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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस विशेषः पंचर बनाने वाली आंटी कायम कर रही महिला सशक्तिकरण की मिसाल

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Published : Mar 8, 2020, 8:19 PM IST

दसवीं पास मुकेश 12 साल से टायर का पंचर बनाने का काम करती हैं और अपने काम की बदौलत आत्मनिर्भर हैं. मुकेश ने घर को सहारा देने के लिए कठिन परिस्थितियों में काम का बीड़ा उठाया और आज महिला सशक्तिकरण की मिसाल बन गई हैं.

puncture making aunty in Rohatak
puncture making aunty in Rohatak

रोहतकः हरियाणा के रोहतक की रहने वाली मुकेश देवी उन लोगों के लिए मिसाल हैं, जो कठिन परिस्थितियों में घबराकर हालात से हार मान लेते हैं या काम को छोटा या बड़ा मानकर उन्हें करते नहीं हैं और आर्थिक तंगी से जूझते रहते हैं.

महिलाओं के लिए प्रेरणा मुकेश देवी

मुकेश देवी दसवीं पास हैं और रोहतक शहर के पॉश इलाके डी पार्क में पिछले 12 साल से टायर पंचर बना रही है और सम्मान की जिंदगी जी रही है. मुकेश का एक ही मूल मंत्र है कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता किसी के आगे हाथ फैलाने से अच्छा है खुद आत्मनिर्भर बने. आत्मनिर्भरता में जो सुकून मिलता है वह कहीं नहीं है. आत्मनिर्भरता ही असली वूमन एंपावरमेंट है.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस विशेषः पंचर बनाने वाली आंटी ने कायम कर रही महिला सशक्तिकरण की मिसाल

परिवार को सहारा देने के लिए शुरू किया काम

घर में गरीबी थी, पति हृदय रोगी थे. परिवार कंगाली की कगार पर था तभी दसवीं पास मुकेश ने रोड पर बैठकर पंचर बनाने का काम शुरू कर दिया. मुकेश का कहना है कि शुरुआत में लोगों ने उन्हें काफी ताने दिए. लेकिन घर की दयनीय हालत को संभालने के लिए उन्होंने साहस नहीं छोड़ा और आज लोग उन्हें सलाम करते हैं.

ये भी पढ़ेंः- 8 मार्च : एक शताब्दी से ज्यादा पुरानी हुई महिला दिवस मनाने की परंपरा

परिस्थितियों से जूझकर परिवार को संवारा

मुकेश का कहना है कि शुरूआत में लोगों के ताने और अपनों से शर्म भी आती थी. लेकिन परिस्थितियों को समझते हुए उन्होंने हालात से समझौता किया और हिम्मत से आगे बढ़ती रही. इस मेहनत के सहारे ही उन्होंने अपने परिवार को संभाला, बच्चों को पढ़ाया उनकी शादी की और आज वह शान की जिंदगी जी रही हैं.

महिलाओं को दे रहीं आत्मनिर्भरता का संदेश

उन्होंने कहा कि उन्हें अपने ऊपर गर्व है कि कभी भी उन्होंने किसी के आगे हाथ नहीं फैलाया और महिला दिवस पर यही मंत्र वह महिलाओं को देना चाहती हैं कि महिलाएं आत्मनिर्भर बने किसी पर बोझ ना बन कर किसी को सहारा दें. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का असली मतलब यही होगा.

मुकेश के जज्बे को लोग करते हैं सलाम

मुकेश की हिम्मत देख लोग उनके जज्बे को सलाम करते हैं और अब तो लोगों को उनके काम से इतना लगाव हो गया है कि जब भी पंचर बनवाना होता है, वह उनके पास ही चले आते हैं और पंचर बनाने वाली आंटी से ही पंचर बनवाते हैं. आंटी भी उन्हें उतना ही प्यार देती हैं, जितना आने वाले उन्हें इज्जत देते हैं.

ये भी पढ़ेंः- पूर्व भारतीय हॉकी टीम की कप्तान सुरेंद्र कौर की संघर्ष की कहानी

रोहतकः हरियाणा के रोहतक की रहने वाली मुकेश देवी उन लोगों के लिए मिसाल हैं, जो कठिन परिस्थितियों में घबराकर हालात से हार मान लेते हैं या काम को छोटा या बड़ा मानकर उन्हें करते नहीं हैं और आर्थिक तंगी से जूझते रहते हैं.

महिलाओं के लिए प्रेरणा मुकेश देवी

मुकेश देवी दसवीं पास हैं और रोहतक शहर के पॉश इलाके डी पार्क में पिछले 12 साल से टायर पंचर बना रही है और सम्मान की जिंदगी जी रही है. मुकेश का एक ही मूल मंत्र है कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता किसी के आगे हाथ फैलाने से अच्छा है खुद आत्मनिर्भर बने. आत्मनिर्भरता में जो सुकून मिलता है वह कहीं नहीं है. आत्मनिर्भरता ही असली वूमन एंपावरमेंट है.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस विशेषः पंचर बनाने वाली आंटी ने कायम कर रही महिला सशक्तिकरण की मिसाल

परिवार को सहारा देने के लिए शुरू किया काम

घर में गरीबी थी, पति हृदय रोगी थे. परिवार कंगाली की कगार पर था तभी दसवीं पास मुकेश ने रोड पर बैठकर पंचर बनाने का काम शुरू कर दिया. मुकेश का कहना है कि शुरुआत में लोगों ने उन्हें काफी ताने दिए. लेकिन घर की दयनीय हालत को संभालने के लिए उन्होंने साहस नहीं छोड़ा और आज लोग उन्हें सलाम करते हैं.

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परिस्थितियों से जूझकर परिवार को संवारा

मुकेश का कहना है कि शुरूआत में लोगों के ताने और अपनों से शर्म भी आती थी. लेकिन परिस्थितियों को समझते हुए उन्होंने हालात से समझौता किया और हिम्मत से आगे बढ़ती रही. इस मेहनत के सहारे ही उन्होंने अपने परिवार को संभाला, बच्चों को पढ़ाया उनकी शादी की और आज वह शान की जिंदगी जी रही हैं.

महिलाओं को दे रहीं आत्मनिर्भरता का संदेश

उन्होंने कहा कि उन्हें अपने ऊपर गर्व है कि कभी भी उन्होंने किसी के आगे हाथ नहीं फैलाया और महिला दिवस पर यही मंत्र वह महिलाओं को देना चाहती हैं कि महिलाएं आत्मनिर्भर बने किसी पर बोझ ना बन कर किसी को सहारा दें. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का असली मतलब यही होगा.

मुकेश के जज्बे को लोग करते हैं सलाम

मुकेश की हिम्मत देख लोग उनके जज्बे को सलाम करते हैं और अब तो लोगों को उनके काम से इतना लगाव हो गया है कि जब भी पंचर बनवाना होता है, वह उनके पास ही चले आते हैं और पंचर बनाने वाली आंटी से ही पंचर बनवाते हैं. आंटी भी उन्हें उतना ही प्यार देती हैं, जितना आने वाले उन्हें इज्जत देते हैं.

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