रोहतक: हरियाणा सरकार ने हाल ही में प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों को पत्र लिखकर आत्मनिर्भर बनने के लिए कहा है. आत्मनिर्भरता के नाम पर सरकार की ओर से दी जाने वाली ग्रांट बंद कर दी जाएगी. सरकार ने स्वयं वित्त पोषण, उद्योगों द्वारा वित्त पोषण, उद्योग-शिक्षा सहयोग, ऑनलाइन शिक्षा, पूर्व छात्र नेटवर्क, निजी वित्त पोषण, पीपीपी मॉडल, कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के जरिए से धन जुटाने के लिए कहा है.
इस पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का ये फैसला पूर्ण रूप से जनविरोधी है. इस फैसले का मतलब ये है कि गरीब छात्र तो शिक्षा ही हासिल नहीं कर पाएगा. क्योंकि फीस में बेतहाशा बढ़ोतरी हो जाएगी. उन्होंने कहा कि सरकार का काम शिक्षा को बढ़ावा देना होता है, निजीकरण करना नहीं. इस फैसले से विश्वविद्यालय भ्रष्टाचार के अड्डे बन जाएंगे. हुड्डा ने इस मुद्दे को विधानसभा सत्र के दौरान उठाने की बात कही.
हुड्डा ने कहा कि सरकार की मंशा साफ तौर पर जाहिर हो रही है कि वो विश्वविद्यालयों का निजीकरण करना चाहती है, जबकि शिक्षा तो राज्य का विषय है. सरकार के इस फैसले से विश्वविद्यालयों का व्यवसायीकरण हो जाएगा. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री ने महिला पहलवानों के यौन शोषण के मुद्दे पर कहा कि पहलवानों को न्याय मिलना चाहिए. उनकी समझ से बाहर है कि उन्हें न्याय क्यों नहीं मिल रहा है. वे पहले भी कह चुके हैं कि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर पहलवानों को न्याय दिलवाना चाहिए.
देश के लिए मेडल लाने वाले पहलवान आज अपने मेडल बहाने के लिए तैयार हो गए हैं. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एक बार फिर किसानों की खराब फसलों के मुआवजे का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि किसानों की 17 लाख एकड़ से ज्यादा फसल खराब हुई, लेकिन मुआवजा एक लाख एकड़ का ही मिला. पिछले 2 साल का मुआवजा अभी तक नहीं मिला है. प्रदेश सरकार ने किसान हित में कोई फैसला नहीं लिया है. अब तक जितने भी फैसले लिए हैं, वे सभी किसान, गरीब और मजदूर विरोधी हैं. हुड्डा ने एक बार फिर कहा कि जो प्रदेश प्रति व्यक्ति आय, प्रति व्यक्ति निवेश में नंबर वन था, वो आज अपराध और बेरोजगारी में नंबर वन हो गया है.