सिरसा: रतिया और टोहाना के तत्कालीन एसएमओ ने वर्ष 2016 में गर्ग मैटरनिटी सेंटर और कल्याणी नर्सिंग होम में रेड की गई थी. रेड के बाद दोनों अधिकारियों के खिलाफ दस्तावेज जुटाए गए थे.
लेकिन दस्तावेजों के आधार पर पुलिस कार्रवाई करने की बजाए आरोपियों को बचाने में जुटी हुई है. साथ ही मामले में ढिलाई बरती जा रही है. 67 वर्षीया कांता गर्ग के पुत्र डॉ. गगनदीप ने ये आरोप लगाए है कि सिरसा पुलिस पोलिग्राफी टेस्ट का तर्क देकर आरोपियों को बचाने में जुटी है.
डॉ. गगनदीप ने मीडिया से बात करते हुए कहा उनके टोहाना में स्थित गर्ग मैटरनिटी सेंटर और कल्याणी नर्सिंग होम में रेड कर ओपीडी का रजिस्टर जब्त कर लिया था. इस रजिस्टर को न तो पुलिस प्रशासन को दिया गया और न ही स्वास्थ्य विभाग को दिया गया.
'आरोपियों को बचाने में जुटी है पुलिस'
डॉ. गगनदीप का आरोप है कि मामले की टीम ने उनसे 15 लाख रुपये की मांग की और ये रकम न देने की एवज में फर्जी मामला दर्ज करने का भी दबाव बनाया. लंबी लड़ाई लड़ने के बाद आखिरकार टोहाना सिटी पुलिस में मामला दर्ज तो हुआ लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
तत्कालीन आईजी को मामले से अवगत करवाने के बाद उन्होंने मामले में एसआईटी का गठन किया और डीएसपी आर्यन चौधरी को मामले की जांच सौंपी है. डॉ. गगनदीप ने ये भी कहा कि डीएसपी आर्यन चौधरी को उन्होंने सभी तथ्य दे दिए है,लेकिन वे पोलिग्राफी पर अड़े है. जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस आरोपियों को बचाने में जुटी है.
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मामले की निष्पक्ष जांच की जाएगी- डीएसपी
इस मामले में डीएसपी आर्यन चौधरी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि शिकायतकर्ता डॉ. गगनदीप के आरोप बिलकुल गलत है. पोलियोग्राफी टेस्ट की मांग पहले शिकायतकर्ता ने की थी. अगर हमें लगेगा तो हम करवाएंगे अन्यथा नहीं. साथ ही मामले की निष्पक्ष जांच की जा रही है.