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कश्मीरी पंडितों को लेकर मेधा का केंद्र पर हमला, कहा-इतिहास को मिटाकर उसे एकतरफा रखने की साजिश जा रही - सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर

कश्मीरी पंडितों के बहाने मेधा पाटकर (Medha Patkar target on the central government) का केंद्र सरकार पर निशाना. बोलीं, इतिहास को मिटाकर कश्मीरी पंडितों के साथ जो हुआ, उसे एकतरफा रखने की साजिश की जा रही.रोहतक में एक समारोह में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर पहुंची थी.

Medha Patkar target on the central government
कश्मीरी पंडितों को लेकर मेधा का केंद्र पर हमला, कहा-इतिहास को मिटाकर उसे एकतरफा रखने की साजिश जा रही
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Published : Jun 5, 2022, 1:27 PM IST

रोहतक: नर्मदा बचाओ आंदोलन की संस्थापक एवं सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कश्मीरी पंडितों के बहाने केंद्र की बीजेपी सरकार पर (Medha Patkar target on the central government) निशाना साधा. उन्होंने कहा कि इतिहास को मिटाकर कश्मीरी पंडितों के साथ जो हुआ, उसे एकतरफा रखने की साजिश रची जा रही है. मेधा पाटकर शनिवार को यहां हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन के पूर्व चेयरमैन डीआर चौधरी की स्मृति में आयोजित व्याख्यान में पहुंची थी. इस दौरान पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने देश के मौजूदा हालात खासतौर पर जम्मू कश्मीर पर चर्चा की.

उन्होंने कहा कि कश्मीर के इतिहास की शुरूआत राजा हरि सिंह और सरदार वल्लभ भाई पटेल से होती है. लेकिन केंद्र सरकार उस इतिहास को मिटाकर और जो कुछ केवल कश्मीरी पंडितों (kashmiri pandits) के साथ हुआ, उसे एक तरफा रखने की साजिश रच रही है. उन्होंने कश्मीर फाइल्स फिल्म (kashmir files) का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि कश्मीर फाइल्स है तो गुजरात फाइल्स भी रखिए. दरअसल गुजरात फाइल्स वर्ष 2002 में हुए गुजरात दंगों के बारे में पत्रकार राणा अय्यूब की किताब है. मेधा पाटकर ने कहा कि हर जगह की फाइल्स तैयार हैं.

उन्होंने मध्य प्रदेश में हुई हिंसक घटनाओं के जरिए बीजेपी सरकार को घेरने का प्रयास किया. साथ ही मीडिया की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि मीडिया की भूमिका नफरत मिटाने वाली होनी चाहिए न कि नफरत फैलाने वाली. लेकिन बीजेपी सरकार का उद्देश्य अलग तरह का वोट बैंक है और उन्हें लगता है कि अगर कोई और सरकार होती तो कश्मीर फाइल्स पर रोक लगा देती. सामाजिक कार्यकर्ता ने केंद्र सरकार पर धर्म के नाम पर आधारित हिंसा को बढावा देने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि यह सरकार हिंसक घटनाओं को अंजाम देने वाले अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती, बल्कि इस प्रकार की घटनाओं को और बढ़ावा देती है. मेधा पाटकर ने अपने एनजीओ पर लगे आरोपों से साफ तौर से इंकार किया.

सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर (Social Activist Medha Patkar) ने दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर नियुक्त हुए विनय कुमार सक्सेना पर भी सवाल उठाए. पाटकर ने सक्सेना पर सरकारी योजनाओं से लाभ उठाने का आरोप लगाया तो सक्सेना ने उन पर मानहानि का केस दायर कर दिया था.पाटकर ने भी उनके खिलाफ केस दायर कर दिया.

रोहतक: नर्मदा बचाओ आंदोलन की संस्थापक एवं सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कश्मीरी पंडितों के बहाने केंद्र की बीजेपी सरकार पर (Medha Patkar target on the central government) निशाना साधा. उन्होंने कहा कि इतिहास को मिटाकर कश्मीरी पंडितों के साथ जो हुआ, उसे एकतरफा रखने की साजिश रची जा रही है. मेधा पाटकर शनिवार को यहां हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन के पूर्व चेयरमैन डीआर चौधरी की स्मृति में आयोजित व्याख्यान में पहुंची थी. इस दौरान पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने देश के मौजूदा हालात खासतौर पर जम्मू कश्मीर पर चर्चा की.

उन्होंने कहा कि कश्मीर के इतिहास की शुरूआत राजा हरि सिंह और सरदार वल्लभ भाई पटेल से होती है. लेकिन केंद्र सरकार उस इतिहास को मिटाकर और जो कुछ केवल कश्मीरी पंडितों (kashmiri pandits) के साथ हुआ, उसे एक तरफा रखने की साजिश रच रही है. उन्होंने कश्मीर फाइल्स फिल्म (kashmir files) का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि कश्मीर फाइल्स है तो गुजरात फाइल्स भी रखिए. दरअसल गुजरात फाइल्स वर्ष 2002 में हुए गुजरात दंगों के बारे में पत्रकार राणा अय्यूब की किताब है. मेधा पाटकर ने कहा कि हर जगह की फाइल्स तैयार हैं.

उन्होंने मध्य प्रदेश में हुई हिंसक घटनाओं के जरिए बीजेपी सरकार को घेरने का प्रयास किया. साथ ही मीडिया की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि मीडिया की भूमिका नफरत मिटाने वाली होनी चाहिए न कि नफरत फैलाने वाली. लेकिन बीजेपी सरकार का उद्देश्य अलग तरह का वोट बैंक है और उन्हें लगता है कि अगर कोई और सरकार होती तो कश्मीर फाइल्स पर रोक लगा देती. सामाजिक कार्यकर्ता ने केंद्र सरकार पर धर्म के नाम पर आधारित हिंसा को बढावा देने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि यह सरकार हिंसक घटनाओं को अंजाम देने वाले अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती, बल्कि इस प्रकार की घटनाओं को और बढ़ावा देती है. मेधा पाटकर ने अपने एनजीओ पर लगे आरोपों से साफ तौर से इंकार किया.

सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर (Social Activist Medha Patkar) ने दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर नियुक्त हुए विनय कुमार सक्सेना पर भी सवाल उठाए. पाटकर ने सक्सेना पर सरकारी योजनाओं से लाभ उठाने का आरोप लगाया तो सक्सेना ने उन पर मानहानि का केस दायर कर दिया था.पाटकर ने भी उनके खिलाफ केस दायर कर दिया.

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