ETV Bharat / state

कोरोना वायरस से हरियाणा का पोल्ट्री उद्योग प्रभावित, लोग नहीं खा रहे चिकन

author img

By

Published : Mar 18, 2020, 3:37 PM IST

कोरोना वायरस का असर चिकन कारोबारियों पर पड़ रहा है. कोरोना के चलते लोगों ने नॉनवेज खाना कम कर दिया है. जिसके चलते चिकन के दामों में भारी गिरावत आई है. जिसका खामियाजा कारोबारियों का उठाना पड़ रहा है.

coronas fear chicken sales drop in haryana
कोरोना वायरस ने किया पोल्ट्री उद्योग प्रभावित

सिरसा: कोरोना वायरस के कारण हरियाणा में मुर्गी कारोबारियों को करोड़ों रुपयों का नुकसान हुआ है. मुर्गों की बिकवाली में 8 गुणा जबकि दाम में 5 गुणा तक की गिरावट दर्ज की गई है. इस समय हरियाणा में करीब 10,000 मुर्गी फार्म हैं, जिनमें सालाना 10 करोड़ रुपयों से अधिक मुर्गी पालन का कारोबार होता है.

कारोबारियों को हो रहा नुकसान

पोल्ट्री फार्म के मालिक मोहन लाल का कहना है कि करोना वायरस के डर के चलते उन्हें 17 लाख रुपये का नुकसान हो रहा है, पहले मुर्गा 80 से 85 रुपये के करीब बिक रहा था, लेकिन अब 20 से 25 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है. छोटे दुकानदारों का कहना है की मार्किट में डिमांड नहीं है. इसलिए पुराना माल अभी तक पड़ा है, माल खराब न हो इसके चलते सस्ते भाव में बेचना पड़ रहा है.

कोरोना वायरस ने किया पोल्ट्री उद्योग प्रभावित

उन्होंने बताया कि पिछले करीब एक महीने से हमें नुकसान झेलना पड़ रहा है. अगर ऐसा ही हाल रहा तो पोल्ट्री फार्मिंग खत्म हो जाएगी. मोहन लाल ने बताया कि पोल्ट्री फार्मिंग के काम करने वाली लेबर को भी आने वाले दिनों में समस्या हो सकती है. मोहन लाल कहते है की मैं लोगों से कहता हूं कि इससे कोई नुकसान नहीं होने वाला मुर्गा खाने से कोरोना वायरस नहीं आता है.

मजदूरों को रोजगार जाने का डर

पोल्ट्री हाउस में काम करने वाले मजदूरों का कहना है कि हम रोजाना इन्हीं मुर्गों के बीच में रहते हैं हमें किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ तो आम लोगों को क्या होगा, उनका कहना है कि इसी काम से वो अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं अगर ऐसा काम रहा तो हम बेरोजगार हो जाएंगे.

जानें आंकड़े क्या कहते हैं

दरअसल, कोरोना वायरस के साइड इफेक्ट्स चिकन इंडस्ट्री पर पड़े हैं. पंजाब व हरियाण जैसे राज्यों में काफी मात्रा में नॉन वेज खाया जाता है, जिनमें चिकन मुख्य रूप से शामिल है.

पशुधन विकास विभाग के आंकड़ों के अनुसार हरियाणा में करीब 10 हजार मुर्गी फार्म है. हर साल करोड़ों की संख्या में मुर्गी पालन का धंधा होता है. कोरोना का असर मीट इंडस्ट्री पर साफ नजर आया है. इसके चलते 80 रुपये (थोक) किलोग्राम बिकने वाले ब्रेलर (मुर्गें) के रेट 15 रुपये प्रति किलोग्राम हो गए हैं.

ये भी पढ़ें- जब बुजुर्ग से बोले दुष्यंत, 'आज्या ताई मेरी गाढ़ी में बैठ, तन्नै मैं घुमाऊंगा चंडीगढ़'

सिरसा: कोरोना वायरस के कारण हरियाणा में मुर्गी कारोबारियों को करोड़ों रुपयों का नुकसान हुआ है. मुर्गों की बिकवाली में 8 गुणा जबकि दाम में 5 गुणा तक की गिरावट दर्ज की गई है. इस समय हरियाणा में करीब 10,000 मुर्गी फार्म हैं, जिनमें सालाना 10 करोड़ रुपयों से अधिक मुर्गी पालन का कारोबार होता है.

कारोबारियों को हो रहा नुकसान

पोल्ट्री फार्म के मालिक मोहन लाल का कहना है कि करोना वायरस के डर के चलते उन्हें 17 लाख रुपये का नुकसान हो रहा है, पहले मुर्गा 80 से 85 रुपये के करीब बिक रहा था, लेकिन अब 20 से 25 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है. छोटे दुकानदारों का कहना है की मार्किट में डिमांड नहीं है. इसलिए पुराना माल अभी तक पड़ा है, माल खराब न हो इसके चलते सस्ते भाव में बेचना पड़ रहा है.

कोरोना वायरस ने किया पोल्ट्री उद्योग प्रभावित

उन्होंने बताया कि पिछले करीब एक महीने से हमें नुकसान झेलना पड़ रहा है. अगर ऐसा ही हाल रहा तो पोल्ट्री फार्मिंग खत्म हो जाएगी. मोहन लाल ने बताया कि पोल्ट्री फार्मिंग के काम करने वाली लेबर को भी आने वाले दिनों में समस्या हो सकती है. मोहन लाल कहते है की मैं लोगों से कहता हूं कि इससे कोई नुकसान नहीं होने वाला मुर्गा खाने से कोरोना वायरस नहीं आता है.

मजदूरों को रोजगार जाने का डर

पोल्ट्री हाउस में काम करने वाले मजदूरों का कहना है कि हम रोजाना इन्हीं मुर्गों के बीच में रहते हैं हमें किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ तो आम लोगों को क्या होगा, उनका कहना है कि इसी काम से वो अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं अगर ऐसा काम रहा तो हम बेरोजगार हो जाएंगे.

जानें आंकड़े क्या कहते हैं

दरअसल, कोरोना वायरस के साइड इफेक्ट्स चिकन इंडस्ट्री पर पड़े हैं. पंजाब व हरियाण जैसे राज्यों में काफी मात्रा में नॉन वेज खाया जाता है, जिनमें चिकन मुख्य रूप से शामिल है.

पशुधन विकास विभाग के आंकड़ों के अनुसार हरियाणा में करीब 10 हजार मुर्गी फार्म है. हर साल करोड़ों की संख्या में मुर्गी पालन का धंधा होता है. कोरोना का असर मीट इंडस्ट्री पर साफ नजर आया है. इसके चलते 80 रुपये (थोक) किलोग्राम बिकने वाले ब्रेलर (मुर्गें) के रेट 15 रुपये प्रति किलोग्राम हो गए हैं.

ये भी पढ़ें- जब बुजुर्ग से बोले दुष्यंत, 'आज्या ताई मेरी गाढ़ी में बैठ, तन्नै मैं घुमाऊंगा चंडीगढ़'

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.