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सिरसाः असमंजस में प्रशासन, एक ही नहर का पानी मांग रहे दो गांवों के लोग

सिरसा में प्रशासन अब एक बड़ी दुविधा में फंस गया है. हलके के गांव और बेहरवाला गांव के किसान नहर के पानी की मांग को लेकर प्रशासन असमंजस में है कि मांग किसकी मानें. यदि प्रशासन एक गांव की मांग को मान लेता है तो दूसरे गांव के किसानों के लिए समस्या खड़ी हो जाएगी.

किसान बैठे धरने पर
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Published : Aug 5, 2019, 3:34 PM IST

सिरसा: ऐलनाबाद हलके के गांव बुढीमेडी में पानी की मांग को लेकर किसानों का धरना आज 11वें दिन लगातार जारी है. यह धरना बेहरवाला में ली गई किसानों की जलसमाधि के विरोध में शुरू हुआ था.

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दो गांव के किसान धरने पर

हलके गांव के किसानों का कहना है कि जिस प्रकार जलसमाधि लेने वाले किसान मांग कर रहे थे और उनकी मांगे मानने का आश्वासन दे दिया गया है तो इसके दूसरी तरफ उनके खेतों को पानी नहीं मिल पाएगा.

गांव बेहरवाला में किसानों ने अपनी मांगो को लेकर जल समाधि ली थी. किसानों की मांग थी कि कच्ची नहर को पक्का किया जाए. इनकी 10 दिन की जल समाधि के बाद आखिरकार प्रशासन ने इनकी मांग को मान लिया है.

प्रशासन ने उनकी मांगे मानी तो उनके विरोध में धरने पर बैठे बुढीमेडी के किसानों ने विरोध शुरू कर दिया. बुढीमेडी हैड पर बैठे किसानों का कहना है कि नहर में पानी बेहरवाला तक पहुंचाने के लिए उनके खेतों के पानी को बंद किया जा रहा है और उनका कहना है कि बेहरवाला गांव में बरसात हो जाने के बाद बुढीमेडी हैड से पानी की मात्रा कम कर दी गई.

असमंजस में प्रशासन

इन दोनों किसानों के धरनों से प्रशासन परेशान है क्योंकि दोनों के धरने एक दूसरे के विरोध में लगे हैं अगर प्रशासन बेहरवाला के किसानों की समस्या का समाधान कर देता है तो बुढीमेडी के किसानों के लिए समस्या खड़ी हो जाती है. अब देखने वाली बात यह है कि प्रशासन इस असमंजस में क्या फैसला लेता है.

सिरसा: ऐलनाबाद हलके के गांव बुढीमेडी में पानी की मांग को लेकर किसानों का धरना आज 11वें दिन लगातार जारी है. यह धरना बेहरवाला में ली गई किसानों की जलसमाधि के विरोध में शुरू हुआ था.

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दो गांव के किसान धरने पर

हलके गांव के किसानों का कहना है कि जिस प्रकार जलसमाधि लेने वाले किसान मांग कर रहे थे और उनकी मांगे मानने का आश्वासन दे दिया गया है तो इसके दूसरी तरफ उनके खेतों को पानी नहीं मिल पाएगा.

गांव बेहरवाला में किसानों ने अपनी मांगो को लेकर जल समाधि ली थी. किसानों की मांग थी कि कच्ची नहर को पक्का किया जाए. इनकी 10 दिन की जल समाधि के बाद आखिरकार प्रशासन ने इनकी मांग को मान लिया है.

प्रशासन ने उनकी मांगे मानी तो उनके विरोध में धरने पर बैठे बुढीमेडी के किसानों ने विरोध शुरू कर दिया. बुढीमेडी हैड पर बैठे किसानों का कहना है कि नहर में पानी बेहरवाला तक पहुंचाने के लिए उनके खेतों के पानी को बंद किया जा रहा है और उनका कहना है कि बेहरवाला गांव में बरसात हो जाने के बाद बुढीमेडी हैड से पानी की मात्रा कम कर दी गई.

असमंजस में प्रशासन

इन दोनों किसानों के धरनों से प्रशासन परेशान है क्योंकि दोनों के धरने एक दूसरे के विरोध में लगे हैं अगर प्रशासन बेहरवाला के किसानों की समस्या का समाधान कर देता है तो बुढीमेडी के किसानों के लिए समस्या खड़ी हो जाती है. अब देखने वाली बात यह है कि प्रशासन इस असमंजस में क्या फैसला लेता है.

Intro:एंकर - ऐलनाबाद हलके के गांव बुढीमेडी में पानी की मांग को लेकर किसानों का धरना आज 11 वें दिन लगातार जारी है। यह धरना बेहरवाला में ली गई किसानों की जलसमाधी के विरोध में शुरू हुआ था। किसानों का कहना है कि जिस प्रकार जलसमाधी लेने वाले किसान मांग कर रहे थे और उनकी मांगे मानने का आश्वासन दे दिया गया है तो इसके दूसरी तरफ उनके खेतों को पानी नहीं मिल पाएगा। Body:वीओ 1 - कुछ दिनों पहले ऐलनाबाद के गांव बेहरवाला मंे किसानों ने अपनी मांगो को लेकर जल समाधी ली थी। किसानों की मांग थी कि कच्ची नहर को पक्का किया जाए और जो पिछे अवैध मोगे लगे हुए हैं उनको रोका जाए और उनकी टेल तक पानी पहुंचाया जाए। किसानों की जल समाधी लगातार 10 दिनों तक रही लेकिन आखिर में प्रशासन को झुकना पडा लेकिन जैसे ही प्रशासन ने उनकी मांगे मानी तो उनके विरोध में धरने पर बैठे बुढीमेडी के किसानों ने विरोध शुरू कर दिया। बुढीमेडी हैड पर बैठे किसानों का कहना है कि नहर में पानी बेहरवाला तक पहुंचाने के लिए उनके खेतों के पानी को बंद किया जा रहा है हालांकि उनके जो मोगे हैं उसकी उन्होंने फीस भर रखी है और परमिशन लेने के बाद ही उन्होंने मोगे लगाए थे ऐसे में किसान नेता विकल पचार अपनी राजनीति चमकाने के लिए यह सब कर रहा है अगर वह असल में किसान नेता है तो उनके धरने पर आने से मना क्यों कर दिया। उसके धरने से केवल 3 गांवों के किसानो को फायदा हुआ है और यहां दर्जन भर गांवों के किसानों को नुकसान हुआ है। इसके साथ ही किसानों का कहना है कि बेहरवाला गांव में बरसात हो जाने के बाद बुढीमेडी हैड से पानी की मात्रा कम कर दी गई यदि यहां से पानी की मात्रा कम नहीं की जाती है तो दोनों जगहों के किसानों को पानी आसानी से मिल सकता है।
बाईट - आत्मा राम, बलकरण सिंह, राजबीर, रामनिवास किसान।Conclusion:वीओ 3 - इन दोनों किसानों के धरनो के बारे में हम कह सकते हैं कि दोनों धरने एक दूसरे के विरोध में लगे हैं अगर प्रशासन बेहरवाला के किसानों की समस्या का समाधान कर देता है तो बुढीमेडी के किसानों को समस्या हो जाती है उनके खेतों को पानी नहीं मिल पाता। और यदि बुढीमेडी के किसानों की समस्या हल कर दी जाती है तो बेहरवाला के किसानों का धरना शुरू हो जाता है। किसान नेता भी बेहरवाला के धरने को ज्यादा महत्व दे रहे हैं बुढीमेडी के किसानों के पास जाना जरूरी नहीं समझते। ऐसे में नहर एक है और समस्याएं दो अब प्रशासन कौन से किसानों की समस्या का समाधान करता है या फिर दोनों धरनों को उठाने में कामयाब होता है यह देखने वाली बात है।
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