रोहतक: तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन चलते हुए 77 दिन हो गए हैं, लेकिन अभी तक इसका समाधान नहीं निकला है. ऐसे में समाधान खोजने की बजाए भाजपा के नेता विवादित बयान दे रहे हैं.
रोहतक पहुंचे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा कि आंदोलन में आधे से ज्यादा संगठन कम्युनिस्ट पार्टी से संबंधित हैं जिन्होंने 1962 में भारत चीन के युद्ध के दौरान चीन का समर्थन किया था. यही नहीं उन्होंने कहा कि यह कानून किसी पर थोपे नहीं गए हैं, जिसका दिल करे वो ले और जिसका दिल करे वह छोड़ दे. धनखड़ आज भाजपा प्रदेश कार्यालय में पहुंचे थे.
'चीन से व्यापार बंद से भारत का फायदा'
धनखड़ ने कहा कि कोरोना काल में जो व्यापार की चेन टूटी थी उसका सबसे बड़ा फायदा भारत को हुआ है. यह चीन के लिए सबसे बड़ा झटका है और चीन नहीं चाहता कि भारत तरक्की करें. किसान आंदोलन में जो जत्थे बन्दिया जुटी हुई हैं उनमें से आधे से ज्यादा कम्युनिस्ट पार्टी से संबंधित है, जिन्होंने 1962 में भारत चीन युद्ध के दौरान चीन का समर्थन किया था. साथ ही उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानून किसी पर थोपे नहीं गए हैं.
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'मर्जी से जो चाहे कानून को ले, वरना छोड़ दे'
ओपी धनखड़ ने कहा कि यह ऐच्छिक है और जिसका दिल करे वह यह कानून ले अन्यथा इन्हें छोड़ दे, यह इच्छा पर निर्भर करता है. साथ ही उन्होंने कहा कि वे कृषि कानूनों के बारे में समझाने के लिए जुटे हुए हैं और जल्द ही यह कानून समझ में भी आ जाएंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा और राज्यसभा में इसके लिए आश्वासन भी दिया है. कुछ लोग मिथ्या फैलाकर किसानों को भ्रमित करने में जुटे हुए हैं.
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