रोहतक: कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन ने लाखों लोगों का रोजगार खत्म कर दिया. काम नहीं मिलने की वजह से मजबूरन लोगों ने दो जून की रोटी के लिए अपना पेशा तक बदल दिया. हालात ये हैं कि प्लांट हेड जैसी पोस्ट पर काम करने वाले रिंकू, अब गली-मोहल्लों में सब्जी बेच रहे हैं. एक समय था जब रिंकू वाटर कूलर कंपनी के प्लांट हेड थे. उनके नीचे 70 से 80 कर्मचारी काम करते थे.
लॉकडाउन ने छीन ली नौकरी
दरअसल रोहतक शहर की गांधी नगर कॉलोनी के रहने वाले दो भाई रिंकू और राजेश दिल्ली में प्राइवेट कंपनी में मैनेजर के पद पर काम करते थे. लॉकडाउन में उनकी कंपनी बंद हो गई और रोजगार चला गया. परिवार के सामने गुजारा चलाने की नौबत आ गई. इस बीच रिंकू ने ब्याज पर पैसे लेकर बाइक पर सब्जी बेचने के लिए रेहड़ी बनाई. अब इसपर लाउड स्पीकर लगाकर वो सब्जियां बेचते हैं. इनके छोटे भाई राजेश भी अब सब्जी बेचने में रिंकू का हाथ बंटाते हैं. इतना ही नहीं रिंकू की बूढ़ी मां और भाभी भी सब्जी बेचने को मजबूर हैं.
कंपनी बंद होने के बाद रिंकू ने कई जगह दूसरी नौकरी के लिए अप्लाई किया. लेकिन कहीं भी उन्हें रोजगार नहीं मिला. इसके बाद उन्होंने एक सब्जी की रेहड़ी घर के बाहर लगाई और एक से खुद सब्जियां बेचते हैं. रिंकू उनका भाई और उनके पिता. तीनों ही प्राइवेट कंपनी में काम करते थे. अब रोजगार नहीं होने की वजह से पूरा परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहा है.
सब्जियां बेच कर गुजारा कर रहे रिंकू
ईटीवी भारत हरियाणा के साथ बातचीत में रिंकू ने बताया कि हमारे कूलर प्लांट में 70 से 80 लोग काम करते थे. जो लॉकडाउन की वजह से बंद हो गया. जितने भी कर्मचारी थे सब अपने घर चले गए, या फिर वो भी कोई छोटा मोटा काम करने लगे. रिंकू ने बताया कि दिल्ली से नौकरी छूटने के बाद उसने रोहतक में कई जगह ट्राई किया, लेकिन किसी ने नौकरी नहीं दी. इसलिए मजबूर होकर उसने सब्जी बेचने का मन बनाया.
रिंकू की मां ब्रह्मा ने कहा कि उसके दो बेटे और एक बेटी है. दोनों बेटे दिल्ली में एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे. लॉकडाउन की वजह से उनका काम चलगा गया. अब दोनों घर बैठने को मजबूर हैं. ऐसे में परिवार के पेट पालने के लिए दोनों ने सब्जी बेचने का काम शुरू किया. इस काम में वो भी उनकी मदद करती हैं. उन्होंने कहा कि इस वक्त उन्हें काफी परेशानियों से जूझना पड़ रहा है.
सब्जी की रेहड़ी पर रिन्कू की भाभी भी उनकी मदद करती है. रिंकू की भाभी पूजा ने कहा कि जब कोरोना नहीं था तो मेरे पति और देवर नौकरी करते थे. जिससे घर का खर्च अच्छे से चलता था. लेकिन अब तो दाल रोटी का गुजारा भी मुश्किल से होता है. उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि शायद आने वाले दिनों में सब ठीक हो जाए और फिर से उनकी जिंदगी पटरी पर लौटे.
हमारे देश में ऐसे हजारों बेरोजगार हैं जो अब सड़कों पर सब्जी और फल बेच कर गुजारा कर रहे हैं. ये युवा सरकार से सवाल कर रहे हैं कि कहां गए वो 20 लाख करोड़, जिसका वादा किया गया था. आखिर वो कौन लोग हैं जिनको सरकार नौकरी दे रही है, क्योंकि जमीनी स्तर पर हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं.