चंडीगढ़: हरियाणा में कांग्रेस का करीब एक दशक से संगठन नहीं है. ऐसे में लोकसभा चुनाव हो या फिर विधानसभा चुनाव, पार्टी उम्मीदों के मुताबिक परफॉर्म नहीं कर पाई, लेकिन हैरत की बात ये है कि विधानसभा चुनाव में हार के लिए पार्टी के दिग्गज नेता इस कमी को मानने के बजाय ईवीएम पर ठीकरा लगातार फोड़ रहे हैं, जबकि पार्टी के अन्य नेता गाहे बगाहे स्वीकार करते हैं कि पार्टी का संगठन ना होना लोकसभा और खासतौर पर विधानसभा चुनाव में हार की वजह थी.
एक दशक से पिछड़ रही कांग्रेस : लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बाद अब इस साल की शुरुआत में ही निकाय चुनाव होने हैं. इससे पहले बीजेपी बड़ी तेजी के साथ संगठन के चुनावों में जुटी हुई है. यानि बीजेपी संगठन के मामले में कांग्रेस के मुकाबले काफी तेजी से काम कर रही है, और उससे बहुत आगे है. वहीं कांग्रेस करीब एक दशक से इस मामले में पिछड़ती जा रही है, जो कि कांग्रेस के लिए निकाय चुनावों में भी सबसे बड़ी चिंता का विषय बन सकता है.
इधर, अब कांग्रेस के नेता निकाय चुनावों में लोगों से जुड़े विभिन्न मुद्दों को लेकर मैदान में उतरने की बात कर रहे हैं. वहीं, ये उम्मीद कर रहे हैं कि शायद लोगों के मुद्दे उठाने से जनता उसका साथ दे देगी. लेकिन ये नेता खुद पार्टी के एक दशक से ज्यादा वक्त से संगठन न होने का दर्द मीडिया में शेयर करने से गुरेज नहीं कर रहे हैं. ऐसे में बीजेपी को कांग्रेस निकाय चुनाव में कितनी चुनौती दे पाएगी, ये देखने वाली बात होगी.
बीजेपी इस महीने करेगी पदाधिकारियों की नियुक्ति : इधर, बीजेपी विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद उत्साह से लबरेज है. पार्टी नेता लगातार जनता के बीच जा रहे हैं. वहीं संगठन के मामले में पार्टी जनवरी के महीने में प्रक्रिया पूरी कर लेगी. पार्टी के अध्यक्ष इस मामले में बयान दे चुके हैं कि बूथ हो मंडल हो या जिला, इन सभी पर इस महीने पदाधिकारियों की नियुक्ति हो जाएगी. वहीं कांग्रेस के अभी तक संगठन न होने पर वे कांग्रेस पर तंज कस रहे हैं.
"बांटो और राज करो की नीति से खुद देश से मुक्त हो जाएगी कांग्रेस" : हरियाणा बीजेपी अध्यक्ष संगठन चुनाव को लेकर कह चुके हैं कि बीजेपी की संगठन निर्माण को लेकर बड़ी तैयारी है. वहीं जब उनसे कांग्रेस के अभी तक हरियाणा में संगठन निर्माण न होने को लेकर सवाल किया गया तो वे इस पर चुटकी लेते हुए कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी ने अपने जन्म से ही नीति बनाई थी कि बांटो और राज करो. कांग्रेस उसी बांटो और राज करो के काम में लगी हुई थी, लेकिन अब खुद बंट गई. धीरे-धीरे वो घट जाएगी और देश से मुक्त हो जाएगी.
VIDEO | Haryana: " (congress) should understand the importance of the local body polls and municipal corporation elections, which will soon be held. if congress does not understand its importance, then time will pass. if bjp continues is in power in municipal corporations, then it… pic.twitter.com/6n9nFNR7Ib
— Press Trust of India (@PTI_News) January 1, 2025
संगठन की कमी को लेकर छलक रहा नेताओं का दर्द : इधर कांग्रेस नेता अशोक अरोड़ा 2025 की शुरुआत में होने वाले निकाय चुनाव को लेकर कहते हैं कि कांग्रेस इन चुनाव को मजबूती से लड़ेगी. कांग्रेस शहर में आने वाली दिक्कतों को मुद्दा बनाएगी. वे आरोप लगाते हैं कि शहरों में स्थानीय निकाय में सबसे बड़ा भ्रष्टाचार है. लोगों को विभिन्न बातों को लेकर लूटा जाता है. शहरों की सफाई, आवारा कुत्ते बेसहारा पशुओं की वजह से हादसे होते हैं. नगर निगम चुनाव पार्टी सिंबल पर लड़ेगी. नगर पालिका और परिषद पर पार्टी फैसला लेगी. हालांकि संगठन के न बन पाने का दर्द उनकी जुबान पर भी आ गया. इस पर पूछे गए सवाल पर वे कहते हैं कि किसी भी पार्टी की ताकत उसका संगठन होता है. पार्टी का लंबे समय से संगठन न होना कांग्रेस के लिए बहुत खतरनाक है. विधानसभा और लोकसभा चुनाव में संगठन होता तो मैं मानता हूं कि इससे भी बेहतर नतीजे आ सकते थे. हालांकि वे कहते हैं कि हाईकमान कह रहा है कि जल्द संगठन बनेगा. संगठन बनेगा तभी पार्टी आगे बढ़ेगी.
"कांग्रेस संगठन की अहमियत को समझे" : कांग्रेस की हालत और नेताओं की आपसी खींचतान पर पार्टी के वरिष्ठ नेता कुलदीप शर्मा भी कह चुके हैं कि पार्टी को शहरी स्थानीय निकाय चुनावों की अहमियत को समझना चाहिए. अगर कांग्रेस इसकी अहमियत को नहीं समझती है तो वक्त निकल जाएगा. बीजेपी का शहरी स्थानीय निकायों पर अगर लंबे वक्त तक कब्जा रहेगा, तो इसका अन्य बातों पर भी असर पड़ेगा. इसलिए कांग्रेस के नेताओं को अपने हितों को दरकिनार कर एक-दूसरे से बात करनी होगी.
क्या कहते हैं इस मामले में जानकर? : इधर राजनीतिक मामलों के जानकर धीरेंद्र अवस्थी कांग्रेस के संगठन न बनने और बीजेपी का संगठन मजबूत होने से नगर निगम चुनावों में पड़ने वाले असर को लेकर कहते हैं कि इसमें दो राय नहीं है कि संगठन किसी भी पार्टी की बैकबॉन होती है. कांग्रेस की ये कमी निश्चित तौर पर पार्टी के लिए निकाय चुनाव में भी लोकसभा और विधानसभा चुनाव की तरह चुनौती रहेगी. बिना संगठन किसी भी दल के लिए चुनाव जीतना आसान नहीं होता.
कांग्रेस के लिए संगठन न होना चिंता का विषय : वहीं, इस पर वरिष्ठ पत्रकार राजेश मोदगिल कहते हैं कि हैरत इस बात की है कि कांग्रेस पार्टी के नेता गाहे बगाहे इस बात को मानते हैं कि संगठन का ना होना उनकी दिक्कत है. लेकिन पार्टी हाईकमान दस साल से इस मुद्दे को एड्रेस नहीं कर पाया है. ये चिंता पार्टी के सामने सबसे बड़ी है. बिना संगठन चुनावी जंग को जीतना किसी के लिए भी आसान नहीं होता है. इस मामले में बीजेपी कांग्रेस से कई कदम आगे हैं. उसका फोकस ही संगठन पर रहता है.
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