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मेडिकल फीस बढ़ाने पर छात्रों में रोष, बोले- रोजगार की गारंटी भी दे सरकार

हरियाणा सरकार ने मेडिकल के छात्रों की सालाना फीस में 66% प्रतिशत बढ़ोतरी की है. जिस वजह से मेडिकल छात्र सरकार को कोस रहे हैं. छात्रों का कहना है कि सरकार का ये फैसला मध्यवर्गीय और गरीब परिवारों से संबंध रखने वाले छात्रों के लिए बोझ की तरह है.

angry student said that the government should also guarantee employment after increasing the medical fees
मेडिकल फीस बढ़ाने पर छात्रों में रोष
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Published : Nov 14, 2020, 5:26 PM IST

रोहतक/गुरुग्राम: हरियाणा में इस वक्त राज्य सरकार और मेडिकल छात्रों के बीच ठनी हुई है. मेडिकल छात्र अचानक फीस बढ़ोतरी की वजह से सरकार को कोस रहे हैं. छात्रों का कहना है कि सरकार का ये फैसला मध्यवर्गीय और गरीब परिवारों से संबंध रखने वाले छात्रों के लिए बोझ की तरह है. सरकार ने फीस बढ़ोतरी का फैसला ऐसे समय में लिया है जब राज्य के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले शुरू होने वाले हैं. वहीं इस फैसले पर सरकार का कुछ और ही तर्क है, सीएम मनोहर लाल का कहना है कि ये फैसला हरियाणा के हित में लिया गया है.

मेडिकल फीस बढ़ाने पर छात्रों में रोष, देखिए रिपोर्ट

चलिए आपको सिलसिले वार ढ़ंग से बताते हैं कि आखिर ये मामला क्या है और छात्रों को अब कितनी फीस भरनी होगी. हरियाणा सरकार ने मेडिकल के छात्रों की सालाना फीस में 66% प्रतिशत बढ़ोतरी की है. पहले मेडिकल स्टूडेंट्स को 53 हजार रुपये फीस भरनी होती थी, लेकिन अब छात्रों को करीब 80 हजार रुपये फीस भरनी होगी. वहीं इसके साथ सरकार मेडिकल छात्रों से हर साल नौ लाख लाख रुपये का बॉन्ड भरवाएगी. इस नए नियम के मुताबिक हर साल छात्रों को 10% फीस बढ़ा कर देनी होगी और उतनी ही राशी बॉन्ड में कम हो जाएंगे. यानी पहले साल छात्रों की फीस 80 हजार रुपये है तो उन्हें 9 लाख 20 हजार रुपये का बॉन्ड भरना होगा. ऐसे ही दूसरे साल 88 हजार रुपये फीस और 9 लाख 12 हजार रुपये भरने होंगे. ऐसे ही पूरे चार साल में कुल 3 लाख 71 हजार 280 रुपये फीस भरनी होगी और 36 लाख 28 हजार 720 रुपये का बॉन्ड भरना होगा.

MBBS डिग्रीकोर्स फीस (रु. में)बॉन्ड अमाउंट(रु. में)
1st Year80,0009,20,000
2nd Year88,0009,12,000
3rd Year96,8009,03,200
4th Year1,06,4808,93,520
Total3,71,28036,28,720

फीस बढ़ा दी, लेकिन जॉब की गारंटी नहीं- छात्र

ऐसे में इस भारी भरकम फीस और नियमों को देखकर छात्रों का गुस्सा सातवें आसमान पर है. उनका कहना है कि सरकार को इस फैसले को वापस लेना चाहिए. छात्रों का ये भी आरोप है कि सरकार नियम तो बना रही है, लेकिन जॉब की गारंटी भी नहीं दे रही है, इसलिए फीस वृद्धि करना स्टूडेंट के हित में नहीं है.

बॉन्ड से छात्र सरकारी नौकरी के लिए बाध्य होंगे- सीएम

मेडिकल छात्र सरकार के इस फैसले से बिल्कुल भी सहमत नहीं है, लेकिन सरकार और मेडिकल संस्थानों का तर्क है कि इस फैसले से राज्य को फायदा होगा. सरकार ने इस बॉन्ड में शर्त रखी है कि अगर पढ़ाई के बाद छात्र हरियाणा में बतौर डॉक्टर सरकारी नौकरी करेगा तो उसके बॉन्ड का भुगतान हरियाणा सरकार करेगी. ये फैसला सिर्फ इसलिए लिया गया है क्योंकि छात्र सरकारी मेडिकल कॉलेज से पढ़ कर निजी अस्पतालों में सर्विस करने को प्राथमिकता देते हैं.

सुविधाएं देकर मेडिकल छात्रों को प्रेरित करें- डॉ. पंकज

सरकार और मेडिकल छात्रों के बीच रार जैसी स्थिति में ईटीवी भारत की टीम ने हरियाणा के हेल्थ सर्विसेस के पूर्व डायरेक्टर डॉक्टर पंकज वत्स से भी बातचीत की. हमने उनसे जाना कि आखिर क्यों सरकार को फीस बढ़ोतरी और बॉन्ड जैसे फैसले करने पड़ रहे हैं. डॉक्टर पंकज वत्स का कहना है कि हरियाणा से लगते राज्य यानी दिल्ली और पंजाब में पे स्केल काफी ज्यादा है. इसके साथ ही सरकारी डॉक्टरों को वहां सुविधाएं भी दी जाती हैं, लेकिन हरियाणा में ऐसी सुविधाएं डॉक्टरों को नहीं मिलती जिस वजह से डॉक्टर प्राइवेट नौकरी करना ज्यादा पसंद करते हैं. यही वजह है कि हरियाणा सरकार चाहती है कि डॉक्टर सरकारी नौकरी करें... यही वजह है सरकार ऐसे फैसले लेती है.

सुना आपने सरकार के इस फैसले पर एक्सपर्ट भी ऐतराज जता रहे हैं. यही छात्रों का भी कहना है कि सरकार ऐसी परिस्थितियां बनाएं कि मेडिकल छात्र डिग्री लेने के बाद खुद अपनी मर्जी से सरकारी अस्पतालों में नौकरी करें, ना कि उन्होंने शर्तों के बंधन में काम करने के लिए मजबूर किया जाए. फिलहाल हरियाणा सरकार के नोटिफिकेशन के बाद कुछ समय में ही मेडिकल कॉलेजों में दाखिला शुरू हो जाएगा, अब देखना होगा कि ये फैसला यूं ही बरकरार रहता है या फिर विरोध की वजह से सरकार इस नोटिफिकेशन को वापस ले लेती है.

ये भी पढ़िए: सीएम मनोहर लाल खट्टर की शिमला में बिगड़ी तबीयत, चेकअप के लिए पहुंचे IGMC

रोहतक/गुरुग्राम: हरियाणा में इस वक्त राज्य सरकार और मेडिकल छात्रों के बीच ठनी हुई है. मेडिकल छात्र अचानक फीस बढ़ोतरी की वजह से सरकार को कोस रहे हैं. छात्रों का कहना है कि सरकार का ये फैसला मध्यवर्गीय और गरीब परिवारों से संबंध रखने वाले छात्रों के लिए बोझ की तरह है. सरकार ने फीस बढ़ोतरी का फैसला ऐसे समय में लिया है जब राज्य के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले शुरू होने वाले हैं. वहीं इस फैसले पर सरकार का कुछ और ही तर्क है, सीएम मनोहर लाल का कहना है कि ये फैसला हरियाणा के हित में लिया गया है.

मेडिकल फीस बढ़ाने पर छात्रों में रोष, देखिए रिपोर्ट

चलिए आपको सिलसिले वार ढ़ंग से बताते हैं कि आखिर ये मामला क्या है और छात्रों को अब कितनी फीस भरनी होगी. हरियाणा सरकार ने मेडिकल के छात्रों की सालाना फीस में 66% प्रतिशत बढ़ोतरी की है. पहले मेडिकल स्टूडेंट्स को 53 हजार रुपये फीस भरनी होती थी, लेकिन अब छात्रों को करीब 80 हजार रुपये फीस भरनी होगी. वहीं इसके साथ सरकार मेडिकल छात्रों से हर साल नौ लाख लाख रुपये का बॉन्ड भरवाएगी. इस नए नियम के मुताबिक हर साल छात्रों को 10% फीस बढ़ा कर देनी होगी और उतनी ही राशी बॉन्ड में कम हो जाएंगे. यानी पहले साल छात्रों की फीस 80 हजार रुपये है तो उन्हें 9 लाख 20 हजार रुपये का बॉन्ड भरना होगा. ऐसे ही दूसरे साल 88 हजार रुपये फीस और 9 लाख 12 हजार रुपये भरने होंगे. ऐसे ही पूरे चार साल में कुल 3 लाख 71 हजार 280 रुपये फीस भरनी होगी और 36 लाख 28 हजार 720 रुपये का बॉन्ड भरना होगा.

MBBS डिग्रीकोर्स फीस (रु. में)बॉन्ड अमाउंट(रु. में)
1st Year80,0009,20,000
2nd Year88,0009,12,000
3rd Year96,8009,03,200
4th Year1,06,4808,93,520
Total3,71,28036,28,720

फीस बढ़ा दी, लेकिन जॉब की गारंटी नहीं- छात्र

ऐसे में इस भारी भरकम फीस और नियमों को देखकर छात्रों का गुस्सा सातवें आसमान पर है. उनका कहना है कि सरकार को इस फैसले को वापस लेना चाहिए. छात्रों का ये भी आरोप है कि सरकार नियम तो बना रही है, लेकिन जॉब की गारंटी भी नहीं दे रही है, इसलिए फीस वृद्धि करना स्टूडेंट के हित में नहीं है.

बॉन्ड से छात्र सरकारी नौकरी के लिए बाध्य होंगे- सीएम

मेडिकल छात्र सरकार के इस फैसले से बिल्कुल भी सहमत नहीं है, लेकिन सरकार और मेडिकल संस्थानों का तर्क है कि इस फैसले से राज्य को फायदा होगा. सरकार ने इस बॉन्ड में शर्त रखी है कि अगर पढ़ाई के बाद छात्र हरियाणा में बतौर डॉक्टर सरकारी नौकरी करेगा तो उसके बॉन्ड का भुगतान हरियाणा सरकार करेगी. ये फैसला सिर्फ इसलिए लिया गया है क्योंकि छात्र सरकारी मेडिकल कॉलेज से पढ़ कर निजी अस्पतालों में सर्विस करने को प्राथमिकता देते हैं.

सुविधाएं देकर मेडिकल छात्रों को प्रेरित करें- डॉ. पंकज

सरकार और मेडिकल छात्रों के बीच रार जैसी स्थिति में ईटीवी भारत की टीम ने हरियाणा के हेल्थ सर्विसेस के पूर्व डायरेक्टर डॉक्टर पंकज वत्स से भी बातचीत की. हमने उनसे जाना कि आखिर क्यों सरकार को फीस बढ़ोतरी और बॉन्ड जैसे फैसले करने पड़ रहे हैं. डॉक्टर पंकज वत्स का कहना है कि हरियाणा से लगते राज्य यानी दिल्ली और पंजाब में पे स्केल काफी ज्यादा है. इसके साथ ही सरकारी डॉक्टरों को वहां सुविधाएं भी दी जाती हैं, लेकिन हरियाणा में ऐसी सुविधाएं डॉक्टरों को नहीं मिलती जिस वजह से डॉक्टर प्राइवेट नौकरी करना ज्यादा पसंद करते हैं. यही वजह है कि हरियाणा सरकार चाहती है कि डॉक्टर सरकारी नौकरी करें... यही वजह है सरकार ऐसे फैसले लेती है.

सुना आपने सरकार के इस फैसले पर एक्सपर्ट भी ऐतराज जता रहे हैं. यही छात्रों का भी कहना है कि सरकार ऐसी परिस्थितियां बनाएं कि मेडिकल छात्र डिग्री लेने के बाद खुद अपनी मर्जी से सरकारी अस्पतालों में नौकरी करें, ना कि उन्होंने शर्तों के बंधन में काम करने के लिए मजबूर किया जाए. फिलहाल हरियाणा सरकार के नोटिफिकेशन के बाद कुछ समय में ही मेडिकल कॉलेजों में दाखिला शुरू हो जाएगा, अब देखना होगा कि ये फैसला यूं ही बरकरार रहता है या फिर विरोध की वजह से सरकार इस नोटिफिकेशन को वापस ले लेती है.

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