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एक क्लिक में जानें कौन है सुखबीर बादल पर हमला करने वाला, जा चुका है जेल और पाकिस्तान - FIRING AT SUKHBIR SINGH BADAL

Firing At Sukhbir Singh Badal: हमलावर पहले भी जेल जा चुका है. वह हथियारों की तस्करी में भी शामिल रहा है.

FIRING AT SUKHBIR SINGH BADAL
सुखबीर सिंह बादल पर फायरिंग करने वाला नारायण सिंह (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 4, 2024, 10:48 AM IST

Updated : Dec 4, 2024, 12:28 PM IST

अमृतसर: पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम और शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल पर आज बुधवार सुबह स्वर्ण मंदिर के बाहर गोली चलाई गई. इस हमले में वह बाल-बाल बच गए. मौके पर मौजूद लोगों ने समय रहते हमलावर नारायण सिंह चौड़ा को पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया.

बता दें, यह हमला उस समय हुआ जब सुखबीर सिंह बादल गोल्डेन टेंपल के बाहर धार्मिक सजा के तौर पर पहरेदारी कर रहे थे. सुखबीर बादल के पैर में चोट लगी है और उनके प्लास्टर चढ़ा है, इस वजह से वह व्हीलचेयर पर बैठे थे और भाला पकड़े थे.

उसी समय हमलावर नारायण सिंह सामने से आता है और पिस्टल निकालता है, लेकिन आस-पास खड़े लोगों ने उसे देख लिया और उसको धर दबोचा. नारायण सिंह ने तब भी फायरिंग कर दी, लेकिन किसी को गोली नहीं लगी. आनन-फानन में लोगों ने पुलिस को जानकारी दी. हमलावर ने पुलिस को अपना नाम नारायण सिंह चौड़ा बताया है.

जानकारी के मुताबिक चौड़ा का जन्म 4 अप्रैल 1956 को डेरा बाबा नानक (गुरदासपुर) के गांव चौड़ा में हुआ था. यह कथित तौर पर गरमख्याली लिबरेशन फोर्स और अकाल फेडरेशन से संबंध रखता है. वह डेरा बाबा नानक मार्केट कमेटी के चेयरमैन नरेंद्र सिंह चौधरी का भाई है. नारायण सिंह चंडीगढ़ की बुड़ैल जेल ब्रेक कांड में भी आरोपी था. बता दें, वर्ष 2004 में चार खालिस्तानी आतंकी जेल तोड़कर फरार हो गए थे. उसने इस घटना में आतंकियों की मदद की थी. चारों कैदी 94 फीट लंबी सुरंग खोदकर जेल से फरार हुए थे. हालांकि कोर्ट ने इस मामले में आरोपी को बरी कर दिया था.

नारायण सिंह चौधरी गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत लंबे समय तक जेल में रह चुका है. वह अमृतसर सेंट्रल जेल में पांच साल की सजा काटा है. वह खालिस्तान लिबरेशन फोर्स और अकाल फेडरेशन से जुड़ा हुआ है. उसे 28 फरवरी 2013 को तरनतारन के जलालाबाद गांव से गिरफ्तार किया गया था. उसी दिन उसके साथी सुखदेव सिंह और गुरिंदर सिंह को भी गिरफ्तार किया गया था. उससे पूछताछ के आधार पर पुलिस ने मोहाली जिले के कुराली गांव में एक ठिकाने पर छापा मारा और मौके से हथियारों और गोला-बारूद का जखीरा बरामद किया.

पुलिस का कहना है कि अमृतसर के सिविल लाइन थाने में नारायण सिंह चौधरी के खिलाफ विस्फोटक अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज किया गया है. वह अमृतसर, तरनतारन और रोपड़ जिलों में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत दर्ज मामलों में भी आरोपी है. पुलिस ने बताया कि नारायण 1984 में पाकिस्तान गया था. उग्रवाद के शुरुआती दौर में पंजाब में हथियारों और विस्फोटकों की बड़ी खेप की तस्करी में उसकी अहम भूमिका थी. पाकिस्तान में रहते हुए उसने कथित तौर पर गुरिल्ला युद्ध और 'देशद्रोही' साहित्य पर एक किताब लिखी थी.

8 मई 2010 को अमृतसर के सिविल लाइन्स थाने में विस्फोटक अधिनियम के तहत उसके खिलाफ करीब एक दर्जन मामले दर्ज किए गए थे. वह अमृतसर, तरनतारन और रोपड़ जिलों में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत मामलों में भी वांछित था. विस्फोटक अधिनियम के तहत एक मामले में अमृतसर की एक अदालत ने आरोपी को बरी कर दिया था.

पढ़ें: पंजाब: अमृतसर में सुखबीर सिंह बादल पर चली गोली, बाल-बाल बचे

अमृतसर: पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम और शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल पर आज बुधवार सुबह स्वर्ण मंदिर के बाहर गोली चलाई गई. इस हमले में वह बाल-बाल बच गए. मौके पर मौजूद लोगों ने समय रहते हमलावर नारायण सिंह चौड़ा को पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया.

बता दें, यह हमला उस समय हुआ जब सुखबीर सिंह बादल गोल्डेन टेंपल के बाहर धार्मिक सजा के तौर पर पहरेदारी कर रहे थे. सुखबीर बादल के पैर में चोट लगी है और उनके प्लास्टर चढ़ा है, इस वजह से वह व्हीलचेयर पर बैठे थे और भाला पकड़े थे.

उसी समय हमलावर नारायण सिंह सामने से आता है और पिस्टल निकालता है, लेकिन आस-पास खड़े लोगों ने उसे देख लिया और उसको धर दबोचा. नारायण सिंह ने तब भी फायरिंग कर दी, लेकिन किसी को गोली नहीं लगी. आनन-फानन में लोगों ने पुलिस को जानकारी दी. हमलावर ने पुलिस को अपना नाम नारायण सिंह चौड़ा बताया है.

जानकारी के मुताबिक चौड़ा का जन्म 4 अप्रैल 1956 को डेरा बाबा नानक (गुरदासपुर) के गांव चौड़ा में हुआ था. यह कथित तौर पर गरमख्याली लिबरेशन फोर्स और अकाल फेडरेशन से संबंध रखता है. वह डेरा बाबा नानक मार्केट कमेटी के चेयरमैन नरेंद्र सिंह चौधरी का भाई है. नारायण सिंह चंडीगढ़ की बुड़ैल जेल ब्रेक कांड में भी आरोपी था. बता दें, वर्ष 2004 में चार खालिस्तानी आतंकी जेल तोड़कर फरार हो गए थे. उसने इस घटना में आतंकियों की मदद की थी. चारों कैदी 94 फीट लंबी सुरंग खोदकर जेल से फरार हुए थे. हालांकि कोर्ट ने इस मामले में आरोपी को बरी कर दिया था.

नारायण सिंह चौधरी गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत लंबे समय तक जेल में रह चुका है. वह अमृतसर सेंट्रल जेल में पांच साल की सजा काटा है. वह खालिस्तान लिबरेशन फोर्स और अकाल फेडरेशन से जुड़ा हुआ है. उसे 28 फरवरी 2013 को तरनतारन के जलालाबाद गांव से गिरफ्तार किया गया था. उसी दिन उसके साथी सुखदेव सिंह और गुरिंदर सिंह को भी गिरफ्तार किया गया था. उससे पूछताछ के आधार पर पुलिस ने मोहाली जिले के कुराली गांव में एक ठिकाने पर छापा मारा और मौके से हथियारों और गोला-बारूद का जखीरा बरामद किया.

पुलिस का कहना है कि अमृतसर के सिविल लाइन थाने में नारायण सिंह चौधरी के खिलाफ विस्फोटक अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज किया गया है. वह अमृतसर, तरनतारन और रोपड़ जिलों में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत दर्ज मामलों में भी आरोपी है. पुलिस ने बताया कि नारायण 1984 में पाकिस्तान गया था. उग्रवाद के शुरुआती दौर में पंजाब में हथियारों और विस्फोटकों की बड़ी खेप की तस्करी में उसकी अहम भूमिका थी. पाकिस्तान में रहते हुए उसने कथित तौर पर गुरिल्ला युद्ध और 'देशद्रोही' साहित्य पर एक किताब लिखी थी.

8 मई 2010 को अमृतसर के सिविल लाइन्स थाने में विस्फोटक अधिनियम के तहत उसके खिलाफ करीब एक दर्जन मामले दर्ज किए गए थे. वह अमृतसर, तरनतारन और रोपड़ जिलों में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत मामलों में भी वांछित था. विस्फोटक अधिनियम के तहत एक मामले में अमृतसर की एक अदालत ने आरोपी को बरी कर दिया था.

पढ़ें: पंजाब: अमृतसर में सुखबीर सिंह बादल पर चली गोली, बाल-बाल बचे

Last Updated : Dec 4, 2024, 12:28 PM IST
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