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महम कांड में अभय चौटाला के खिलाफ नहीं चलेगा हत्या का मुकदमा

महम कांड को लेकर रोहतक की जिला अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. जिला कोर्ट ने शिकायतकर्ता की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें अभय चौटाला के खिलाफ हत्या का मुकदमा चलाने की मांग की गई थी.

Meham kand abhay chautala
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Published : Jan 25, 2021, 5:51 PM IST

रोहतक: बहुचर्चित महम कांड में इनेलो नेता अभय चौटाला पर 302 के तहत हत्या का मुकदमा नहीं चलेगा. एडिशनल सेशन जज रितु वाईके बहल कोर्ट ने शिकायतकर्ता की याचिका खारिज कर दी. अभय सिंह के वकील विनोद अहलावत ने ये जानकारी दी है.

बता दें कि फरवरी 1990 में महम विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुई था. इस उपचुनाव में खरक जाटान के हरि सिंह की मौत हुई थी. इस मामले में इनेलो नेता अभय चौटाला समेत कई लोगों को आरोपी बनाया गया था. जिसके बाद मृतक हरि सिंह के भाई रामफल ने रोहतक कोर्ट में याचिका लगाई थी.

क्या था महम कांड?

रवरी 1990 में यहां हुए उपचुनाव में इतनी हिंसा हुई कि नतीजा तक घोषित नहीं हो पाया. दोबारा चुनाव कराए गए फिर हिंसा हुई, चुनाव रद्द हो गए. 1991 में तीसरी बार चुनाव हुए और तब जाकर कोई नतीजा निकल पाया. लोग इसे महम कांड के नाम से जानते हैं.

ये भी पढ़ें- क्या है हरियाणा का महम कांड? 30 साल बाद अभय चौटाला पर अदालत का आया फैसला

महम हरियाणा की राजनीति में काफी अहम नाम माना जाता है. महम का नाम हरियाणा से बाहर निकल कर पूरे देश में प्रसिद्ध तब हुआ, जब यहां से चौधरी देवी लाल निकलकर उप प्रधानमंत्री बने. चौधरी देवीलाल यहां से लगातार तीन बार विधायक रहे, इसलिए इसे देवी लाल का गढ़ माना गया था. ये देवीलाल ही थे जिनकी राजनीति ने महम के साथ कांड जोड़ दिया.

रोहतक: बहुचर्चित महम कांड में इनेलो नेता अभय चौटाला पर 302 के तहत हत्या का मुकदमा नहीं चलेगा. एडिशनल सेशन जज रितु वाईके बहल कोर्ट ने शिकायतकर्ता की याचिका खारिज कर दी. अभय सिंह के वकील विनोद अहलावत ने ये जानकारी दी है.

बता दें कि फरवरी 1990 में महम विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुई था. इस उपचुनाव में खरक जाटान के हरि सिंह की मौत हुई थी. इस मामले में इनेलो नेता अभय चौटाला समेत कई लोगों को आरोपी बनाया गया था. जिसके बाद मृतक हरि सिंह के भाई रामफल ने रोहतक कोर्ट में याचिका लगाई थी.

क्या था महम कांड?

रवरी 1990 में यहां हुए उपचुनाव में इतनी हिंसा हुई कि नतीजा तक घोषित नहीं हो पाया. दोबारा चुनाव कराए गए फिर हिंसा हुई, चुनाव रद्द हो गए. 1991 में तीसरी बार चुनाव हुए और तब जाकर कोई नतीजा निकल पाया. लोग इसे महम कांड के नाम से जानते हैं.

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महम हरियाणा की राजनीति में काफी अहम नाम माना जाता है. महम का नाम हरियाणा से बाहर निकल कर पूरे देश में प्रसिद्ध तब हुआ, जब यहां से चौधरी देवी लाल निकलकर उप प्रधानमंत्री बने. चौधरी देवीलाल यहां से लगातार तीन बार विधायक रहे, इसलिए इसे देवी लाल का गढ़ माना गया था. ये देवीलाल ही थे जिनकी राजनीति ने महम के साथ कांड जोड़ दिया.

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