रोहतक: हरियाणा के रोहतक में बॉन्ड पॉलिसी (Bond policy in rohtak) का विरोध कर रहे MBBS के छात्रों की सरकार से मांग है कि सरकार बॉन्ड पॉलिसी को खत्म करें. दरअसल छात्रों का कहना है कि बॉन्ड पॉलिसी उनके लिए बोझ है और ये छात्रों पर आर्थिकी का बोझ है. इसी के चलते छात्रों ने OPD बंद कर रोहतक में बॉन्ड पॉलिसी के खिलाफ खूब प्रदर्शन भी किया.
ऐसे में अब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian medical association) ने बॉन्ड पॉलिसी के खिलाफ MBBS विद्यार्थियों (MBBS students protest) की हड़ताल का समर्थन किया है. IMA के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सहजानंद प्रसाद सिंह, राष्ट्रीय सचिव डॉ. जयेश लेले, प्रदेशाध्यक्ष डॉ. पुनीत हसीजा, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉ. करण पूनिया, राज्य सचिव डॉ. दिव्या सक्सेना और आईएमए के जूनियर डॉक्टर नेटवर्क के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. कर्ण जुनेजा शनिवार को PGIMS रोहतक में धरनास्थल पर पहुंचे.
वहीं उन्होंने (IMA opposes bond policy in haryana) बॉन्ड पॉलिसी को तुरंत प्रभाव से वापस लेने की मांग की है. इस दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष ने MBBS विद्यार्थियों को आश्वासन दिया कि इस आंदोलन में विद्यार्थी अकेले नहीं हैं और जरूरत पड़ने पर देश भर के डॉक्टर्स विद्यार्थियों के समर्थन में कोई भी ठोस निर्णय लेने को तैयार हैं.
वहीं डॉ. सहजानंद ने उन 2 एमबीबीएस विद्यार्थियों का भी व्रत खुलवाया, जिनकी हालत बिगड़ने के बाद उन्हें इमरजेंसी में भर्ती कराया गया था. फिर उन्होंने PGIMS के निदेशक डॉ. एसएस लोहचब से मुलाकात की और उनसे अनुरोध किया कि एमबीबीएस विद्यार्थियों के स्वास्थ्य का अच्छी तरह से ध्यान रखा जाए.
उन्होंने कहा कि 24 घंटे एक एम्बुलेंस और एक मेडिकल टीम धरना स्थल पर तैनात की जाए. आईएमए हरियाणा की प्रदेशाध्यक्ष डॉ. पुनीता हसीजा ने बताया कि बॉन्ड पॉलिसी के खिलाफ अलग-अलग जिलों में क्रमिक भूख हड़ताल भी की जाएगी.
आखिर बॉन्ड पॉलिसी क्या है- दरअसल हरियाणा सरकार ने (bond policy in haryana) बॉन्ड के तहत एमबीबीएस में दाखिला लेने वाले छात्रों से 10 लाख रुपये की बॉन्ड राशि जमा कराने का फैसला किया है. जिसका छात्र विरोध कर रहे हैं. दिल्ली के सफदरजंग, आरएमएल और लोकनायक अस्पताल के डॉक्टर भी इस बॉन्ड नीति के खिलाफ हैं.
बता दें कि दिल्ली के कई अस्पतालों में सांकेतिक विरोध के तहत डॉक्टर्स ने हाथों पर काली पट्टी बांधकर काम किया है. MBBS के स्टूडेंट को हर साल करीब 10 लाख रुपये जमा कराने होंगे. ऐसे में डॉक्टर्स को कितना नुकसान होगा ये भी जानना जरूरी हो जाता है.
हर साल भरना होगा 10 लाख रुपये का बॉन्ड नई बॉन्ड पॉलिसी के तहत MBBS के स्टूडेंट्स को हर साल करीब 10 लाख रुपये जमा करने का बॉन्ड भरना होगा. यानी चार सालों में करीब 40 लाख रुपये की राशि देने के लिए यह करार होगा. वहीं डॉक्टर्स सरकार की इसी पॉलिसी का विरोध कर रहे हैं. पीजीआई के छात्रों का कहना है कि सरकार को इस फैसले को जल्द से जल्द वापिस लेना होगा. मांग पूरी होने तक विरोध जारी रहेगा. इस मामले में दिल्ली के अस्पतालों के डॉक्टर्स ने भी पीजीआई रोहतक के MBBS छात्रों का समर्थन किया है.
विरोध के बाद सरकार ने किए बदलाव- दरअसल यह बॉन्ड पॉलिसी केवल उन्हीं छात्रों के लिए होगी जो MBBS, MD और MS का कोर्स पूरा करने के बाद सरकारी संस्थानों में सेवाएं नहीं देना चाहते. दूसरी बात ये की छात्रों को एमडी, एमएस और पीजी कोर्स में दाखिला लेने में कोई रोक नहीं होगी.
साथ ही दाखिले के समय बॉन्ड राशि नहीं ली जाएगी और ना ही कोर्स के दौरान किसी तरह की कोई राशि ली जाएगी ये भी नया बदलाव हरियाणा सरकार की ओर से किया गया है.वहीं ये राशि सात साल के बाद देनी होगी. लेकिन उन्हीं डॉक्टर्स को जो सरकारी संस्थानों में सेवा नहीं देना चाहते हैं.
ऐसे में एसोसिएशन की मांग है कि सरकार इस बॉन्ड पॉलिसी को ही वापस ले. उन्होंने ये साफ किया है कि अगर ये नहीं किया जाता तो आने वाले दिनों में दिल्ली में भी कैंडल मार्च निकालकर विरोध किया जाएगा.
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