि इससे किसानों की भरपाई नहीं हो सकती.

सिरसा
किसानों ने तहसीलदार को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर इस योजना को वापस लेने की मांग की.

योजना की शुरुआत के लिए सिरसा खंड का हुआ है चयन

किसानों ने कहा कि इस समय नरमे कपास की बिजाई का समय लगभग जा चुका है ऐसे में किसानों के पास धान की खेती के सिवाय कोई विकल्प नहीं बचा है. किसानों ने सरकार से तुरंत इस योजना को वापस लिए जाने की मांग की. वहीं मौके पर आए तहसीलदार श्रीनिवास ने किसानों से उनका ज्ञापन लिया और सिरसा के उपायुक्त के समक्ष पेश करने की बात कही.

बता दें कि, सरकार ने 'मेरा पानी, मेरी विरासत' योजना के तहत सिरसा जिले से सिरसा खंड का चयन किया है. सिरसा खंड में ज़्यादातर किसान घग्गर नदी के आसपास वर्षों से धान की खेती करते आये हैं, ऐसे में धान वाली जमीन की मिट्टी बिलकुल चिकनी हो चुकी है और इस चिकनी मिट्टी में अन्य फसल की पैदावार नहीं हो सकती. इसी को लेकर इस योजना के खिलाफ रोष व्याप्त है. अब देखना होगा कि किसानों के रोष को देखते हुए सरकार क्या फैसला लेती है.

क्या है 'मेरा पानी, मेरी विरासत' योजना?

सीएम मनोहर लाल खट्टर ने मेरा पानी, मेरr विरासत योजना बीती 6 मई को लॉन्च की थी. इस योजना के अंंतर्गत डार्क जोन में शामिल क्षेत्रों में धान की खेती छोड़ने वाले किसानों को 7 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. योजना के पहले चरण में 19 ब्लॉक शामिल किए गए हैं जिनमें भू-जल की गहराई 40 मीटर से ज्यादा है. इनमें से भी आठ ब्लॉक में धान की रोपाई ज्यादा है जिनमें कैथल के सीवन और गुहला, सिरसा, फतेहाबाद में रतिया और कुरुक्षेत्र में शाहाबाद, इस्माइलाबाद, पिपली और बबैन शामिल हैं.

ये भी पढ़ें- पंजाब के बठिंडा से सिरसा के पनिहारी गांव पहुंचे प्रवासी मजदूर

इसके अलावा वह क्षेत्र भी योजना के दायरे में होंगे जहां 50 हार्स पावर से अधिक क्षमता वाले ट्यूबवेल का इस्तेमाल किया जा रहा. मक्का, अरहर, मूंग, उड़द, तिल, कपास, सब्जी की खेती कर सकते हैं. सरकार मक्का व दाल की खरीदारी करेगी. न्यूनतम समर्थन मूल्य पर इनकी गारंटी से खरीदारी होगी. जिन ब्लॉक में पानी 35 मीटर से नीचे है, वहां पंचायती जमीन पर धान की खेती की अनुमति नहीं मिलेगी. जो भी किसान धान की खेती छोड़ना चाहते हैं तो वे इसके लिए आवेदन कर सकते हैं, उन्हें भी अनुदान मिलेगा.

सिरसा: प्रदेश में घटते भू-जलस्तर को लेकर सरकार द्वारा शुरू की गई 'मेरा पानी, मेरी विरासत' योजना किसनों को रास नहीं आ रही है. किसानों का कहना है कि अब उन्हें कोरोना से नहीं सरकार से डरने लगा है. किसानों ने आज इस योजना के विरोध में लघु सचिवालय के समक्ष सांकेतिक धरना देकर रोष जताया.

योजना को किसानों ने बताया तुगलकी फरमान

किसानों ने तहसीलदार को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर इस योजना को वापस लेने की मांग की. रोष प्रदर्शन में विभिन्न किसान संगठनों के प्रतिनिधि किसानों ने भाग लिया. किसानों ने इस योजना को तुगलकी फरमान बताते हुए कहा कि सरकार ने बिना किसानों से राय लिये ये योजना बना दी, जिसका वे खुलकर विरोध करते हैं.

सिरसा
रोष प्रदर्शन में विभिन्न किसान संगठनों के प्रतिनिधि किसानों ने भाग लिया.

ये भी पढ़ें- हेलमेट की तरह मास्क पहनने के लिए भी कानून बनाया जाए- विज

किसानों ने रोष जताते हुए कहा कि किसान को अपना कर्ज उतारने के लिए धान की खेती करना अनिवार्य है. जिस भूमि पर वे धान की खेती करते हैं, उस पर दूसरी फसल पैदा ही नहीं हो सकती. ऐसे में किसान कोरोना से तो नहीं लेकिन कर्ज से जरूर मर सकता है. किसानों ने सरकार द्वारा धान की खेती नहीं करने पर सात हजार प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दिए जाने पर कहा कि इससे किसानों की भरपाई नहीं हो सकती.

सिरसा
किसानों ने तहसीलदार को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर इस योजना को वापस लेने की मांग की.

योजना की शुरुआत के लिए सिरसा खंड का हुआ है चयन

किसानों ने कहा कि इस समय नरमे कपास की बिजाई का समय लगभग जा चुका है ऐसे में किसानों के पास धान की खेती के सिवाय कोई विकल्प नहीं बचा है. किसानों ने सरकार से तुरंत इस योजना को वापस लिए जाने की मांग की. वहीं मौके पर आए तहसीलदार श्रीनिवास ने किसानों से उनका ज्ञापन लिया और सिरसा के उपायुक्त के समक्ष पेश करने की बात कही.

बता दें कि, सरकार ने 'मेरा पानी, मेरी विरासत' योजना के तहत सिरसा जिले से सिरसा खंड का चयन किया है. सिरसा खंड में ज़्यादातर किसान घग्गर नदी के आसपास वर्षों से धान की खेती करते आये हैं, ऐसे में धान वाली जमीन की मिट्टी बिलकुल चिकनी हो चुकी है और इस चिकनी मिट्टी में अन्य फसल की पैदावार नहीं हो सकती. इसी को लेकर इस योजना के खिलाफ रोष व्याप्त है. अब देखना होगा कि किसानों के रोष को देखते हुए सरकार क्या फैसला लेती है.

क्या है 'मेरा पानी, मेरी विरासत' योजना?

सीएम मनोहर लाल खट्टर ने मेरा पानी, मेरr विरासत योजना बीती 6 मई को लॉन्च की थी. इस योजना के अंंतर्गत डार्क जोन में शामिल क्षेत्रों में धान की खेती छोड़ने वाले किसानों को 7 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. योजना के पहले चरण में 19 ब्लॉक शामिल किए गए हैं जिनमें भू-जल की गहराई 40 मीटर से ज्यादा है. इनमें से भी आठ ब्लॉक में धान की रोपाई ज्यादा है जिनमें कैथल के सीवन और गुहला, सिरसा, फतेहाबाद में रतिया और कुरुक्षेत्र में शाहाबाद, इस्माइलाबाद, पिपली और बबैन शामिल हैं.

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इसके अलावा वह क्षेत्र भी योजना के दायरे में होंगे जहां 50 हार्स पावर से अधिक क्षमता वाले ट्यूबवेल का इस्तेमाल किया जा रहा. मक्का, अरहर, मूंग, उड़द, तिल, कपास, सब्जी की खेती कर सकते हैं. सरकार मक्का व दाल की खरीदारी करेगी. न्यूनतम समर्थन मूल्य पर इनकी गारंटी से खरीदारी होगी. जिन ब्लॉक में पानी 35 मीटर से नीचे है, वहां पंचायती जमीन पर धान की खेती की अनुमति नहीं मिलेगी. जो भी किसान धान की खेती छोड़ना चाहते हैं तो वे इसके लिए आवेदन कर सकते हैं, उन्हें भी अनुदान मिलेगा.

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